धारा 154 आईपीसी - IPC 154 in Hindi - सजा और जमानत - उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर ग़ैरक़ानूनी जनसमूह एकत्रित हो

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

धारा 154 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के अनुसार

जब कभी कोई ग़ैरक़ानूनी जनसमूह या उपद्रव हो, और जिस भूमि पर ऐसा ग़ैरक़ानूनी जनसमूह या उपद्रव हो, उसका स्वामी या अधिवासी और ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला व्यक्ति, या उसका अभिकर्ता या प्रबंधक यदि यह जानते हुए कि ऐसा अपराध किया जा रहा है या किया जा चुका है या इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसे अपराध का किया जाना सम्भाव्य है, उस बात की अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार शीघ्र सूचना निकटतम पुलिस थाने के प्रधान आफिसर को न दे या उस स्तिथि में, जिसमें कि उसे या उन्हें यह विश्वास करने का कारण हो कि अपराध लगभग किया ही जाने वाला है, अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग कर उसका निवारण नहीं करता या करते और उसके हो जाने पर अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग उस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह को बिखरने या उपद्रव को दबाने के लिए नहीं करता या करते, तो उसे / उन्हें एक हजार रुपए तक के आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
उपद्रव, आदि के बारे में जानकारी न देने वाल वाला भूमि का स्वामी या अधिवासी
सजा - एक हजार रुपए तक का आर्थिक दंड।
यह एक जमानती, ग़ैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 154

भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के अनुसार, जब कभी कोई ग़ैरक़ानूनी जनसमूह या उपद्रव हो, और जिस भूमि पर ऐसा ग़ैरक़ानूनी जनसमूह या उपद्रव हो, उसका स्वामी या अधिवासी और ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला व्यक्ति, या उसका अभिकर्ता या प्रबंधक यदि यह जानते हुए कि ऐसा अपराध किया जा रहा है, या किया जा चुका है, या इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसे अपराध का किया जाना सम्भाव्य है, उस बात की अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार शीघ्र सूचना निकटतम पुलिस थाने के प्रधान आफिसर को न दे या उस स्तिथि में, जिसमें कि उसे या उन्हें यह विश्वास करने का कारण हो कि अपराध लगभग किया ही जाने वाला है, अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग कर उसका निवारण नहीं करता या करते और उसके हो जाने पर अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग उस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह को बिखरने या उपद्रव को दबाने के लिए नहीं करता या करते, तो उसे / उन्हें एक हजार रुपए तक के आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 154?

इस धारा का उद्देश्य किसी भी प्रकार की गैरकानूनी जनसमूह को रोकने के लिए उस जगह के मालिक या स्वामी को दण्डित करना होता है, जिस जगह पर उस गैरकानूनी जनसमूह को अंजाम दिया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति अपनी ही संपत्ति में ऐसी गैरकानूनी गतिवधि में लिप्त है, या फिर अन्य लोगों के साथ अपनी संपत्ति में उस गैरकानूनी जनसमूह को एकत्र किये हुए है, तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के अनुसार दण्डित किया जाता है।


धारा 154 के लिए आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के तहत अपराध के दोषी होने के लिए यह आवश्यक है, कि जिस जगह पर किसी प्रकार की गैरकानूनी जनसमूह एकत्र है, तो उस जगह के मालिक या स्वामी को यदि वह इस प्रकार की गैरकानूनी जनसमूह की जानकारी पुलिस तक नहीं पहुंचता है, तो वह व्यक्ति इस धारा के तहत अपराधी माना जायेगा।


धारा 154 के लिए सजा का प्रावधान

उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, किंतु इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि 1000 रुपये तक हो सकता है।


धारा 154 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 154 का अपराध भी बहुत बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत वह व्यक्ति अपराधी होता है, जिसकी संपत्ति पर कोई गैरकानूनी जनसमूह एकत्र होता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 154 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और ऐसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 154 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : दंगा आदि की जानकारी देने वाला भूमि का मालिक या कब्जा करने वाला


Punishment : जुर्माना


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 154 को बीएनएस धारा 193 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 154 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 154 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 154 अपराध : दंगा आदि की जानकारी देने वाला भूमि का मालिक या कब्जा करने वाला



आई. पी. सी. की धारा 154 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 154 के मामले में जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 154 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 154 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 154 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 154 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 154 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 154 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 154 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 154 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।