धारा 192 आईपीसी - IPC 192 in Hindi - सजा और जमानत - झूठा साक्ष्य गढ़ना।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


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विषयसूची

  1. धारा 192 का विवरण

धारा 192 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 192 के अनुसार जो कोई इस आशय से किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है, या किसी पुस्तक या अभिलेख या इलैक्ट्रानिक अभिलेख में कोई जाली प्रविष्टि करता है, या झूठा कथन अंतर्विष्ट रखने वाला कोई दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख रचता है कि ऐसी परिस्थिति, जाली प्रविष्टि या झूठा कथन न्यायिक कार्यवाही में, या ऐसी किसी कार्यवाही में जो लोक सेवक के समक्ष उसके उस नाते या एक मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाती है, साक्ष्य में दर्शित हो और उस साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति, जाली प्रविष्टि या झूठे कथन के कारण कोई व्यक्ति जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर राय कायम करनी है ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए तात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाए, उसे झूठा साक्ष्य गढ़ना कहा जाता है।
आईपीसी धारा 192 को बीएनएस धारा 228 में बदल दिया गया है।



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