धारा 403 आईपीसी - IPC 403 in Hindi - सजा और जमानत - सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

धारा 403 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 403 के अनुसार

जो भी कोई बेईमानी से किसी चल सम्पत्ति का गबन / दुरुपयोग करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
सजा - दो वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिसकी संपत्ति का गबन हुआ हो) के द्वारा समझौता करने योग्य है।


आईपीसी की धारा 403 का स्पष्टीकरण

धारा 403 के तहत प्रावधान इसके लिए दो स्पष्टीकरण प्रदान करता है। जो हैं-

स्पष्टीकरण 1- यह स्पष्टीकरण केवल 'बेईमान दुर्विनियोग या गलत इरादे से करे गए गबन के मामलों से संबंधित है। यह स्पष्टीकरण इस सेक्शन के अंतर्गत कामकाज के दायरे को स्पष्ट करता है, क्योंकि इसमें अस्थायी और स्थायी दोनों प्रकार के दुरुपयोग शामिल हैं।

स्पष्टीकरण 2- यह स्पष्टीकरण कुछ मामलों में संपत्ति के संस्थापक के अधिकारों के साथ-साथ उसकी देनदारियों का वर्णन करता है। इस स्पष्टीकरण के अंतर्गत यह स्पष्ट होता है कि जो संपत्ति मालिक द्वारा त्याग दी गई हो एवं वर्तमान मे उसका फाउन्डर या खोजकर्ता या संस्थापक उस सच्चे मालिक को खोजने में असमर्थ था जिसने संपत्ति को अपने उपयोग के लिए इस्तेमाल किया है, इस स्थिति में संपत्ति के खोजकर्ता को धारा 403 के तहत अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन खोजकर्ता को जब उस संपत्ति के मालिक का ज्ञान था या उसके पास मालिक को खोजने के लिए सभी साधन थे और खोजने के लिए उसने किसी भी साधन का उपयोग नहीं किया, इस स्थिति मे खोजकर्ता को दोषी माना जाता है ।

इसके अलावा, धारा 403 उन व्यक्तियों पर दंड लगाती है जिन्होंने संपत्ति के आपराधिक दुरूपयोग का अपराध किया है। इसमे सजा एक अवधि का कारावास होगा जो दो साल तक बढ़ सकता है या जुर्माना या दोनों हो सकता है।


धारा 403 के अंतर्गत आपराधिक दुर्विनियोजन के आरोप के लिए महत्वपूर्ण शर्तें

धारा 403 के अनुसार, यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिसकी संपत्ति का गबन हुआ हो) के द्वारा समझौता करने योग्य है या इसमे दोनों पार्टियों के बीच समझौते की आशंका भी रहती है। इस धारा के अंतर्गत शिकायत करने के लिए निर्दिष्ट संपत्ति शिकायतकर्ता की होनी चाहिए। लेकिन संपत्ति आरोपी के कब्जे में होनी चाहिए क्योंकि हेराफेरी या फिर संपत्ति के साथ गबन तभी हो सकती है जब वह किसी के कब्जे में हो, इसलिए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह साबित करना है कि संपत्ति का अधिकार शिकायतकर्ता के पास है या वह संपत्ति कानूनन शिकायतकर्ता की ही है। और दूसरी बात यह साबित करना है कि उस संपत्ति का कब्जा आरोपी के पास है तथा इसके अलावा, संपत्ति कोई चल संपत्ति होनी चाहिए, उसके बाद ही धारा लागू होगी।

दुरूपयोग या स्वयं के उपयोग के लिए परिवर्तित संपत्ति का स्पष्टीकरण -

यह पहले ही स्पष्ट किया गया है कि दुर्विनियोजन या गबन क्या है, मुद्दा तब उठता है जब हम संपत्ति के साथ गबन करके उसे स्वयं के उपयोग में परिवर्तित करके उसका लाभ उठाने की कोशिश करते हैं अर्थात जो संपत्ति वास्तव मे किसी और की है तथा मिली संपत्ति का उपयोग करना एवं उसका इस्तेमाल इस रूप मे करना जैसे कि यह खोजकर्ता की है। इसलिए, यदि किसी को रास्ते में सड़क पर कुछ मिलता है और खोजकर्ता उसे बेच देता है या उसे गिरवी रख देता है तो इसे अपने उपयोग में परिवर्तित करने के रूप में जाना जाएगा। जिस आरोपी को संपत्ति मिल जाती है, उसे या तो वह अपने किसी उद्देश्य के लिए उपयोग करता है या इसे अपने उपयोग के लिए परिवर्तित करता है, तभी कहा जाता है कि उसने आपराधिक रूप से उस संपत्ति का दुरुपयोग किया है। बिना किसी वास्तविक बातचीत या जानकारी के लिए प्रयास करने के बावजूद भी उसके मालिक का पता ना चलने पर उस संपत्ति को बनाए रखना आपराधिक दुर्विनियोजन की राशि नहीं है, इसलिए वह व्यक्ति ऐसी अवस्था मे दोषी नहीं है।


किन आधारों के अनुसार किसी व्यक्ति को धारा 403 के अंतर्गत दोषी/निर्दोष ठहराया जा सकता है?

धारा 403 के अनुसार तथ्य यह है कि एक संपत्ति को यदि कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है, तब इसका मतलब यह नहीं है कि इसे पूर्ण रूप से त्याग दिया गया है। इस पहलू को समझने के लिए प्रत्येक मामलों के तथ्यों का अध्ययन करना आती आवश्यक है। अंग्रेज़ी कानून के आधार पर इस पहलू पर यह इस प्रकार से बताता है कि यदि कोई यात्री कोई वस्तु या सामान जानबूझकर ट्रेन मे छोड़ देता है तब यह दुर्विनियोजन के अंतर्गत नहीं आएगा परंतु कोई वस्तु उसी यात्री द्वारा गलती से छूट गई हो या खो गई हो तब यह विषय दुर्विनियोजन के अंतर्गत आएगा। अंग्रेजी और भारतीय कानून दोनों के द्वारा इस अवस्था को धारा 403 के अंतर्गत अपराध माना गया है जब कोई व्यक्ति अपनी कोई भी संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर मे, या उसके परिसर में, या उसकी प्रॉपर्टी में भूल से छोड़ देता है तब यदि उस दूसरे व्यक्ति द्वारा उस वस्तु या संपत्ति का जानबूझकर दुरुपयोग कीया जाता है या उसका प्रयास कीया जाता है, जहां मूल्यवान वस्तुएं, जिन्हें फेंका नहीं जा सकता है, किसी दुकान में, या रेलवे कैरिज या हैकनी कोच में या किसी ऐसे ही स्थान पर खोजकर्ता द्वारा छोड़ दिया जाता है जहां मालिक स्वाभाविक रूप से उन्हें खोजने के लिए वापस आ सकता है, उस अवस्था मे वह वस्तु उसके मालिक की संपत्ति बनी हुई है हालांकि उसका अधिकार कुछ समय के लिए खो गया है।

एक व्यक्ति जो अपने स्वयं के उपयोग की संपत्ति को प्राप्त करता है और परिवर्तित करता है, अंग्रेजी कानून के अनुसार, और आईपीसी की धारा 403 के अनुसार आपराधिक दुर्विनियोग करता है। लेकिन अगर कोई आदमी मवेशियों को ले जाता है जब वे पास के गाँव के झुंड के साथ होते हैं, यह नहीं जानते कि वे किससे संबंधित हैं और यह सोचकर कि वे बिना मालिक के हैं, तो वह चोरी का अपराध करता है न कि आपराधिक दुर्विनियोजन क्योंकि यह विश्वास कि मवेशी बिना मालिक के थे, एक उचित विश्वास नहीं कहा जा सकता है परंतु इसे चोरी के अंतर्गत ही माना जाएगा जो अपने मे एक अलग अपराध है यही नहीं इसके अलावा धारा 403 के अंतर्गत बेईमान इरादा रखने वाला एवं मास्टर नौकर संबंध दो महावपूर्ण अंग भी शामिल हैं ।

धारा 403 स्पष्टीकरण 1 यह स्पष्ट करता है कि भले ही संपत्ति का कुछ समय के लिए या अस्थायी रूप से दुरुपयोग किया गया हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि कानून यह मानता है कि भले ही हेराफेरी थोड़े समय के लिए हो, फिर भी यह अनधिकृत है और इस तरह का अनधिकृत उपयोग अवैध है।


धारा 403 के अंतर्गत कानूनी मामलों का विवरण -

खांडू सोनू धोबी बनाम महाराष्ट्र राज्य (1972)

इस मामले में, आरोपी महाराष्ट्र सरकार द्वारा अधिकृत मिट्टी विभाग में कृषि सहायक के रूप में कार्यरत था। उन्हें कृषि बांधों के सुधार का कार्य दिया गया और जिसके लिए उन्हें आवश्यक धनराशि प्राप्त हुई। सुधार का कार्य पूरा नहीं करने पर भी आरोपी ने सुधार की रिपोर्ट तैयार की एवं तरह-तरह की शिकायतें मिलने के कारण आरोपितों ने महीनों बाद काम पूरा किया। अदालत ने माना कि आवंटित कार्य के लिए प्रदान की गई राशि का उपयोग नहीं करने के आरोपी के कृत्य से आपराधिक हेराफेरी के आरोप पर कोई फर्क नहीं पड़ता और इस प्रकार, यह धारा 403 के स्पष्टीकरण 1 के दायरे में आने वाला मामला है तत्पश्चात आरोपी को गिरफ्तार किया गया एवं उसे आईपीसी की धारा 403 के तहत दोषी करार दिया गया ।


एक वकील आईपीसी की धारा 403 से जुड़े मामले मे कैसे मदद कर सकता है?

धारा 403 से जुड़े मामलों मे किसी भी व्यक्ति पर आपराधिक दुर्विनियोजन या गबन का केस दायर करने या फिर किसी व्यक्ति पर दायर मुकदमे मे कानूनी सलाह एवं सहायता देने का कार्य वकील का होता है जिसके लिए शिकायत दायरकर्ता या जिस पर अपराध का मामला दायर किया गया है उसे तुरंत एक वकील की सहायता लेनी चाहिए तत्पश्चात उस पक्ष का वकील सत्र या उच्च न्यायालय मे उस व्यक्ति का पक्ष रख सके।

Offence : चल संपत्ति की बेईमानी से धांधली, या इसे एक और #8217 के अपने उपयोग में परिवर्तित करना


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 403 को बीएनएस धारा 314 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 403 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 403 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 403 अपराध : चल संपत्ति की बेईमानी से धांधली, या इसे एक और #8217 के अपने उपयोग में परिवर्तित करना



आई. पी. सी. की धारा 403 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 403 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 403 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 403 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 403 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 403 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 403 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 403 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 403 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 403 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।