धारा 346 आईपीसी - IPC 346 in Hindi - सजा और जमानत - गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 346 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 346 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रकार करेगा जिससे यह आशय प्रतीत होता हो कि ऐसे परिरुद्ध व्यक्ति से हितबद्ध किसी व्यक्ति को या किसी लोक सेवक को ऐसे व्यक्ति के परिरोध की जानकारी न होने पाए या एतस्मिनपूर्व वर्णित किसी ऐसे व्यक्ति या लोक सेवक को, ऐसे परिरोध के स्थान की जानकारी न होने पाए या उसका पता उसे न चल पाए, तो उसे उस दण्ड के अतिरिक्त जिसके लिए वह ऐसे सदोष परिरोध के लिए दण्डनीय हो, किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा।लागू अपराध
गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
सजा - सदोष परिरोध के लिए कारावास के अतिरिक्त दो वर्ष कारावास।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
गुप्त में गलत तरीके से कारावास | किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : गुप्त में गलत तरीके से कारावास
Punishment : किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 346 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 346 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 346 अपराध : गुप्त में गलत तरीके से कारावास
आई. पी. सी. की धारा 346 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 346 के मामले में किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 346 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 346 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 346 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 346 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 346 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 346 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 346 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 346 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।