धारा 257 आईपीसी - IPC 257 in Hindi - सजा और जमानत - सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 257 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 257 के अनुसार जो कोई सरकार के द्वारा राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का1 . 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 से) आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 50
कारण रखते हुए कि वह ऐसे कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, कोई उपकरण बनाएगा या बनाने की प्रव्रिEया के किसी भाग को करेगा या ऐसे किसी उपकरण को खरीदेगा, या बेचेगा या व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
सरकारी स्टांप को जालसाजी करने के उद्देश्य से साधन बनाना, खरीदना या बेचना | 7 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : सरकारी स्टांप को जालसाजी करने के उद्देश्य से साधन बनाना, खरीदना या बेचना
Punishment : 7 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 257 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 257 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 257 अपराध : सरकारी स्टांप को जालसाजी करने के उद्देश्य से साधन बनाना, खरीदना या बेचना
आई. पी. सी. की धारा 257 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 257 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 257 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 257 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 257 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 257 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 257 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 257 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 257 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 257 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।