धारा 215 आईपीसी - IPC 215 in Hindi - सजा और जमानत - चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 215 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 215 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम संपत्ति के वापस करा लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दंडनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सम्मत होगा, वह, जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़वाने के लिए और अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के लिए उपयोग में न लाए, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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चल संपत्ति की वसूली में मदद करने के लिए उपहार लेना, जिसमें से एक व्यक्ति अपराधी की आशंका के बिना किसी अपराध से वंचित हो गया है | 2 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : चल संपत्ति की वसूली में मदद करने के लिए उपहार लेना, जिसमें से एक व्यक्ति अपराधी की आशंका के बिना किसी अपराध से वंचित हो गया है
Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 215 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 215 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 215 अपराध : चल संपत्ति की वसूली में मदद करने के लिए उपहार लेना, जिसमें से एक व्यक्ति अपराधी की आशंका के बिना किसी अपराध से वंचित हो गया है
आई. पी. सी. की धारा 215 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 215 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 215 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 215 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 215 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 215 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 215 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 215 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 215 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 215 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।