धारा 225क आईपीसी - IPC 225क in Hindi - सजा और जमानत - उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
धारा 225क का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 225क के अनुसार जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए जो किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध हो उस व्यक्ति को किसी ऐसी दशा में, जिसके लिए धारा 221, धारा 222 या धारा 223 अथवा किसी अन्य तत्समय प्रवॄत्त विधि में कोई उपबंध नहीं है, पकड़ने का लोप करेगा या परिरोध से निकल भागना सहन करेगा--(क) यदि वह ऐसा साशय करेगा, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, तथा
(ख) यदि वह ऐसा उपेक्षापूर्वक करेगा तो वह सादा कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
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