धारा 112 आईपीसी - IPC 112 in Hindi - सजा और जमानत - दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


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विषयसूची

  1. धारा 112 का विवरण

धारा 112 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 112 के अनुसार यदि वह कार्य, जिसके लिए दुष्प्रेरक अन्तिम पूर्वगामी धारा के अनुसार दायित्व के अधीन है, दुष्प्रेरित कार्य के अतिरिक्त किया जाता है और वह कोई सुभिन्न अपराध गठित करता है, तो दुष्प्रेरक उन अपराधों में से हर एक के लिए दण्डनीय नहीं है ।
दृष्टांत
ख को एक लोक सेवक द्वारा किए गए करस्थम् का बलपूर्वक प्रतिरोध करने के लिए क उकसाता है । ख परिणमस्वरूप उस करस्थम् का प्रतिरोध करता है । प्रतिरोध करने में ख करस्थम् का निष्पादन करने वाले आफिसर को स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है । ख ने करस्थम् का प्रतिरोध करने और स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के दो अपराध किए हैं । इसलिए ख दोनों अपराधों के लिए दण्डनीय है, और यदि क यह सम्भाव्य जानता था कि उस करस्थम् का प्रतिरोध करने में ख स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, तो क भी उनमें से हर एक अपराध के लिए दण्डनीय होगा ।
आईपीसी धारा 112 को बीएनएस धारा 52 में बदल दिया गया है।



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