BNS Section 191 in Hindi - दंगे की बीएनएस धारा में सजा और जमानत


BNS Section 191 in Hindi

अपने दोस्तों या किसी अन्य जानने वाले व्यक्ति के साथ किसी जगह जाकर किसी धर्म या व्यक्ति के बारे में कुछ गलत बोलना एक बड़ी हिंसा का कारण बन सकता है। जिसके कारण तोड़-फोड़ से लेकर दंगे जैसे हालात भी बन सकते है, साथ ही किसी भी गैर-कानूनी सभा में जाना भी हमें कानून की नजरों में एक अपराधी बना सकता है। भारतीय कानून के अंदर ऐसे ही अपराध के लिए धारा है, जिनकी जानकारी हम में से बहुत से लोगों को आज तक नहीं है। इसलिए आज हम भारतीय न्याय संहिता के तहत दंगे के अपराध की धारा के बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको बहुत ही सरल भाषा द्वारा देंगे की जैसे कि बीएनएस धारा 191 क्या है? (BNS Section 191 in Hindi)? इस सेक्शन में सजा का क्या प्रावधान है और धारा 191 में जमानती है या जमानती?

दंगे जैसे गंभीर अपराधों पर बहुत पहले से ही सख्त कानून बनाकर कार्यवाही की जाती रही है, लेकिन कुछ ही समय पहले बने नए कानून BNS के आने से इस अपराध को और भी सख्त कर दिया गया है। पहले दंगे के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 146 व 148 लागू की जाती थी। लेकिन अब से दंगे से जुड़े अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 191 व उसकी उपधाराओं को लागू कर कार्यवाही की जाएगी। इसलिए इन सभी नए बदलावों की जानकारी देश के प्रत्येक व्यक्तियों व इस अपराध के आरोप झेल रहे लोगों को होना बहुत ही जरुरी है। जिससे इस अपराध के सभी प्रावधानों के साथ-साथ बचाव उपायों की भी जानकारी आप सभी को हो जाए, इसलिए इस लेख को आखिर तक पढ़े।


बीएनएस की धारा 191 क्या है - BNS Section 191 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 दंगा (Riot) करने के अपराध से संबंधित है। दंगा एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पांच या उससे अधिक लोग एक साथ मिलकर गैर-कानूनी रुप से सभा (Unlawful Assembly) का आयोजन करके एकत्र होते है। इन सभी का उद्देश्य कानून के विरुद्ध कार्य करने या बल प्रयोग करने का होता है।

बीएनएस धारा 191 को मुख्य रुप से 3 उपधाराओं (Sub-Sections) में बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है :-

  • BNS 191 (1):- धारा 191(1) में दंगे के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि जब किसी गैर-कानूनी सभा (Unlawful Assembly) में 5 या 5 से अधिक लोग इकट्ठे होते है, व उस सभा में बल व हिंसा (violence) का प्रयोग करते है। तो उस सभा के प्रत्येक सदस्यों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(1) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
  • BNS 191 (2): धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति या समूह किसी गैर-कानूनी सभा में बिना किसी घातक हथियार (Dangerous Weapons) के हिंसा करता है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी (Guilty) पाये जाने कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
  • BNS 191 (3) इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी गैर-कानूनी सभा में घातक हथियार के साथ हिंसा करेगा। उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर साधारण दंगे की सजा में दी जाने वाली सजा से ज्यादा दंड दिया जाता है।

नोट :- इन सभी उपधाराओं की सजा के बारे में नीचे संपूर्ण जानकारी दी गई है, जिनको पढ़ कर आप सजा व जुर्माने के दंड की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है।


भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 की मुख्य बातें:-

  1. अवैध सभा: पाँच या उससे अधिक व्यक्तियों का एक साथ इकट्ठा होना, जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी हो या जिसके होने पर सार्वजनिक शांति (Public Peace) खराब हो।
  2. बल या हिंसा: दंगा करने के अपराध के लिए बल या हिंसा (force or violence) का प्रयोग आवश्यक है। इससे व्यक्तियों या संपत्ति को नुकसान पहुँचाना शामिल हो सकता है।
  3. सामान्य उद्देश्य: गैरकानूनी सभा का एक सामान्य उद्देश्य होना चाहिए, और बल या हिंसा का प्रयोग उस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए होना चाहिए।
  4. सदस्यता: बल या हिंसा के प्रयोग के समय आरोपी व्यक्ति को गैरकानूनी सभा का सदस्य होना चाहिए। यानी जिन लोगों पर आरोप लगाए गए है वे हिंसा के समय उस सभा में मौजूद होने चाहिए।

BNS धारा 191 के तहत अपराध माने जाने वाले कार्य

  • लोगों के समूह द्वारा सार्वजनिक स्थानों (Public Places) पर तोड़ फोड़ करना सड़कों, इमारतों या अन्य सार्वजनिक संपत्ति को जानबूझकर (Intentionally) नुकसान पहुंचाना।
  • घरों, दुकानों या वाहनों को आग लगाना।
  • पुलिस या अन्य लोगों पर पत्थर मारकर हमला करना।
  • लाठियां, डंडे या अन्य हथियारों का उपयोग करके लोगों को घायल करना।
  • दुकानों या घरों में घुसकर सामान लूटना या तोड़फोड़ करना।
  • सड़कों को जाम करके या वाहनों को नुकसान पहुंचाकर यातायात (Traffic) को बाधित करना।
  • सरकारी कार्यालयों या अन्य सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
  • मंदिरों, मस्जिदों या चर्चों जैसे धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना।
  • दंगा भड़काने के लिए झूठी अफवाहें फैलाना।
  • भाषण या अन्य माध्यमों से लोगों को हिंसा के लिए उकसाना।
  • जानबूझकर एक गैरकानूनी सभा में शामिल होना।
  • बल या धमकी के माध्यम से अन्य लोगों को गैरकानूनी सभा (Unlawful Assembly) में शामिल होने के लिए मजबूर करना।

बीएनएस सेक्शन 191 का आपराधिक उदाहरण

अजय, विजय और रोहित एक छोटे से शहर में रहते थे। कुछ ही समय पहले उनके शहर में एक नई फैक्ट्री खोली गई थी, जिसके कारण उस क्षेत्र का प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया था। बढ़ते प्रदूषण से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने फैक्ट्री के मालिक से प्रदूषण कम करने के लिए कहा, लेकिन फैक्ट्री के मालिक ने उनकी बात को अनदेखा कर दिया। इस बात से नाराज होकर अजय, विजय और रोहित अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर प्रदर्शन करने की सोचते है। जिसके बाद वो बिना पुलिस की अनुमति के गैर-कानूनी रुप से प्रदर्शन करने लग जाते है। पहले तो प्रदर्शन बहुत ही शांतिपूर्ण रुप से चल रहा होता है, लेकिन कुछ ही देर बाद कुछ शरारती लोगों ने प्रदर्शन में शामिल होकर हिंसा शुरू कर दी।

उन्होंने सड़कों को जाम किया, दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी की। अजय, विजय और रोहित ने भीड़ को शांत करने की भी बहुत कोशिश की लेकिन वे उसमें असफल रहे। आखिर में हिंसा ज्यादा बढ़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। क्योंकि अजय, विजय और रोहित एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे जिसमें बल और हिंसा का उपयोग किया गया था, इसलिए वे भी BNS की धारा 191 के तहत अपराध के दोषी पाए जा सकते हैं।


BNS Section 191 (1) (2) (3) के तहत सजा

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 में दंगे के अपराध की सजा (Punishment For Rioting) में बताया गया है कि किसी भी गैर-कानूनी सभा में किसी भी प्रकार की हिंसा होती है। तो उस सभा के सभी सदस्यों (Members) को दोषी (Guilty) मानकर सजा दी जा सकती है। दंगे के अपराध की सजा को BNS की धारा 191 की अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में बताया गया है।

  • बीएनएस की धारा 191 (2) की सजा:- धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि किसी दंगे में घातक हथियार का शामिल ना किया गया हो, तो ऐसे अपराध में दोषी व्यक्तियों को 2 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।
  • बीएनएस की धारा 191 (3) की सजा:- इसमें बताया गया है कि जब भी किसी गैर-कानूनी सभा के सदस्य दंगे में किसी घातक हथियार से हमला (Attack) करने के अपराध के दोषी पाये जाते है। उन्हें सजा के तौर पर 5 वर्ष तक कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। घातक हथियार का मतलब कोई भी ऐसा हथियार है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति को मारने या गंभीर रूप से घायल (injured) करने के लिए किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 में जमानत कब व कैसे मिलती है

बीएनएस की धारा 191 के अनुसार दंगे के अपराध को बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्तियों को तुरन्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके साथ ही यह एक गैर-जमानती (Non-Bailable) अपराध भी होता है, जिसमें गिरफ्तारी के बाद आरोपी व्यक्ति को अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) पर रिहा नहीं किया जा सकता।


BNS 191 के अपराध में बचाव के कुछ उपाय

  • दंगे के अपराध के तहत यदि आप पर कार्यवाही की जाती है तो अपने बचाव (Defence) के लिए आपका सबसे पहला कदम किसी वकील से मिलकर सलाह लेना होना चाहिए।
  • वकील (Lawyer) आपके मामले को अच्छे से जानेगा व आगे की कार्यवाही के लिए रणनीति बनाएगा।
  • इसके अलावा आप अपने बचाव के लिए यह साबित कर सकते हैं कि आप उस सभा में मौजूद ही नहीं थे जहां दंगा हुआ था।
  • अगर गलती से आप सभा में मौजूद भी थे, तो आप यह साबित कर सकते हैं कि आपने किसी भी हिंसक गतिविधि (Violent Activity) में भाग नहीं लिया था।
  • आप अपने बचाव के लिए यह साबित कर सकते हैं कि आपने हिंसा को रोकने की कोशिश की थी।
  • आप यह दावा कर सकते हैं कि आपको जबरदस्ती या धमकी देकर उस सभा में शामिल किया गया था।
  • आप यह साबित कर सकते हैं कि पुलिस ने आपको गलत व्यक्ति के रुप में पहचान लिया है, आप वो नहीं है जिसे पुलिस द्वारा समझा जा रहा है।
  • आप यह साबित कर सकते हैं कि पुलिस ने आपके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है।
  • यदि आपने किसी हमले के जवाब में बल का प्रयोग किया था, तो आप आत्मरक्षा का दावा कर सकते हैं।
  • यदि आप मानसिक रूप से बीमार थे, तो आप यह दावा कर सकते हैं कि आप अपने किए गए कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं थे।
  • इसके साथ ही यदि आपके पास अपने बचाव से संबंधित कुछ अन्य सबूत (Evidences) भी है तो आप उन्हें अपने वकील की सहायता से कोर्ट में पेश कर सकते है।


ध्यान रहे ये बचाव तब ही काम करेंगे जब आप सच में निर्दोष (Innocent) होंगे यदि आपने अपराध किए है तो आपको कानूनी रुप से सजा जरुर मिलेगी। इसके अलावा बचाव उपायों के लिए आप किसी वकील की सहायता ले सकते है, जो आपकी ऐसे मामलों में पुरी मदद करेगा।

निष्कर्ष :- BNS Section 191 दंगे करने वाले लोगों को सजा देने के साथ-साथ पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए एक बहुत ही अहम कानून है। इसके द्वारा देश में होने वाली हिंसा के मामलों को रोका जा सकता है। इसलिए ऐसे अपराध की जानकारी आप सभी के लिए भविष्य में बहुत ही काम आएगी। यदि किसी वजह से आप इस प्रकार के अपराध का शिकार हो गए है, और जमानत या बचाव के लिए कानूनी सहायता प्राप्त करना चाहते है। तो आज ही आप हमारे अनुभवी से सलाह लेकर समस्या का हल प्राप्त कर सकते है।




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बीएनएस धारा 191 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


बीएनएस की धारा 191 क्या है व यह कब लागू होती है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 दंगा करने के अपराध से संबंधित है। इसमें बताया गया है कि जब 5 या उससे अधिक समूह के लोग किसी गैर-कानूनी सभा में हिंसा करते है तो उन पर इस धारा को लागू कर कार्यवाही की जाती है। 



धारा 191 के तहत दंगा करने की सजा क्या है?

दंगे के अपराध की सजा को बीएनएस धारा 191 की दो अन्य उपधाराओं में बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:- 

  • धारा 191 (2) इसमें साधारण दंगे के अपराध के दोषी व्यक्तियों को 2 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जाता है।
  • धारा 19 1(3) अगर दंगा करने में कोई घातक हथियार शामिल है, तो सजा को बढ़ाकर पाँच साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों किया जा सकता है।


गैरकानूनी सभा क्या होती है?

गैरकानूनी सभा पाँच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह है, जिनका एक ही उद्देश्य होता है कि वे कोई गैरकानूनी कार्य करें करने के लिए बल या आपराधिक बल का उपयोग करें।



क्या BNS Section 191 जमानती है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 एक गैर-ज़मानती अपराध है, जिसका मतलब है कि इसमें आरोपी व्यक्ति को ज़मानत मिलना मुश्किल है।