धारा 117 आईपीसी - IPC 117 in Hindi - सजा और जमानत - सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 117 का विवरण
  2. धारा 117 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 117 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 117 के अनुसार जो भी कोई सामान्य जन, या दस से अधिक व्यक्तियों की किसी भी संख्या या वर्ग द्वारा किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण।
सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
इसकी अपराध की जमानत, संज्ञान और अदालती कार्रवाई किए गये अपराध अनुसार होगी।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : जनता या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा दुष्प्रेरण का अपराध


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : किये गए अपराध के समान


Bail : किये गए अपराध के समान


Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है



आईपीसी धारा 117 को बीएनएस धारा 57 में बदल दिया गया है।



आईपीसी धारा 117 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 117 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 117 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 117 अपराध : जनता या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा दुष्प्रेरण का अपराध



आई. पी. सी. की धारा 117 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 117 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 117 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 117 किये गए अपराध के समान है।



आई. पी. सी. की धारा 117 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 117 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 117 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 117 किये गए अपराध के समान है।



आई. पी. सी. की धारा 117 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 117 के मामले को कोर्ट उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है में पेश किया जा सकता है।