IPC 34 in Hindi - सामान्य इरादे से किए अपराध की धारा में सजा और जमानत
अपडेट किया गया: 01 Jan, 2025एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
- धारा 34 क्या है ? IPC Section 34 in Hindi
- धारा 34 में जमानत का प्रावधान ? IPC 34 is Bailable or Not?
- आईपीसी धारा 34 कब लगती है - मुख्य बिंदु
- सामान्य आशय और सामान्य उद्देश्य के बीच अंतर
- IPC Section 34 के तहत अपराध का उदाहरण
- धारा 341 में सजा ? IPC 341 Punishment in Hindi
- वे अपराध कौन-कौन से है जिन पर आईपीसी की धारा 34 लागू होती है?
- आईपीसी की धारा 34 के तहत बचाव
- IPC Section 34 में सावधानी रखने योग्य जरुरी बातें
- प्रशंसापत्र - आईपीसी धारा 34 आईपीसी वास्तविक के मामले
- धारा 34 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अधिकतर केसों मे देखा जाता है कि दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अपराध को करते है तो उनमें सबसे ज्यादा सजा उस व्यक्ति को मिलती है जिसकी उस अपराध को करने में मुख्य भूमिका रही हो। लेकिन आईपीसी की एक धारा ऐसी भी है जिसमें अपराध करने वाले सभी व्यक्तियों को एक समान सजा (Punishment) की बात कही गई है। आज के आर्टिकल में हम उसी धारा के बारे में बात करेंगे। चलिए जानते है भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली आईपीसी की धारा 34 क्या है (What is IPC Section 34 in Hindi), ये धारा कब और किस क्राइम में लगती है? धारा 34 में सज़ा और जमानत का क्या प्रावधान है?
भारतीय संविधान के द्वारा अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अपराधों का वर्णन देखने को मिलता है जिनके बारे में लोगों के मन में भी बहुत से सवाल होते है। आज हम आपको Section 34 से जुडे़े सभी सवालों के जवाब बिल्कुल साधारण भाषा में स्पष्ट रुप से देंगे। यदि आप IPC 34 के हर पहलू को जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े।
धारा 34 क्या है – IPC Section 34 in Hindi
भारतीय दंड संहिता के अनुसार IPC Section 34 के अनुसार जब दो या दो से ज्यादा व्यक्ति किसी अपराध को सामान्य इरादे से करते है, तो प्रत्येक व्यक्ति उस अपराध को करने का जिम्मेदार होता है (Acts done by several persons in furtherance of common intention) जैसे कि अपराध उसके अकेले के द्वारा ही किया गया हो। आइए इसे स्पष्ट रुप से समझने का प्रयास करते है।
इस धारा को समझने से पहले 'सामान्य इरादे' ( Common intention) शब्द के अर्थ को समझना चाहिए। सामान्य इरादे के साथ अपराध का मतलब होता है दो या दो से अधिक लोगों का किसी अपराध को करने के लिए एक जैसा इरादा होना। सभी द्वारा पहले से ही किसी अपराध को करने के लिए योजना बनाकर उस अपराध को करना।
इस मामले में दो या दो से अधिक जो भी व्यक्ति योजना बनाकर सामान इरादे से कोई भी अपराध करेंगे। उस अपराध की जो भी सजा होगी। उसके साथ आईपीसी की धारा 34 का इस्तेमाल होगा। यह बताने के लिए कि इस अपराध को करने का इरादा सबका एक ही था। जिस वजह से सभी को अपराध के सजा के प्रावधान अनुसार बराबर सजा मिलेगी।
आईपीसी धारा 34 कब लगती है - मुख्य बिंदु
आईपीसी की धारा 34 के तहत कुछ मुख्य तत्व (Key Elements Of IPC Section 34) शामिल होते है, इन तत्वों के द्वारा इस बात को निर्धारित करने में मदद मिलती है कि सामूहिक रुप से किए गए अपराध के लिए सभी व्यक्तियों को जिम्मेदार माना जा सकता है या नहीं।
ये मुख्य बातें या आवश्यक तत्व इस प्रकार है:-
- क) एक सामान्य इरादे की उपस्थिति: संयुक्त दायित्व (यानी किसी कार्य को करने के लिए एक से ज्यादा व्यक्ति शामिल हो।) को साबित करने के लिए इस बात को साबित करना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि सभी व्यक्तियों का अपराध करने का एक समान इरादा था। इसका मतलब यह है कि उन सभी के बीच गैरकानूनी कार्य में शामिल होने के लिए आपसी समझ और सहमति होनी चाहिए।
- ख) अपराध में भागीदारीः इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति की उस अपराध को करने में भागीदारी होना भी एक आवश्यक तत्व है। केवल घटनास्थल (Crime Scene) पर उपस्थित होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि क्राइम को साबित करने के लिए ऐसे सबूत (Proof) होने चाहिए जो आपराधिक कृत्य (Criminal Act) को अंजाम देने में दुसरे व्यक्ति के द्वारा अपराध को मुख्य आरोपी (Main Accused) के साथ करने में भागीदारी को दर्शाता हो।इसका मतलब है कि उस व्यक्ति द्वारा भी उस क्राइम में कोई ना कोई ऐसा कार्य किया गया हो जो मुख्य आरोपी के समान भागीदार हो।
- ग) सामान्य इरादे में योगदान: इसमें यह साबित करना भी जरुरी है कि किसी अपराध में शामिल सभी व्यक्तियों ने उस अपराध को करने में किसी ना किसी तरीके से अपना योगदान दिया है। उस अपराध को एक ही इरादे से करने के लिए। जैसे कुछ लोग एक साथ मिलकर चोरी करते है तो उसमें कोई व्यक्ति सहायता करता है, कोई निर्देश देता है, या कोई चोरी करने के लिए ताले तोड़ता है। इस सब में कार्य सब का कार्य अलग होता है लेकिन इन सब का इरादा एक ही होता है, चोरी करने का।
सामान्य आशय और सामान्य उद्देश्य के बीच अंतर
आप सभी का इन दोनों के बीच के अंतर को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए यहाँ सामान्य इरादे और सामान्य उद्देश्य के बीच अंतर के अंतर को विस्तार से बताया गया है।
सामान्य इरादा (Common Intention):-
सामान्य इरादा एक आपराधिक (Criminal) कार्य में शामिल होने वाले सभी व्यक्तियों के मन की स्थिति के बारे में बताता है। इसके द्वारा यह पता चलता है कि किसी अपराध को करने के लिए Group में शामिल सभी व्यक्तियों की किसी अपराध को करने का इरादा एक जैसा ही है और क्राइम को करने में सभी के बीच आपसी समझ व सहमति (Consent) है।
उदाहरण के लिए यदि लोगों का एक समूह (Group) किसी बैंक को लूटने की योजना बनाता है और वे सभी बैंक को लूटने में सक्रिय (Active) रूप से भाग लेते हैं, तो यह कहा जा सकता है कि उनका बैंक लूटने के अपराध को करने का सामान्य (एक जैसा) इरादा था।
सामान्य उद्देश्य (Common Object)
दूसरी ओर सामान्य उद्देश्य से इस बात का पता चलता है कि किसी अपराध को करने के दौरान एक समूह के सभी व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी (Active Participation) नहीं थी। लेकिन ऐसे मामलों को अंजाम देने के लिए सभी लोगों की अलग-अलग भूमिकाएं होती है, परन्तु ये सभी एक ही उद्देश्य को मिलकर पूरा करने के लिए कार्य करते है।
उदाहरण के द्वारा समझे तो यदि कोई समूह सार्वजनिक संपत्ति (Public Property) को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहा है, तो ऐसे अपराध को करने में कुछ सदस्य तो तोड़ फोड़ करने या नुकसान करने का कार्य करते है, लेकिन कुछ सदस्य उस काम को बिना आगे आए छिपकर करते है या ऐसा करने वालों की किसी तरह से मदद करते है। ऐसे में सभी का सामान्य उद्देश्य होता है।
IPC Section 34 के तहत अपराध का उदाहरण
एक बार अमित और सुरेश नाम के दो व्यक्ति होते है। वे दोनों अपनी अलग-अलग वजह से रमेश से नफरत करते थे। वे दोनों रमेश को मारने की योजना बना रहे होते है। एक दिन अमित और सुरेश मौका देखकर रमेश की हत्या कर देते है।
जब पुलिस दोनों को रमेश की हत्या के आरोप (Blame) में गिरफ्तार (Arrest) करती है तो अमित पुलिस को बताता है कि वह रमेश को मारना तो चाहता था लेकिन उसने केवल उसके हाथ पकड़े थे। चाकू तो सुरेश ने मारा था। परन्तु दोनों पर ही रमेश की हत्या करने के कारण धारा 302 के तहत कार्यवाही की जाती है। भले ही चाकू सुरेश ने मारा हो लेकिन रमेश की हत्या का इरादा तो अमित का भी था। इसीलिए धारा 302 के साथ ही धारा 34 अपलाई होती है। जिसमें न्यायालय (Court) द्वारा दोनों को उम्रकैद (life imprisonment) की सजा होती है।
धारा 341 में सजा – IPC 341 Punishment in Hindi
आईपीसी की धारा 34 में किसी भी तरह के अपराध की सजा का प्रावधान नहीं दिया गया है, इस धारा में केवल समान इरादे या संयुक्त दायित्व (Joint Liability) के अपराध के बारे में बताया गया है। जैसा कि हमने आपको बताया यदि दो या दो से ज्यादा व्यक्ति किसी भी अपराध को एक ही इरादे से करते है तो उस अपराध की जो भी धारा होगी उसके साथ धारा 34 लग जाएगी। लेकिन सजा उन्हें उसी अपराध की मिलेगी जो उन्होने किया है। धारा 34 केवल यह निर्धारित (Determine) करती है कि सभी ने योजना (planning) बनाकर एक ही इरादा (Intention) बना कर अपराध किया है तो सभी सजा के भी बराबर हिस्सेदार होंगे।
धारा 34 में जमानत का प्रावधान – IPC 34 is Bailable or Not?
आई पी सी की धारा 34 के बारे में हमने उपर बताया कि इस धारा का इस्तेमाल केवल किसी अपराध को बताने के लिए होता है। जिस कारण इस धारा को अन्य अपराध की धाराओं के साथ लगाया जाता है। इसलिए धारा 34 में जमानत का कोई प्रावधान नहीं दिया गया है।
वे अपराध कौन-कौन से है जिन पर आईपीसी की धारा 34 लागू होती है?
आईपीसी की Dhara 34 बहुत से आपराधिक अपराधों पर लागू होती है। जिनमें से कुछ मुख्य अपराधों के बारे में आज हम आपको बताएंगे।
- हत्या: जब कई लोग एक साथ मिलकर किसी अन्य व्यक्ति की इरादतन हत्या (Intentional Murder) में भाग लेते हैं, तो इस अपराध को करने में शामिल सभी व्यक्तियों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- डकैती: यदि कई व्यक्तियों एक समूह एक साथ मिलकर डकैती की योजना बनाते है और उसे अंजाम देते है, तो आईपीसी Section 34 यह सुनिश्चित करती है कि उन सभी पर चोरी और उससे संबंधित अपराधों के तहत सामूहिक रूप से आरोप लगाए जा सकता है और उन्हें डकैती की धारा 395 और IPC 34 के तहत दंडित भी किया जा सकता है।
- अपहरण: जब कई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध उसका अपहरण (Kidnaping) कर लेते है तो उस अपराध में शामिल सभी अपराधियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- दंगे: IPC की धारा 34 सांप्रदायिक हिंसा जैसे मामलों में भी लागू होती है जिसमें कई व्यक्ति एक साथ मिलकर किसी संपत्ति को नुकसान पहुँचाते है और सार्वजनिक शांति (Public Peace) को भंग करने का गैर-कानूनी (Illegal) काम करते है।
- गिरोह से संबंधित अपराध: एक साथ संगठित होकर आपराधिक समूहों के द्वारा किए गए अपराधो भी आईपीसी की आईपीसी 34 के दायरे में आते हैं। इनमें जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी या गिरोह (Gang) द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियां शामिल हो सकती हैं।
Section 34 के लागू होने के लिए केवल यही अपराध नहीं है इसके अलावा भी बहुत से ऐसे अपराध हो सकते है, जिन पर धारा 34 लागू हो सकती है। इसलिए हमने कुछ मुख्य अपराधों का जिक्र आपके सामने केवल आपको समझाने के लिए किया है।
आईपीसी की धारा 34 के तहत बचाव
यदि कोई व्यक्ति निर्दोष (Innocent) है और जबरदस्ती उस पर IPC Section 34 के तहत आरोप लगाए जाते है तो ऐसे लोगों के लिए यहाँ कुछ बचाव (Defence) दिए गए है।
- सामान्य इरादे या सामान्य उद्देश्य की अनुपस्थिति: बचाव के रुप में यह तर्क देना की किसी कार्य को करने में आपका अन्य सभी व्यक्तियों के सामान ना ही कोई सामान उद्देश्य (Common Object) था और ना ही कोई सामान्य इरादा (Common intention) था। इसका मतलब है कि आपका कोई भी अपराध करने का इरादा या उद्देश्य नहीं था बल्कि आप जिस जगह किसी के साथ गए थे वहाँ आपके साथ वाला व्यक्ति ऐसा कोई अपराध कर देगा आपको इस बात कि कोई जानकारी नहीं थी।
- सक्रिय भागीदारी का अभाव: एक अन्य बचाव के रुप में आपको यह भी साबित (Prove) करना होगा कि आरोपी (Accused) का उस अपराध में किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष रुप (Directly) से कोई भी भागीदारी नहीं थी और उसकी अपराध को करने में कोई भी भूमिका नहीं थी।
- गलत पहचान: ऐसे मामलों में अगर आरोपी (Accused) यह साबित कर दे कि उसे इस अपराध के तहत गलत पहचान (Identify) कर जबरदस्ती आरोपी बनाया गया है, अपनी बेगुनाही (Innocence) को साबित करने के लिए आप अपने बचाव से जुड़े सभी सबूत (Evidence) दे सकते है। जिनसे ये साबित हो सके कि आप घटना वाली जगह पर उपस्थित ही नहीं थे।
- सबूत की कमी: यदि सामने वाला पक्ष के पास आपके खिलाफ किसी ग्रुप से जुड़े होने के सबूत ही नहीं है तो आप का संयुक्त दायित्व के मामले में बचाव हो सकता है।
इस तरह के मामलों के लिए ज्यादा सटीक व अन्य बचाव के तरीकों के लिए आप सभी को किसी कानूनी सलाहकार (Legal Advisor) से कानूनी सलाह (Legal Advice) लेने के लिए कहा जाता है। कोई भी कार्य करने से पहले किसी वकील (Lawyer) से या कानूनी सलाहकार की सलाह जरुर लें।
IPC Section 34 में सावधानी रखने योग्य जरुरी बातें
वैसे तो हमने IPC Section 34 के बारे में आपको सभी जानकारियाँ दे दी है लेकिन कुछ जरुरी बातें है जिनका आपको जरुर ध्यान रखना चाहिए।
- यदि कोई व्यक्ति आपको अपने साथ किसी अपराध में शामिल होने के लिए कोई भी लालच देता है तो ऐसे व्यक्ति का साथ बिल्कुल भी ना दे।
- यदि कोई व्यक्ति चोरी (Theft) करता है और वो आपको अपने साथ ये कहकर ले जाता है कि चोरी में करुंगा तु बस बाहर से बता देना कि कोई आ तो नहीं रहा तो ऐसे में पकड़े जाने पर आपको भी बराबर सजा मिलेगी। भले ही आपने चोरी ना की हो। क्योंकि आपको यह तो पता था कि वो वहाँ चोरी करने के इरादे से जा रहा है।
- अगर आप अपने किसी दोस्त के साथ किसी झगड़े वाली जगह हुए है और यदि आपका दोस्त झगड़ा होने पर सामने वाले की हत्या (Murder) कर देता है तो आपको भी समान रुप से ही Equally Punishment मिल सकती है।
- अक्सर लोग यह सोचकर अपराध में एक दूसरे का साथ दे देते है कि उन्हें तो वहाँ कुछ करना नहीं जो करना है वो खुद करेगा। लेकिन यह जानते हुए भी की जिसके साथ आप जा रहे है वो कुछ अपराध ही करेगा तो आप भी उस अपराध के बराबर के हिस्सेदार बन जाते है। ऐसा कोई भी काम करने से बचे।
अपनी कानूनी समस्या के लिए वकील से बात करें
प्रशंसापत्र - आईपीसी धारा 34 आईपीसी वास्तविक के मामले
1. “मेरे पड़ोसी के बेटे को एक चोर ने मार डाला जो एक अन्य व्यक्ति के साथ था। भले ही चोरों में से केवल एक ने बेटे को मारा था जब उसने चोरों को घर लूटते देखा, फिर भी अदालत ने दोनों चोरों को लूट और यहां तक कि हत्या का दोषी माना। कोर्ट ने कहा कि हत्या दोनों चोरों के सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। मेरे पड़ोसियों को न्याय मिला, उनके वकील के लिए धन्यवाद, जिन्होंने उनकी ओर से अथक संघर्ष किया। “
- सुश्री बरूनी मेहरा
2. “मेरे भाई पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है और एक झोलाछाप डॉक्टर के साथ सामान्य इरादे से गर्भपात कराने का आरोप लगाया गया है, जो गलत और असत्य है। मेरा भाई अपनी पत्नी को गर्भपात कराने के लिए अस्पताल ले गया, लेकिन डॉक्टर झोलाछाप था और उसने ऐसा नहीं किया।“ ऐसा करने की विशेषज्ञता है और मेरे भाई को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी। गर्भावस्था को समाप्त करने की कोशिश करते समय, डॉक्टर ने कुछ गलत किया जिससे मेरे भाई की पत्नी की मृत्यु हो गई। अब इस डॉक्टर और मेरे खिलाफ एक अदालती मामला चल रहा है भाई, भले ही मेरे भाई पर गलत आरोप लगाया गया है। हमारे पक्ष में एक अच्छा वकील है लेकिन मामला कमजोर लग रहा है और ऐसा लग रहा है कि यह मेरे भाई के खिलाफ फैसला सुनाने वाला है। हम सबूत तैयार कर रहे हैं और अपने भाई को बचाने की कोशिश कर रहे हैं भयानक आरोप।“
- श्री कमल दासपन
3. “तीन अन्य लोगों के साथ मेरे दोस्त ने मृतक पर हमला किया क्योंकि उसके एक आदमी के साथ अवैध संबंध थे। एक आदमी ने कंधे के पीछे एक तेज कट लगाया, दूसरे ने उसके सिर पर गंभीर रूप से वार किया और अन्य दो ने कोई गंभीर चोट नहीं पहुंचाई। लड़की को चोट पहुँचाने के बाद, उसे मारने वाले सभी लोग अपराध स्थल से भाग गए। महिला की मृत्यु हो गई और उसकी मृत्यु का कारण सिर की चोट थी। जिन दो पुरुषों ने कोई गंभीर चोट नहीं पहुँचाई (मेरे दोस्त सहित) ने बहस की अदालत ने कहा कि मौत उनके कारण नहीं हुई थी और उन्हें हत्या का दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। हालांकि, सत्र न्यायालय ने कहा कि सभी 4 आरोपी पुरुष धारा 302 के तहत और धारा 34 के तहत भी हत्या के दोषी होंगे। मेरा दोस्त अब उच्च न्यायालय में अपील के लिए जा रहे हैं।“
- श्री मनोज खुमाओ
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
आईपीसी धारा 34 क्या है?
IPC की धारा 34 ऐसे मामलों के बारे में बताती है, जो एक सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्यों से संबंधित है।
IPC 34 में "सामान्य आशय" का क्या अर्थ है?
"सामान्य इरादा" एक विशेष अपराध को करने के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच साझा इरादे या समझ के बारे में बताता है। जिसका अर्थ है कि किसी भी कार्य को करने के लिए पहले से ही योजना बनाई जाती है। इस कार्य को करने में शामिल सभी लोगों को भागीदारी होती है और सभी को उस कार्य के परिणामों की भी पूरी समझ होती है
क्या IPC 34 को सभी अपराधों पर लागू किया जा सकता है?
हां, भारतीय दंड संहिता या अन्य कानूनों में उल्लिखित किसी भी अपराध पर धारा 34 लागू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सभी का सामान्य इरादा शामिल होना चाहिए।