धारा 332 आईपीसी - IPC 332 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 332 का विवरण
  2. धारा 332 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 332 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 332 के अनुसार जो भी कोई किसी लोक सेवक को, उस समय जब वह लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन, अथवा लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने वाली किसी बात के परिणाम से निवारित या भयोपरत कर स्वेच्छापूर्वक गंभीर चोट पहुँचाता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक को रोकते चोट के कारण


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 332 को बीएनएस धारा 121 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 332 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 332 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 332 अपराध : स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक को रोकते चोट के कारण



आई. पी. सी. की धारा 332 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 332 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 332 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 332 संज्ञेय है।



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आई. पी. सी. की धारा 332 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 332 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 332 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 332 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।