धारा 467 आईपीसी - IPC 467 in Hindi - सजा और जमानत - मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 467 का विवरण
  2. क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 467?
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के आवश्यक तत्व
  4. धारा 467 के लिए सजा का प्रावधान
  5. धारा 467 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
  6. धारा 467 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 467 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के अनुसार

जो काई किसी ऐसे दस्तावेज जिसका अभिप्राय कोई मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत या पुत्र के दत्तकग्रहण का प्राधिकार होना हो, अथवा जिसका अभिप्राय किसी व्यक्ति को मूल्यवान प्रतिभूति की रचना या हस्तांतरण का प्राधिकार देना, या उस पर कोई मूलधन, ब्याज या लाभांश प्राप्त करना, या कोई भी चल संपत्ति, पैसे या मूल्यवान सुरक्षा प्राप्त करने या देने के लिए हो, या कोई दस्तावेज जिसका अभिप्राय धन के भुगतान को स्वीकार करके ऋणमुक्ति की रसीद होना, या किसी चल संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की भरपाई रसीद होना हो, की कूटरचना करता है, तो उसे आजीवन कारावास, या किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा ।

लागू अपराध
1. मूल्यवान प्रतिभूति वसीयत या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण करने का प्राधिकार, या कोई धन प्राप्त करने आदि के लिए कूटरचना।
सजा - आजीवन कारावास या 10 वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक गैर-जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

2. अगर मूल्यवान प्रतिभूति केंद्र सरकार का एक वचन-पत्र है।
सजा - आजीवन कारावास या 10 वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक गैर-जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 467?

भारतीय दंड संहिता की धारा 467 किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी करने के अपराध से सम्बंधित होती है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार, जो भी कोई व्यक्ति किसी ऐसे दस्तावेज जिसका अर्थ कोई मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत या पुत्र के दत्तकग्रहण का प्राधिकार होना हो, अथवा जिसका अभिप्राय किसी व्यक्ति को मूल्यवान प्रतिभूति की रचना या हस्तांतरण का प्राधिकार देना, या उस पर राशि का कोई मूलधन, ब्याज या लाभांश प्राप्त करना, या कोई भी चल संपत्ति, पैसे या मूल्यवान सुरक्षा प्राप्त करने या देने के लिए हो, या कोई अन्य प्रकार का दस्तावेज जिसका अभिप्राय धन के भुगतान को स्वीकार करके ऋणमुक्ति की रसीद होना, या किसी चल संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की भरपाई रसीद होना हो, आदि की जालसाजी करता है, तो ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 467 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार अपराधी माना जाता है, और ऐसे अपराधी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 467 में ही उचित दंड का प्रावधान भी किया गया है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के आवश्यक तत्व

यह धारा किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी के अपराध से सम्बंधित होती है, तथा जालसाजी को भारतीय दंड संहिता की धारा 463 में परिभाषित किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 463 के अनुसार, जो कोई किसी मिथ्या दस्तावेज या मिथ्या इलैक्ट्रानिक अभिलेख अथवा दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख के किसी भाग कोट इस आशय से रचता है कि लोक को या किसी व्यक्ति को नुकसान या क्षति कारित की जाए, या किसी दावे या हक का समर्थन किया जाए, या यह कारित किया जाए कि कोई व्यक्ति संपत्ति अलग करे या कोई अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा करे या इस आशय से रचता है कि कपट करे, या कपट किया जा सके, तो वह व्यक्ति जालसाजी करने का अपराध करता है। यह एक गैर - जमानती होने के साथ - साथ गैर - संज्ञेय अपराध भी है, जो कि प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं माना जाता है।


धारा 467 के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के प्रावधानों में किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी करने के लिए एक अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था की गयी है। उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 467 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 10 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 467 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है। और वैसे भी भारतीय दंड संहिता में धारा 467 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी करने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 467 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी करने का अपराध करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत आदि की जालसाजी करने के अपराध जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 467 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : किसी मूल्यवान सुरक्षा, किसी भी मूल्यवान सुरक्षा को बनाने या स्थानांतरित करने या किसी भी धन को प्राप्त करने के लिए, या किसी भी धन को प्राप्त करने के लिए, या आदि को प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान सुरक्षा, इच्छा या अधिकार का जालसाजी


Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



Offence : जब मूल्यवान सुरक्षा केन्द्र सरकार का वचन पत्र है


Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 467 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 467 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 467 अपराध : किसी मूल्यवान सुरक्षा, किसी भी मूल्यवान सुरक्षा को बनाने या स्थानांतरित करने या किसी भी धन को प्राप्त करने के लिए, या किसी भी धन को प्राप्त करने के लिए, या आदि को प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान सुरक्षा, इच्छा या अधिकार का जालसाजी



आई. पी. सी. की धारा 467 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 467 के मामले में आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 467 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 467 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 467 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 467 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 467 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 467 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 467 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 467 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।