IPC Section 406 in Hindi - धारा 406 में सजा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Oct, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

भरोसा यह एक ऐसा शब्द है जिससे लोगों में एक दूसरे के प्रति स्नेह बना रहता है जो लोगों को आपस में एक साथ जोड़े रखने का काम करता है, लेकिन आज के समय में जहाँ लोग ना सिर्फ एक दूसरे का भरोसा तोड़ रहें है बल्कि एक दूसरे से अलग होते जा रहे है। किसी का भरोसा तोड़ना ना सिर्फ उस व्यक्ति को निराश करना जिसका आपने भरोसा तोड़ा है। बल्कि यह एक अपराध (Crime) के रुप में भी माना जाता है। तो आज के आर्टिकल में हम एक ऐसे ही अपराध से जुडी कानून की धारा के बारे में जानेंगे। भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी की धारा 406 क्या होती है (IPC Section 406 in Hindi), धारा 406 में कितनी सजा होती है? इस आईपीसी सेक्शन में जमानत कैसे मिलती है?

हमने आज के इस आर्टिकल में इस धारा से जुडी संपूर्ण जानकारी को आसान शब्दों में आपको बताने का प्रयास किया है, तो अगर आप IPC Section 406 के बारें में विस्तार से जानना चाहतें है तो इस लेख को पूरा पढें।


धारा 406 क्या है - IPC Section 406 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को भरोसा करके अपनी कोई भी संपत्ति (Property) या वस्तु देता है। लेकिन वो व्यक्ति उसकी संपत्ति का गलत इस्तेमाल करता है या उसे बताए बिना किसी अन्य व्यक्ति को बेच देता है तो उस व्यक्ति पर विश्वासघात करने व विश्वास का आपराधिक हनन (Criminal Breach) करने का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ धारा 406 के तहत केस दर्ज किया जाता है। चलिए इसे एक उदाहरण द्वारा आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है।

IPC 406 लगने का उदाहरण :- विजय एक अमीर घर का लड़का होता है वह एक दिन अपने किसी दोस्त की पार्टी में मनीष नाम के लडकें से मिलता है वही पर उन दोनों की बातचीत होती है तब मनीष को पता चलता है कि विजय एक बहुत ही अमीर घर से संबंध रखता है तो वह विजय से दोस्ती कर लेता है कुछ बीतते दिनो के साथ मनीष विजय के मन में अपने प्रति भरोसे को जमा लेता है। और विजय भी उस पर बहुत भरोसा करने लग जाता है

लेकिन एक दिन मनीष कोई बहाना बना कर विजय से 10 लाख रुपये की मांग करता है और कुछ दिन बाद लोटाने की बात करता है विजय उस पर भरोसा करके उसको 10 लाख रुपये दे देता है फिर कुछ महीनो बाद समय पुरा होने पर जब विजय मनीष से पैसे वापिस मांगता है तो मनीष वो पैसे देने से मना कर दैता है और बताता है कि वो पैसे तो वो जुए में हार गया तब विजय को गुस्सा आता है और वह मनीष के खिलाफ विश्वासघात करने के आरोप में धारा 406 के तहत FIR दर्ज करवा देता है

Note:- अगर विजय मनीष के खिलाफ धारा 406 के तहत केस दर्ज करा देता है तो उसे मनीष को दोषी साबित करने के लिए लिखित सबूत या दस्तावेज की जरुरत पडेगी तभी वह मनीष को दोषी साबित कर पाएगा।

जाने - IPC Section 420 in Hindi


धारा 406 में सजा कितनी होती है - IPC 406 Punishment in Hindi

आईपीसी की धारा 406 के तहत सजा आपराधिक हनन करके या धोखे से कब्जा की गई संपत्ति की राशि/मूल्य के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। जैसे यदि संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक नहीं है, तो अपराध को मामूली अपराध माना जाता है और इसके लिए सजा एक वर्ष तक कारावास या जुर्माना, या दोनों है। यदि मूल्य सौ रुपये से अधिक है, तो अपराध को अधिक गंभीर माना जाता है, और सजा तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते है।

अगर किसी व्यक्ति पर केस दर्ज (Case Register) होता है तो केस करने वाले व्यक्ति को आरोपी को दोषी साबित करने के लिए सबूतों की जरुरत पड़ती है जिससे ये साबित हो सके की आरोपी ने पीड़ित व्यक्ति के साथ विश्वासघात (Betrayal) किया है। उसके बाद अगर आरोपी कोर्ट द्वारा दोषी पाया जाता है तो विश्वास का हनन (Criminal Breach) करने के अपराध में IPC की धारा 406 के तहत 3 वर्ष तक की कारावास और जुर्माना लगाने का प्रावधान (Provision) है।


IPC 406 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

धारा 406 एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध होने के कारण एक गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिलने में बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है या न्यायालय द्वारा जमानत याचिका (Bail Plea) खारिज कर दी जाती है लेकिन यह प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है, जिसमें एक अनुभवी व निपुण वकील (Lawyer) आपकी सहायता कर सकता है। ऐसे केसों में एक अच्छा वकील सही रास्ता दिखाएगा ओर जमानत (Bail) दिलवाने में मदद करेगा।

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IPC की धारा 406 के मामलों में एक वकील की भूमिका

ऐसे मामलों में यदि कोई व्यक्ति आप पर इस धारा के तहत आरोप (Blame) लगाता है तो कैसे एक वकील आपको निर्दोष (Innocent) साबित करने में आपकी सहायता करता है। आइये जानते है Lawyer की कुछ मुख्य जिम्मेदारियों के बारे में:-

  • कानूनी सलाह: वकील आपके अधिकारों (Rights) की रक्षा करते हुए हमेशा आपका बचाव करने के लिए जरुरी कानूनी सलाह (Legal Advice) देता है।
  • मामले की जांच: वकील आपके बचाव के लिए दूसरे पक्ष के द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी सबूतों (Evidences) गवाहों व अन्य दस्तावेजों की अच्छे से जाँच करता है और आपको बचाने के लिए हर संभव कोशिश करता है।
  • आरोपी का प्रतिनिधित्व: यदि वकील किसी आरोपी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहा है, तो उनका सबसे पहला काम आपकी बेगुनाही (Innocence) को साबित करना या आप पर लगे आरोपों को कम करना है।
  • बातचीत और समझौता: कुछ मामलों ऐसे होते है जिनमें समझौते (Compromise) करके केस को खत्म किया जाता जा सकता है। आपका लॉयर आपको बचाने के लिए दूसरे पक्ष से समझौते के लिए बात करेगा
  • अदालती कार्यवाही: वकील कोर्ट की सुनवाई के दौरान अपने मुवक्किल (Client) के लिए दलीलें पेश करेगा, गवाहों की जाँच करेगा और आप के बचाव के लिए न्यायालय के सामने सबूत पेश करेगा।
  • अपील और परीक्षण:- यदि मामले का परिणाम आप के पक्ष में नहीं होता तो वकील अपने मुवक्किल (यानी आपके लिए) के लिए अपील दायर (Appeal Filled) करता है और साथ ही सभी कानूनी उपायों का पालन करके आपका मार्गदर्शन करता है।

इसलिए यदि आप को कोई व्यक्ति झूठे केस (False Case) में फसाने की कोशिश करता है तो तुरंत किसी अनुभवी वकील से मिलकर सलाह ले। यदि आप के पास खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कोई भी आवश्यक सबूत है तो तुरन्त अपने वकील के साथ इन्हें साझा करें व खुद को किसी भी झूठे केस में आरोपी बनने से बचाए।


आईपीसी धारा 406 से बचाव के लिए जरुरी बातें

दोस्तों आज के समय में जहाँ किसी का भी भरोसा जीत ना बहुत ही मुश्किल होता है या ये कहे की किसी का भरोसा हासिल करने में पूरी जिंदगी भी थोड़ी पड़ जाती है। लेकिन एक समय ऐसा आता है जब वो भरोसा ना चाहते हुए भी कुछ पल में टूट जाता है तो आईये इसलिए कुछ ऐसी ही जरुरी बातों को जानने का प्रयास करते है।

  • यदि आप किसी व्यक्ति से पैसे या कोई अन्य वस्तु कुछ समय के लिए लेते है तो उस वस्तु को समय पर ही वापिस कर दे।
  • अगर उस वस्तु को लौटाने में तय समय से ज्यादा का समय लगता है तो उस व्यक्ति के पास जाकर उससे बात करें और जिस कारण से आपको देरी हो रही है उसके बारें में बताए।
  • यदि आप किसी को कुछ समय के लिए पैसे देते है तो उस व्यक्ति से लिखित में जरुर ले की उसने आपसे पैसे लिए है यह आपके लिए आने वाले समय में बहुत जरुरी रहेगा।
  • कभी भी अपने विश्वास की बात कह कर किसी व्यकित से किसी तीसरे व्यकित को पैसे या कोई अन्य वस्तु ना दिलवाये, अगर भविष्य में कभी कोई समस्या आती है तो इस वजह से आपको भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
  • अगर आपके पास किसी का आवश्यक सामना या कोई कीमती वस्तु रखी हुई है तो उसे बिना उसके मालिक की अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति को ना बेचे।

धारा 406 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 406 का अपराध एक बहुत ही संगीन और गैर जमानती अपराध है, जिसमें एक दोषी को कारावास की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड का भी प्रावधान दिया गया है, जिसमें कारावास की सजा की समय सीमा को 3 बर्षों, तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है।

ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है और विश्वास के आपराधिक हनन जैसे बड़े मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 406 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो, जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।


प्रशंसापत्र

मेरे पति एक सरकारी कर्मचारी हैं, सेवा में स्थानांतरण के कारण हम दूसरे शहर में रहते हैं। हमने देखभाल के उद्देश्य से अपना घर एक रिश्तेदार को दे दिया है। जब हमने उनसे हमारा घर खाली करने की मांग की तो उन्होंने इनकार कर दिया, हमने लॉराटो के द्वारा वकील से परामर्श लिया, उन्होंने अदालत में मुकदमा दाखिल करके दोषी व्यक्ति को सजा और हमें हमारा घर वापस दिलवाया

-श्रीमती नीता शर्मा

मैं फार्मास्युटिकल का व्यवसाय करता हूं, एक व्यक्ति ने मेरी कंपनी से दवा का ऑर्डर दिया था, वही मेरे द्वारा डिलीवरी से पहले ऑर्डर के आधे भुगतान और डिलीवरी के बाद बाकी के भुगतान की शर्त पर दिया गया था। लेकिन नियमित स्मरण-पत्र भेजने के बावजूद विरोधी पक्ष ने बकाया राशि का भुगतान नहीं किया, जिस पर मैंने एक वकील से परामर्श किया, उन्होंने बकाया राशि के साथ ही कानूनी सेवाओं के लिए मुआवजा भी दिलवाया।

- श्री पुनीत सिंह

अतिरिक्त कमाई के उद्देश्य से मैंने अपनी कार एक टूर एंड ट्रैवल कंपनी को कमीशन के आधार पर दी , लेकिन उसने मेरी सहमति के बिना उसे किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दिया, जब मुझे यह पता चला तो मैंने कानूनी सहायता के लिए एक वकील से परामर्श लिया, बाद में मैंने अपने वकील की सहायता से टूर एंड ट्रैवल कंपनी के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी का मुकदमा दायर करवाया।

- श्री निश्चल वर्मा

Offence : विश्वास का आपराधिक उल्लंघन


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 406 को बीएनएस धारा 316 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 406 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 406 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 406 अपराध : विश्वास का आपराधिक उल्लंघन



आई. पी. सी. की धारा 406 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 406 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 406 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 406 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 406 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 406 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 406 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 406 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 406 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 406 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।