धारा 116 आईपीसी - IPC 116 in Hindi - सजा और जमानत - कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि अपराध न किया जाए।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 116 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 116 के अनुसार जो भी कोई कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण करेगा यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान इस संहिता में नहीं किया गया है, तो उसे उस अपराध के लिए उपबंधित किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक बढ़ायी जा सकती है, या उस अपराध के लिए उपबन्धित आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा;यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो--और यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक हो, जिसका कर्तव्य ऐसे अपराध के किए जाने को निवारित करना हो, तो दुष्प्रेरक को उस अपराध के लिए उपबंधित किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की आधी अवधि तक बढ़ायी जा सकती है, या उस अपराध के लिए उपबन्धित आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
लागू अपराध
1. कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण--यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध न किया जाए।
सजा - अपराध के लिए दीर्घतम अवधि की एक चौथाई अवधि के लिए कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
जमानत, संज्ञान और अदालती कार्रवाई, किए गये अपराध अनुसार होगी।
2. यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो।
सजा - दीर्घतम अवधि की आधी अवधि के लिए कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
जमानत, संज्ञान और अदालती कार्रवाई, किए गये अपराध अनुसार होगी।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
किसी अपराध को उकसाना, कारावास से दंडनीय, यदि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है | अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई | किये गए अपराध के समान | किये गए अपराध के समान | उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है |
यदि उकसाने वाला या व्यक्ति को उकसाया जाता है तो वह लोक सेवक हो जिसका कर्तव्य अपराध को रोकना है | अपराध या जुर्माना या दोनों के आधे | किये गए अपराध के समान | किये गए अपराध के समान | उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है |
Offence : किसी अपराध को उकसाना, कारावास से दंडनीय, यदि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है
Punishment : अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई
Cognizance : किये गए अपराध के समान
Bail : किये गए अपराध के समान
Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है
Offence : यदि उकसाने वाला या व्यक्ति को उकसाया जाता है तो वह लोक सेवक हो जिसका कर्तव्य अपराध को रोकना है
Punishment : अपराध या जुर्माना या दोनों के आधे
Cognizance : किये गए अपराध के समान
Bail : किये गए अपराध के समान
Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है
IPC धारा 116 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 116 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 116 अपराध : किसी अपराध को उकसाना, कारावास से दंडनीय, यदि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है
आई. पी. सी. की धारा 116 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 116 के मामले में अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 116 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 116 किये गए अपराध के समान है।
आई. पी. सी. की धारा 116 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 116 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 116 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 116 किये गए अपराध के समान है।
आई. पी. सी. की धारा 116 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 116 के मामले को कोर्ट उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है में पेश किया जा सकता है।