धारा 221 आईपीसी - IPC 221 in Hindi - सजा और जमानत - पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 221 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 221 के अनुसार जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए, जो किसी अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध है, ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साशय लोप करेगा या ऐसे परिरोध में से ऐसे व्यक्ति का निकल भागना साशय सहन करेगा या ऐसे व्यक्ति के निकल भागने में या निकल भागने के लिए प्रयत्न करने में साशय मदद करेगा, वह निम्नलिखित रूप से दंडित किया जाएगा, अर्थात्् :--यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह मॄत्यु से दंडनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा
1 1894 के अधिनियम सं0 3 की धारा 8 द्वारा अंतःस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 44
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह 1[आजीवन कारावास] या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो पकड़ा जाना चाहिए था वह दस वर्ष से कम की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय अपराध के लिए आरोपित या पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
जानबूझकर एक कानून से बंधे एक लोक सेवक की ओर से गिरफ्तार करने के लिए चूक एक अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए, अगर अपराध पूंजी हो | 7 साल के साथ या जुर्माना बिना | उस अपराध के समान जिसमे ऐसी चूक संज्ञेय या गैर संज्ञेय बनायीं गयी है | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि 10 साल के लिए आजीवन कारावास या कारावास के साथ दंडनीय | 3 साल के साथ या जुर्माना बिना | संज्ञेय | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि 10 साल से कम के लिए कारावास के साथ दंडनीय | 2 साल के साथ या जुर्माना बिना | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
Offence : जानबूझकर एक कानून से बंधे एक लोक सेवक की ओर से गिरफ्तार करने के लिए चूक एक अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए, अगर अपराध पूंजी हो
Punishment : 7 साल के साथ या जुर्माना बिना
Cognizance : उस अपराध के समान जिसमे ऐसी चूक संज्ञेय या गैर संज्ञेय बनायीं गयी है
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि 10 साल के लिए आजीवन कारावास या कारावास के साथ दंडनीय
Punishment : 3 साल के साथ या जुर्माना बिना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि 10 साल से कम के लिए कारावास के साथ दंडनीय
Punishment : 2 साल के साथ या जुर्माना बिना
Cognizance :
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
IPC धारा 221 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 221 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 221 अपराध : जानबूझकर एक कानून से बंधे एक लोक सेवक की ओर से गिरफ्तार करने के लिए चूक एक अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए, अगर अपराध पूंजी हो
आई. पी. सी. की धारा 221 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 221 के मामले में 7 साल के साथ या जुर्माना बिना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 221 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 221 उस अपराध के समान जिसमे ऐसी चूक संज्ञेय या गैर संज्ञेय बनायीं गयी है है।
आई. पी. सी. की धारा 221 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 221 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 221 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 221 जमानती है।
आई. पी. सी. की धारा 221 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 221 के मामले को कोर्ट मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी में पेश किया जा सकता है।