
विषयसूची
- बीएनएस की धारा 356 क्या है - BNS Section 356 in Hindi
- ऐसे कार्य जिनको करना मानहानि के अपराध की धारा 356 के तहत दंडनीय माना जा सकता है
- मानहानि के जुर्म का सरल उदाहरण
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में सजा - BNS Section 356 Punishment in Hindi
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 में जमानत का क्या प्रावधान है
- मानहानि के अपराध से संबधित अन्य धाराएं:
- BNS Section 356 में मानहानि के अपराध के कुछ आवश्यक अपवाद
- बीएनएस धारा 356 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आज के समय में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ झूठी अफवाहे फैलाना या झूठी खबरें फैलाना बहुत ही साधारण सी बात हो गई है। ना सिर्फ किताबों व पोस्टरों द्वारा बल्कि अब तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर झूठी खबरें फैलाकर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच दिया जाता है। इससे व्यक्ति का सामाजिक जीवन, करियर और मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत बुरे तरीके से प्रभावित हो सकता है। ऐसे अपराधों को मानहानि कहा जाता है और भारत में यह दंडनीय होते है। इसलिए इस लेख में आज हम मानहानि के अपराध में लागू की जाने वाली भारतीय न्याय संहिता की धारा को समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 356 क्या है (BNS Section 356 in Hindi)? मानहानि (Defamation) की धारा 356 कब व कैसे लागू होती है? इस धारा के तहत आरोपी को मिलने वाली सजा और जमानत की जानकारी?
मानहानि एक ऐसा अपराध है, जिसने कई लोगों की जिंदगियां तबाह कर दी हैं। पहले इस तरह के अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 व 502 लागू की जाती थी। लेकिन BNS ने नए कानून के रुप में जब से IPC की जगह ली है। ऐसे मामलों को BNS की धारा 356 के तहत दर्ज किया जाने लगा है। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को इस अपराध के सभी प्रावधानों व अन्य उपयोगी कानूनी जानकारियों को सरल भाषा में समझना बहुत ही आवश्यक है।
बीएनएस की धारा 356 क्या है - BNS Section 356 in Hindi
बीएनएस की धारा 356 मानहानि (Defamation) के अपराध के बारे में बताती है। जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा व सम्मान (Prestige & Honour) को हानि पहुंचाने वाले झूठे बयान दिए जाते हैं। मानहानि तब होती है जब किसी व्यक्ति के बारे में ऐसी गलत जानकारी फैलाई जाती है जो उसकी सामाजिक छवि (Social Image) को नुकसान पहुंचाती है।
मानहानि दो प्रकार की होती है:-
- परोक्ष निंदा (Indirect condemnation): जब किसी व्यक्ति के खिलाफ लिखित (Written) रूप में, चित्र, कार्टून बनाकर या किसी अन्य तरीके से झूठे और अपमानजनक बयान (false and defamatory statements) दिए जाते हैं। वह परोक्ष निंदा कहलाती है।
- प्रत्यक्ष निंदा (Direct condemnation): जब मौखिक (Verbal) रूप से यानी बोलकर किसी व्यक्ति के बारे में झूठे और अपमानजनक बयान दिए जाते हैं। यह आमतौर पर किसी सार्वजनिक स्थान (Public Places) पर या लोगों के सामने बोला जाता है, जिससे किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में मानहानि के अपराध को अलग-अलग तरीकों को 4 उपधाराओं (Sub-Sections) में विस्तार से बताया गया है। आइये उन सभी उपधाराओं को सरल भाषा में विस्तार से जानते है:-
बीएनएस धारा 356 (1):- इस उपधारा में इस अपराध की परिभाषा दी गई है। जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई ऐसा झूठा बयान (Statement) देता है जो उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है। ऐसा बयान जानबूझकर या किसी व्यक्ति से बदला लेने के लिए किया गया हो तो इसे मानहानि का अपराध माना जाएगा।
बीएनएस धारा 356 (2): इसमें धारा (1) में बताए गए मानहानि के अपराध के लिए दिए जाने वाले दंड के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचा कर मानहानि का अपराध करता है, तो उसे सजा (Punishment) के तौर पर साधारण कारावास (Simple Imprisonment), जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
बीएनएस सेक्शन 356 (3): यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई गलत जानकारी, गलत बयान या उसके खिलाफ कोई गलत लेख लिख कर उसकी प्रतिष्ठा (Prestige) को नुकसान पहुँचाएगा। उस व्यक्ति पर BNS 356(3) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण: मान लीजिए सुरेश समाचार पत्र में अजय के बारे में झूठी खबर छापता है कि वह भ्रष्टाचार के अपराध में शामिल है, जबकि सुरेश को यह पता है कि यह जानकारी गलत है। लेकिन फिर भी वो इस झूठी खबर को छापकर अजय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है।
बीएनएस सेक्शन 356 (4):- अगर कोई व्यक्ति किसी किताब, अखबार, पत्रिका जैसी किसी सामग्री को बेचता है। जिसमें किसी व्यक्ति के सम्मान या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली बाते लिखी हो। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति पर BNS 356(4) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण:- अगर सुरेश किसी किताब या अखबार में ऐसा लेख प्रकाशित करता है या बेचता है। जिसमें अजय की छवि खराब करने वाली बातें लिखी हों, तो उसे सजा दी जा सकती है।
ऐसे कार्य जिनको करना मानहानि के अपराध की धारा 356 के तहत दंडनीय माना जा सकता है
- किसी व्यक्ति के बारे में झूठी या अपमानजनक खबर छापना।
- सार्वजनिक तौर पर या मीडिया में किसी के खिलाफ गलत बयान देना।
- किसी व्यक्ति के बारे में अपमानजनक या गंदे चित्र छापना, जैसे कि किसी की छवि (Image) खराब करने वाला कार्टून बनाना।
- किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी जानकारी वाला विज्ञापन (Advertisement) देना, जैसे कि किसी की ईमदारी पर सवाल उठाना।
- किसी व्यक्ति के बारे में अखबार, किताबों में गलत जानकारी वाले लेख (Article) छापना।
- सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करना, जैसे कि किसी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली बातें शेयर करना।
- किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठे दस्तावेज (False Documents) बनाना और उन्हें सभी लोगों को दिखाना। जैसे किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी रिपोर्ट तैयार करना।
- किसी के बारे में झूठी अफवाहे (Rumors) फैलाना।
- किसी पर झूठे आरोप (False Blames) लगाना या उसके खिलाफ गलत बयान देना।
मानहानि के जुर्म का सरल उदाहरण
सुमित और करिश्मा दोनों एक ही ऑफिस में काम करते हैं। एक दिन सुमित ने करिश्मा के खिलाफ ऑफिस में एक गलत अफवाह फैलानी शुरू कर दी कि करिश्मा कंपनी के पैसे चुरा रही है। सुमित ने इस अफवाह को ऑफिस के सभी कर्मचारियों और कुछ बाहरी लोगों के बीच फैला दिया। जिससे करिश्मा का सबके सामने बहुत ही अपमान हुआ। करिश्मा ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा की सुमित उसको बदनाम करने के लिए ऐसी बाते फैला रहा है। जिसके बाद करिश्मा ने सुमित के खिलाफ BNS Section 356 के तहत मानहानि का मुकदमा दायर किया।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में सजा - BNS Section 356 Punishment in Hindi
बीएनएस की धारा 356 के तहत मानहानि के अपराध में दी जाने वाली सजाओं को भी इसकी उपधाराओं (Sub-Sections) में बताए गए अपराधों की तरह ही अलग-अलग प्रकार से बताया गया है। जो कि प्रकार से है:-
- BNS 356(2) में सजा:- सेक्शन 356(2) के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति मानहानि के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है उसे सजा के तौर पर दो साल तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। इस धारा में यह भी प्रावधान (Provision) है कि आरोपी को जेल या जुर्माने के बजाय सामुदायिक सेवा (Community Service) के रूप में दंडित किया जा सकता है। इसमें अपराधी से समाज के लिए कुछ सेवा कार्य करवाए जा सकते हैं, जैसे कि सफाई, सामाजिक जागरूकता अभियान आदि।
- BNS 356 (3) में सजा:- जो भी व्यक्ति किसी लेख या चित्र के माध्यम से किसी गलत जानकारी को छापकर मानहानि का अपराध करता है, उसे 2 साल तक की कारावास व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
- BNS 356 (4) में सजा:- जो भी व्यक्ति किसी ऐसी पुस्तक, अखबार को बेचता है या प्रकाशित करता है, जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली बात लिखी हो। ऐसे व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर एक अवधि की कारावास से लेकर 2 साल तक की कैद की सजा से दंडित किया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 में जमानत का क्या प्रावधान है
बीएनएस की धारा 356 के तहत यदि किसी व्यक्ति पर मानहानि के अपराध का मामला दर्ज किया जाता है, तो वह व्यक्ति आसानी से जमानत (Bail) ले सकता है और उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धारा 356 जमानती (Bailable) होती है। इसके साथ ही मानहानि का अपराध गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) होता है, जिसमें पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के जांच शुरू नही कर सकती है। इस मामले की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
मानहानि के अपराध से संबधित अन्य धाराएं:
- किसी को अपमानजनक शब्द कहना (BNS 352)
- महिला की तरफ गंदे इशारे करना (BNS 79)
- लोक सेवक को काम रोकने के लिए हमला करना (BNS 132)
- अश्लील हरकते करना (BNS 296)
- लोक सेवक के आर्डर को ना मानना (BNS 223)
BNS Section 356 में मानहानि के अपराध के कुछ आवश्यक अपवाद
मानहानि के अपराध में कुछ विशेष अपवाद (Exceptions) भी होते हैं, जिसका अर्थ है कि कुछ ऐसी बाते जिनके होने पर Defamation का अपराध नहीं माना जाएगा। जो कि इस प्रकार है:-
- अगर कोई व्यक्ति सच्चे तथ्य (True Facts) या बातों को लोगों के सामने लाता है, और उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं बल्कि सच्चाई को सामने लाना है। तो इसे मानहानि नहीं माना जाएगा। जैसे, किसी भ्रष्टाचार या अपराध के सच को उजागर करना।
- यदि कोई बयान या जानकारी समाज के हित में है, तो यह Defamation का अपराध नहीं माना जाएगा।
- उदाहरण के लिए किसी नेता के गलत आचरण के बारे में जानकारी देना जिससे जनता सच जान सके।
- यदि किसी व्यक्ति की आलोचना (Criticism) अच्छे इरादों के साथ की जाती है, जैसे कि सुधार या जागरूकता के लिए तो उसे भी मानहानि नहीं माना जाएगा।
- उदाहरण के लिए यदि कोई शिक्षक किसी छात्र की गलतियों की आलोचना करता है तो वह Defamation नहीं मानी जाएगी।
- यदि किसी बयान को मजाक के रूप में लिया जाता है और उसका उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं है, तो वह भी मानहानि के अंतर्गत नहीं आएगा। लेकिन मजाक में भी उस सीमा को पार नहीं करना चाहिए जिससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान हो।
बीएनएस धारा 356 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बीएनएस की धारा 356 के तहत मानहानि का अपराध क्या है और यह धारा कब लागू होती है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 मानहानि के अपराध से संबंधित है, जिसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति मौखिक, लिखित या किसी भी तरीके से कुछ ऐसी गलत जानकारी या बयान देगा। जिससे किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचेगा तो ऐसे अपराध को करने वाले व्यक्ति पर इस धारा व इसकी उपधाराओं के तहत कार्यवाही की जाएगी।
मानहानि के अपराध की धारा 356 जमानती है या गैर-जमानती?
BNS की धारा 356 जमानती होती है, जिसमें आरोपी व्यक्ति को मुकदमे के दौरान आसानी से जमानत मिल जाती है।
बीएनएस की सेक्शन 356 के तहत मानहानि के अपराध की सजा क्या है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के अपराध में दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों पर इसकी उपधाराओं में बताई गई सजा के अनुसार एक अवधि से लेकर 2 वर्ष तक की साधारण कारावास व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
अगर कोई सोशल मीडिया पर मेरे बारे में गलत बयान देता है, तो क्या मैं मानहानि का मुकदमा कर सकता हूँ?
BNS Section 356 का जुर्म संज्ञेय है या गैर-संज्ञेय?
मानहानि के अपराध में लागू की जाने वाली बीएनएस सेक्शन 356 गैर-संज्ञेय होती है। इस अपराध में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पुलिस को अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है।