धारा 115 आईपीसी - IPC 115 in Hindi - सजा और जमानत - मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 115 का विवरण
  2. धारा 115 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 115 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 115 के अनुसार जो कोई मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबन्ध इस संहिता में नहीं किया गया है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा;
यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप क्षति करने वाला कार्य किया जाता है - और यदि ऐसा कोई कार्य कर दिया जाए, जिसके लिए दुष्प्रेरक उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दायित्व के अधीन हो और जिससे किसी व्यक्ति को क्षति कारित हो, तो दुष्प्रेरक किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे चौदह वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण,
1. यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता।
सजा - सात वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह अपराध गैर-जमानती, और इसका संज्ञान और अदालती कार्रवाई किए गये अपराध अनुसार होगी।

2. यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप क्षति करने वाला कार्य किया जाता है।
सजा - चौदह वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह अपराध गैर-जमानती, और इसका संज्ञान और अदालती कार्रवाई किए गये अपराध अनुसार होगी।

यह समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : किसी अपराध को उकसाना, मृत्यु दंडित करना या आजीवन कारावास, यदि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : किये गए अपराध के समान


Bail : गैर जमानती


Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है



Offence : यदि कोई ऐसा कार्य जो उकसाने के परिणामस्वरूप नुकसान पहुंचाता है


Punishment : 14 साल + जुर्माना


Cognizance : किये गए अपराध के समान


Bail : किये गए अपराध के समान


Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है



आईपीसी धारा 115 को बीएनएस धारा 55 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 115 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 115 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 115 अपराध : किसी अपराध को उकसाना, मृत्यु दंडित करना या आजीवन कारावास, यदि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है



आई. पी. सी. की धारा 115 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 115 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 115 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 115 किये गए अपराध के समान है।



आई. पी. सी. की धारा 115 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 115 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 115 गैर जमानती है।



आई. पी. सी. की धारा 115 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 115 के मामले को कोर्ट उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है में पेश किया जा सकता है।