धारा 345 आईपीसी - IPC 345 in Hindi - सजा और जमानत - ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 345 का विवरण
  2. धारा 345 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 345 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 345 के अनुसार जो कोई यह जानते हुए किसी व्यक्ति को सदोष परिरोध में रखेगा कि उस व्यक्ति को छोड़ने के लिए रिट सम्यक् रूप से निकल चुका है । वह किसी अवधि के उस कारावास के अतिरिक्त, जिससे कि वह इस अध्याय की किसी अन्य धारा के अधीन दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा ।

Offence : किसी भी व्यक्ति को गलत तरीके से कारावास में रखते हुए, यह जानते हुए कि उसकी मुक्ति के लिए एक रिट जारी की गई है


Punishment : किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 345 को बीएनएस धारा 127 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 345 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 345 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 345 अपराध : किसी भी व्यक्ति को गलत तरीके से कारावास में रखते हुए, यह जानते हुए कि उसकी मुक्ति के लिए एक रिट जारी की गई है



आई. पी. सी. की धारा 345 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 345 के मामले में किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 345 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 345 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 345 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 345 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 345 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 345 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 345 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 345 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।