धारा 359 आईपीसी - IPC 359 in Hindi - सजा और जमानत - व्यपहरण
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
धारा 359 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के अनुसारव्यपहरण दो किस्म का होता है ; 1[भारत] में से व्यपहरण और विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण ।
क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 359?
भारतीय दंड संहिता की धारा 359 अपहरण के अपराध से सम्बंधित होती है, इस धारा में अपहरण के बारे में बताया गया है, और भारतीय दंड संहिता में धारा 359 से आगे की धाराओं में अपहरण को और अच्छे से समझाया गया है। यह एक ऐसा अपराध होता है, जिसमें एक अपराधी को उसके द्वारा किये गए अपराध के अनुसार उसे उचित दंड दिया जाता है, और यह न्यायालय के निर्णय पर निर्भर होता है, कि वह उस अपराधी को क्या उचित दंड दे सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 359 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार, अपहरण दो किस्म का माना जाता है; जिसमें पहली किस्म के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का भारत देश की सीमा के भीतर ही अपहरण करना, इसमें यदि किसी अन्य देश में अपहरण किया गया है, तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के तहत विचारणीय नहीं माना जा सकता है, और दूसरी किस्म के रूप में किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का उस समय अपहरण करना जब वह व्यक्ति किसी विधिपूर्ण संरक्षकता में हो, इसमें विधिपूर्ण संरक्षकता का अर्थ उस व्यक्ति के माता - पिता या उनके या न्यायालय के द्वारा क़ानूनी रूप से निर्धारित किसी अन्य व्यक्ति को उसका संरक्षक नियुक्त करना आदि से माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के आवश्यक तत्व
भारतीय दंड संहिता की धारा 359 में केवल दो तरीके के अपहरण के बारे में बताया गया है, फिर भी इस धारा के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का भारत देश की सीमा के भीतर या किसी क़ानूनी संरक्षकता से अपहरण करता है, तो ऐसा कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के प्रावधानों के तहत दंडनीय माना जाता है, और ऐसे व्यक्ति को उचित दंड देने का प्रावधान भी किया गया है, जिससे कोई भी व्यक्ति ऐसा अपराध करने की कोशिश भी न कर सके, और देश को अपराध मुक्त किया जा सके।
धारा 359 के लिए सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के प्रावधानों में किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण करने के अपराध के दो तरीकों को व्यक्त किया गया है। जिसमें उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 359 के तहत अपराध किया है, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत दंड दिया जाता है, और ऐसे अपराधी के लिए इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 7 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।
धारा 359 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 359 में अपहरण के तरीकों के बारे में बताया गया है, और ऐसे अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 359 में दंड का प्रावधान किया गया है, ऐसे अपराधी को उचित दंड दिया जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण करने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 363 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण करने का अपराध करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण का अपराध करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 359 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।