धारा 322 आईपीसी - IPC 322 in Hindi - सजा और जमानत - स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
धारा 322 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 322 के अनुसार जो कोई व्यक्ति स्वेच्छया उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे कारित करने का उसका आशय है या जिसे वह जानता है कि उसके द्वारा उसका किया जाना सम्भाव्य है घोर उपहति है, और यदि वह उपहति, जो वह कारित करता है, घोर उपहति को, तो वह स्वेच्छया घोर उपहति करता है, यह कहा जाता है ।स्पष्टीकरण--कोई व्यक्ति स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह नहीं कहा जाता है सिवाय जब कि वह घोर उपहति करता है और घोर उपहति कारित करने का उसका आशय हो या घोर उपहति कारित होना वह सम्भाव्य जानता हो । किन्तु यदि वह यह आशय रखते हुए या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी एक किस्म की घोर उपहति कारित कर दे वास्तव में दूसरी ही किस्म की घोर उपहति कारित करता है, तो वह स्वेच्छया घोर उपहति करता है, यह कहा जाता है ।
दृष्टांत भारतीय दंड संहिता, 1860 62
क, यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह य के चेहरे को स्थायी रूप से विद्रुपित कर दे, य के चेहरे पर प्रहार करता है जिससे य का चेहरा स्थायी रूप से विद्रुपित तो नहीं होता, किन्तु जिससे य को बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा कारित होती है । क ने स्वेच्छया घोर उपहति कारित की है ।
आईपीसी धारा 322 को बीएनएस धारा 117 में बदल दिया गया है।
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