IPC 147 in Hindi - दंगे की धारा 147 कब लगती है सजा और जमानत

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

नमस्कार दोस्तों हमारे देश में आजकल देखा जा रहा है कि राजनीतिक पार्टियो द्वारा लोगों को जाति-धर्म के नाम पर आपस मे लडवाया जा रहा है या किसी भी अन्य कारणों से दंगे (riots) जैसे अपराध के केसो को दिन-प्रतिदिन बढावा मिल रहा है, जो कि हमारे समाज के आपसी भाईचारे के लिए बिलकुल सही नहीं है। इसी बात को लेकर अक्सर लोगों के सवाल होते है कि ऐसे अपराध किस धारा के तहत आते है तो आइए आज हम ऐसे ही IPC section के बारें में जानेंगे की आईपीसी की धारा 147 क्या होती है (IPC Section 147 in Hindi), इस आईपीसी सेक्शन में कितनी सजा होती है? और इस धारा में सज़ा का क्या प्रावधान है?

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत बनाए गए कानूनों (Laws) का निर्माण अपराधों को रोकने के लिए किया गया है लेकिन कुछ केस ऐसे होते है, जिनमें कुछ लोग निर्दोष (Innocent) होते हुए भी फंस जाते है, और ज्यादा जानकारी ना होने के कारण उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते है। तो इसीलिए आज हमने आपको बल्वा यानी दंगे की धारा 147 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है ताकि आपको इस केस से जूड़े सभी सवालों का जवाब मिल सके इसलिए इस आईपीसी सेक्शन से जुड़ी सभी जानकारी को समझने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।


धारा 147 क्या है - IPC Section 147 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह शांतिपूर्वक चल रहे किसी कार्यक्रम में उपद्रव करके अशांति फैलाने या दंगा (Riot) करने की कोशिश करता है तो ऐसे व्यक्ति या उस भीड़ में शामिल सभी लोगों पर IPC Section 147 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।

बहुत बार ऐसा देखने को मिलता है कि किसी शांतिपूर्वक चल रहे प्रदर्शनों में उस कार्यक्रम को भंग करने की मंशा से लोग तोड-फोड़ करके दंगा ) फैलाते है तो पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर ऐसे लोगों पर कोर्ट के द्वारा कार्यवाही कर सजा दिए जाने का प्रावधान (Provision) है। आइए इसे एक उदाहरण द्वारा आसान भाषा में समझने का प्रयास करते है।


दंगे की धारा 147 का उदाहरण

एक कम्पनी के कर्मचारी अपनी कुछ जरुरी बातों की मांग को लेकर शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। उनको धरने पर बैठे हुए बहुत दिन निकल गए थे लेकिन कम्पनी के मालिक द्वारा उनकी कोई मांग नहीं मानी गई। तभी कुछ लोग जो उस धरने के विरोध में थे, धरने को खराब करने की कोशिश करने के लिए तोड़-फोड़ शुरु कर देते है। इससे वहां पर violence का माहौल पैदा हो जाता है। तब पुलिस के आने पर कुछ उपद्रव करने वाले लोगों को पकड़ लिया जाता है और धारा 147 के तहत मुकदमा दर्ज (Case Register) कर लिया जाता है।


IPC 147 लगने से संबधित मुख्य बिंदु

भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत किन व्यक्तियों को अपराधी (Criminal) माना जाता है इस बात को विस्तार से जानने के लिए आपको इस Section के लागू होने की मुख्य बातों के बारे में जानना बहुत जरुरी है वे मुख्य बातें इस प्रकार है:-

  • गैरकानूनी जमावड़ा: इस के अनुसार पाँच या उससे अधिक लोग जब किसी जगह पर बिना किसी अनुमति (Permission) के इकट्ठे होते है तो उसे गैर कानूनी (illegal) माना जाता है। इसके साथ ही उन सभी का उद्देश्य किसी की शांति भंग करना या किसी को डराना या हिंसा (Violence) करना भी इस प्रावधान (Provision) के किसी व्यक्ति पर लागू होने का कारण बनता है।
  • सभा के सदस्य: आरोपी व्यक्ति को उस गैरकानूनी सभा (Unlawful Assembly) के सदस्यों में से एक होना जरुरी है। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति उस सभा में उपस्थित था और सक्रिय (किसी कार्य या अपराध को करने में शामिल होना) रुप से शामिल भी था।
  • बल या हिंसा का उपयोग: किसी सभा या लोगों के समूह (Group) में शामिल सदस्यों के द्वारा बल या हिंसा का उपयोग किया जाना चाहिए या उनके पास कोई ऐसा खतरनाक हथियार (Dangerous Weapon) होना चाहिए जो किसी व्यक्ति को ज्यादा नुकसान पहुँचा सके।
  • सामान्य उद्देश्य: सभा में शामिल सभी लोगों का एक ही उद्देश्य होना चाहिए यानी किसी अपराध को करने का डराने धमकाने का या किसी को भड़काने का एक जैसा ही इरादा (Intention) होना चाहिए।
  • सार्वजनिक शांति में बाधा डालना:- आरोपी व्यक्तियों के द्वारा बल या हिंसा का प्रयोग करके समाज के कार्यों में बाधा डालना या समाज की शांति में बाधा पहुँचाने में शामिल होने पर।

धारा 147 में सजा (जेल और जुर्माना) - IPC 147 Punishment

यदि कोई व्यक्ति या समूह उपद्रव या दंगा करने के आरोप में पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है तो आइपीसी की धारा 147 के तहत कोर्ट में कार्यवाही की जाती है अगर आरोपी न्यायालय द्वारा दोषी (Guilty) पाया जाता है तो IPC 147 के अंतर्गत 2 वर्ष की कारावास व आर्थिक जुर्माना लगाया जाता है।

अगर दोषी द्वारा और भी कोई गैर-कानूनी अपराध (Illegal Crime) या अन्य कोई हिंसक कार्य किया गया है तो उस पर अन्य IPC Sections के तहत भी कार्यवाही की जा सकती है जिसमें अपराध को देखते हुए सजा (Punishment) बढ़ाई जा सकती है।


IPC 147 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

आईपीसी की धारा 147 एक संज्ञेय अपराध (cognizable crime) की श्रेणी में आता है और यह एक जमानतीय अपराध (Bailable Offence) होता है यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है और बहुत बार देखा जाता है कि इसमें जमानत थाने (Police Station) से भी मिल जाती है।

लेकिन कोर्टt द्वारा लोगों को ऐसे अपराधों से दूर रहने व जागरुक रहने के लिए कहा जाता है ताकि लोगो द्वारा ऐसा असमाजिक कार्य दोबारा ना किया जाए।



IPC Section 147 के अपराध से संबंधित कुछ अन्य धाराएं

  • IPC Section 146: यह धारा बल का उपयोग करके किसी को नुकसान पहुँचाने वाले वाले व्यक्तियों की गिरफ्तारी (Arrest) और सजा का प्रावधान करती है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी Violence में शामिल होगा, उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • IPC Section 148: इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति घातक हथियार (Dangerous Weapon) या किसी ऐसी चीज से लैस होकर दंगा करता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति की मौत होने की संभावना है तो उसे 3 वर्ष तक की कैद व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  • IPC Section 149: इसके अनुसार गैर कानूनी सभा के सभी सदस्यों को सामान्य उद्देश्य को पूरा करने के Crime के तहत दोषी ठहराया जा सकता है। इसका अर्थ है कि किसी सभा या लोगों के समूह में मौजूद सभी सदस्यों को एक सामान Punishment दी जा सकती है। इस IPC Section की ज्यादा जानकारी पाने के लिए क्लिक करें।
  • IPC Section 153A: धर्म, जाति, जन्म स्थान, जैसी बातों को आधार बनाकर अलग-अलग जाति व धर्म के लोगों में दुश्मनी को बढ़ावा देने के Crime के बारे में बताती है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा अपराध करता है तो उस पर इस धारा के तहत तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

धारा 147 से बचाव के लिए सावधानियां

किसी भी कार्य को शांतिपूर्वक तरीके से बातचीत करके ही हल करना चाहिए। उपद्रव करना या दंगा करने से किसी भी बात का समाधान नहीं निकल सकता बल्कि ऐसा कार्य करना हमारे समाज की छवि को खराब करता है और भविष्य में आने वाली किसी बड़ी मुसीबत का भी कारण बन जाता है। तो ऐसे केसों से बचाव के लिए कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है आइए जानते है कुछ ऐसी ही जरुरी बातों के बारें में।

  • कभी भी किसी सामूहिक कार्यक्रम में किसी की जाति या धर्म के बारें में नहीं बोलना चाहिए।
  • अगर आपको लगता है कि किसी कार्यक्रम में हिंसा या दंगे (Rioting) जैसी हालात हो सकते है तो तुरन्त वहां से निकल जाना चाहिए क्योंकि ऐसे कार्यक्रमों में उपद्रव होने की स्थिति मे आप पर भी कार्यवाही की जा सकती है।
  • किसी भी भीड-भाड़ वाली जगह पर जाकर ऐसा कोई भी असामाजिक कार्य ना करें जिससे आपको बाद में परेशानी का सामना करना पडें।
  • बहुत बार देखा जाता है कि दंगा या उपद्रव करने वाला कोई और होता है लेकिन अगर उसी जगह पर आप भी है और कोई उपद्रवी आपके पास खड़ा होता है या वहां छिपा होता हे तो ऐसे मे पुलिस आपको भी पकड़ लेती है और आप पर IPC Section 147 के तहत कार्यवाही की जाती है

तो सबसे पहले तो ऐसी जगहों पर जाने से बचे लेकिन फिर भी आप पर कार्यवाही होती है तो ऐसे हालातों में घबराए नहीं बल्कि आप पर जो धारा लगी है उसके बारे में विस्तार से जानें और हमारे अनुभवी वकील से कानूनी सलाह ले


Offence : दंगे


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 147 को बीएनएस धारा 191 में बदल दिया गया है।



आईपीसी धारा 147 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 147 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 147 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 147 अपराध : दंगे



आई. पी. सी. की धारा 147 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 147 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 147 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 147 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 147 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 147 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 147 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 147 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 147 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 147 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।