धारा 209 आईपीसी - IPC 209 in Hindi - सजा और जमानत - बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 209 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 209 के अनुसार जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से या किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ कारित करने के आशय से न्यायालय में कोई ऐसा दावा करेगा, जिसका मिथ्या होना वह जानता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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न्यायलय में गलत दावा | 2 साल + जुर्माना | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : न्यायलय में गलत दावा
Punishment : 2 साल + जुर्माना
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 209 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 209 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 209 अपराध : न्यायलय में गलत दावा
आई. पी. सी. की धारा 209 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 209 के मामले में 2 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 209 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 209 गैर - संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 209 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
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आई. पी. सी. की धारा 209 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 209 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 209 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 209 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।