धारा 285 आईपीसी - IPC 285 in Hindi - सजा और जमानत - अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 285 का विवरण
  2. धारा 285 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 285 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 285 के अनुसार जो कोई अग्नि या किसी ज्वलनशील पदार्थ से कोई कार्य ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से करेगा जिससे मानव जीवन संकटग्रस्त हो जाए या जिससे किसी अन्य व्यक्ति को चोट या क्षति कारित होना सम्भाव्य हो,
अथवा अपने कब्जे में संग्रहीत अग्नि या किसी ज्वलनशील पदार्थ की ऐसी व्यवस्था करने का, जो मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
सजा - छह महीने कारावास या एक हजार रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : आग या किसी भी दहनशील पदार्थ से निपटना ताकि मानव जीवन आदि को खतरे में डाल सके


Punishment : 6 महीने या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 285 को बीएनएस धारा 287 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 285 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 285 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 285 अपराध : आग या किसी भी दहनशील पदार्थ से निपटना ताकि मानव जीवन आदि को खतरे में डाल सके



आई. पी. सी. की धारा 285 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 285 के मामले में 6 महीने या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 285 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 285 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 285 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 285 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 285 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 285 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 285 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।