धारा 423 आईपीसी - IPC 423 in Hindi - सजा और जमानत - अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 423 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 423 के अनुसार जो कोई बेईमानी से या कपटपूर्वक किसी ऐसे विलेख या लिखत को हस्ताक्षरित करेगा, निष्पादित करेगा, या उसका पक्षकार बनेगा, जिससे किसी सम्पत्ति का, या उसमें के किसी हित का, अंतरित किया जाना, या किसी भार के अधीन किया जाना, तात्पर्यित है, और जिसमें ऐसे अंतरण या भार के प्रतिफल से संबंधित, या उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों से संबंधित, जिसके या जिनके उपयोग या फायदे के लिए उसका प्रवर्तित होना वास्तव में आशयित है, कोई मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
विचार के झूठे बयान वाले स्थानांतरण के विलेख का धोखाधड़ी निष्पादन | 2 साल या जुर्माना या दोनों | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : विचार के झूठे बयान वाले स्थानांतरण के विलेख का धोखाधड़ी निष्पादन
Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 423 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 423 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 423 अपराध : विचार के झूठे बयान वाले स्थानांतरण के विलेख का धोखाधड़ी निष्पादन
आई. पी. सी. की धारा 423 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 423 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 423 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 423 गैर - संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 423 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 423 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 423 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 423 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 423 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 423 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।