धारा 225 आईपीसी - IPC 225 in Hindi - सजा और जमानत - किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 225 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 225 के अनुसार जो कोई किसी अपराध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी ऐसी अभिरक्षा से, जिसमें वह व्यक्ति किसी अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध हो, साशय छुड़ाएगा या छुड़ाने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ;अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो, या, जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, 1[आजीवन कारावास] से, या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ;
1 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 से आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
2 1870 के अधिनियम सं0 27 की धारा 8 द्वारा अंतःस्थापित ।
3 1949 के अधिनियम सं0 17 की धारा 2 द्वारा या आजीवन कठोरश्रम कारावास शब्दों का लोप किया गया ।
4 1957 के अधिनियम सं0 36 की धारा 3 और अनुसूची 2 द्वारा या.... के लिए शब्दों का लोप किया गया ।
5 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा निर्वासन शब्द का लोप किया गया ।
6 1949 के अधिनियम सं0 17 की धारा 2 द्वारा (6-4-1949 से) या कठोरश्रम कारावास शब्दों का लोप किया गया ।
7 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 सै) आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
8 1870 के अधिनियम सं0 27 की धारा 8 द्वारा अंतःस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 45
अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मॄत्यु-दंड से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ;
अथवा यदि वह व्यक्ति, जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, किसी न्यायालय के दंडादेश के अधीन या वह ऐसे दंडादेश के लघुकरण के आधार पर 1[आजीवन कारावास] 1।।। 2।।। 3।।। या दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ;
अथवा यदि वह व्यक्ति, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मॄत्यु दंडादेश के अधीन हो, तो वह 1[आजीवन कारावास] से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, इतनी अवधि के लिए जो दस वर्ष से अनधिक है, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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किसी भी व्यक्ति की विधिसम्मत आशंका के प्रतिरोध या बाधा, या, उसे वैध हिरासत से बचाना | 2 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानती | किसी भी मजिस्ट्रेट |
यदि आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कैद के साथ दंडनीय अपराध का आरोप लगाया जाता है | 3 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि एक पूंजी अपराध के साथ आरोप लगाया | 7 साल + जुर्माना है | संज्ञेय | गैर जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, या 10 साल या ऊपर की ओर कारावास की सजा सुनाई जाती है | 7 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
अगर मौत की सजा के तहत | आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानती | सत्र की अदालत |
Offence : किसी भी व्यक्ति की विधिसम्मत आशंका के प्रतिरोध या बाधा, या, उसे वैध हिरासत से बचाना
Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानती
Triable : किसी भी मजिस्ट्रेट
Offence : यदि आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कैद के साथ दंडनीय अपराध का आरोप लगाया जाता है
Punishment : 3 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि एक पूंजी अपराध के साथ आरोप लगाया
Punishment : 7 साल + जुर्माना है
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, या 10 साल या ऊपर की ओर कारावास की सजा सुनाई जाती है
Punishment : 7 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : अगर मौत की सजा के तहत
Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानती
Triable : सत्र की अदालत
IPC धारा 225 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 225 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 225 अपराध : किसी भी व्यक्ति की विधिसम्मत आशंका के प्रतिरोध या बाधा, या, उसे वैध हिरासत से बचाना
आई. पी. सी. की धारा 225 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 225 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 225 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 225 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 225 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 225 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 225 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 225 जमानती है।
आई. पी. सी. की धारा 225 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 225 के मामले को कोर्ट किसी भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।