धारा 181 आईपीसी - IPC 181 in Hindi - सजा और जमानत - शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 181 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 181 के अनुसार जो कोई शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान देने के लिए विधि द्वारा प्राधिकॄत लोक सेवक या किसी अन्य व्यक्ति से, किसी विषय पर सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा वैध रूप से आबद्ध होते हुए ऐसे लोक सेवक या यथापूर्वोक्त अन्य व्यक्ति से उस विषय के संबंध में कोई ऐसा कथन करेगा, जो मिथ्या है, और जिसके मिथ्या होने का या तो उसे ज्ञान है, या विश्वास है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, तो उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।लागू अपराध
लोक सेवक के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
सजा - तीन वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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एक लोक सेवक को जानबूझकर, सत्य के रूप में शपथ पर जो कि झूठा है | 3 साल + जुर्माना | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : एक लोक सेवक को जानबूझकर, सत्य के रूप में शपथ पर जो कि झूठा है
Punishment : 3 साल + जुर्माना
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 181 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 181 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 181 अपराध : एक लोक सेवक को जानबूझकर, सत्य के रूप में शपथ पर जो कि झूठा है
आई. पी. सी. की धारा 181 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 181 के मामले में 3 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 181 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 181 गैर - संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 181 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
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आई. पी. सी. की धारा 181 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 181 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 181 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 181 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।