IPC Section 506 in Hindi (धारा 506 क्या है) - जमानत सजा और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 506 क्या है - IPC Section 506 in Hindi
  2. धारा 506 में सजा कितनी होती है - IPC 506 Punishment in Hindi
  3. आपराधिक धमकी के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय
  4. आपराधिक धमकी की परिभाषा क्या है?
  5. IPC 506 के तहत धमकी के अपराध को साबित करने वाली मुख्य बातें कौन सी है?
  6. IPC 506 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है
  7. यदि कोई व्यक्ति आपको धमकी दे तो उसकी शिकायत कैसे करें?
  8. धारा 506 से बचाव के लिए जरुरी बातें
  9. प्रशंसापत्र - वास्तविक मामले
  10. 1. विक्रम जौहर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2019)
  11. 2. श्री पकडम्मा मोहन जमातिया बनाम श्रीमती। झरना दास बैद्य (2019)
  12. 3. माणिक तनेजा बनाम कर्नाटक राज्य (2015)
  13. 4. दिल्ली के अमिताभ अधार बनाम एनसीटी (2000)
  14. 5. श्री वसंत वामन प्रधान बनाम दत्तात्रय विट्ठल सालवी (2004)
  15. 6. रोमेश चंद्र अरोड़ा बनाम राज्य (1960)
  16. 7. अमूल्य कुमार बहेरा बनाम नाभागा बहेरा अलियास नबीना (1995)
  17. 8. रे एके गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)
  18. धारा 506 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कोई भी व्यक्ति किसी भी कारणवस किसी अन्य व्यक्ति को धमकाता है या उसके जीवन, संपत्ति या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी (Threat) देकर उसको डराने की कोशिश करता है तो वह कानून (law) किसी ना किसी अपराध का आरोपी (Accused) बन जाता है। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि अगर वो व्यक्ति जिसको उसने धमकी दी है। उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराता है तो उसके खिलाफ IPC के किस Section के तहत कार्यवाही की जाती है तो आज हम एक ऐसी ही धारा के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे कि आईपीसी की धारा 506 क्या है (IPC Section 506 in Hindi)?, कब लगती है? सेक्शन 506 में कितनी सजा होती है? इस धारा में जमानत (bail) कैसे मिलती है?

अगर आप पर भी IPC Section 506 के बारे में पूरी जानकारी चाहते है तो इस लेख (Article) को पूरा पढ़े इसमें हमने धारा 506 से जुड़ी सारी जानकारी को विस्तार से आपके सामने रखा है। तो आइये जानते है भारतीय दंड संहिता के तहत आने वाली इस धारा के बारे में।


धारा 506 क्या है - IPC Section 506 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अनुसार कोई भी ऐसा व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देता है या उसकी किसी सम्पत्ति को आग लगा कर नष्ट करने की धमकी देता है अथवा किसी महिला के चरित्र (Character) व सम्मान को दोष देकर आरोप लगाता है तो इस तरह की धमकी आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation) कहलाती है।

जैसे:- बहुत बार देखा जाता है कि हमारे साथ कभी कुछ ऐसा हो जाता है जिससे हम अपनी सहनशीलता (Tolerance) पर काबू नहीं रख पाते। जिसकी वजह से गुस्से में आकर किसी व्यक्ति को कोई ना कोई धमकी (Threat) दे देते है, तो ऐसा करने पर धारा 506 के तहत केस दर्ज किया जाता है।


आपराधिक धमकी की परिभाषा क्या है?

IPC Section 506 को अच्छे से समझने के लिए आप सभी का आपराधिक धमकी के मतलब को समझना बहुत जरुरी है कि Criminal Intimidation किसे कहा जाता है।

इसका मतलब होता है किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किसी अन्य इंसान को डराने धमकाने (Intimidation), उनके अंदर भय (Fear) पैदा करने व जबरदस्ती किसी बात को मनवाने या किसी प्रकार की हानि पहुंचाने की भावना से परेशान करना या Threat देना।

इस अपराध में चिट्ठी, फोन कॉल द्वारा, सोशल मीडिया (Social Media) द्वारा भेजकर किसी व्यक्ति को जान से मारने, जख्मी (Injured) करने व अन्य कोई नुकसान करने के लिए धमकी दी जाती है। ऐसा कोई भी कार्य करना कानून जुर्म होता है जिसके तहत दोषी (Guilty) पाये जाने पर उचित सजा भी दी जा सकती है।

जाने - धारा 307 में जमानत कैसे मिलती है


IPC 506 के तहत धमकी के अपराध को साबित करने वाली मुख्य बातें कौन सी है?

  1. धमकी देना: इसमें शब्दों द्वारा (यानी आमने-सामने बोलकर), इशारों, या संचार के किसी भी रूप जैसे फोन, ईमेल, चिट्ठी या अन्य किसी वस्तु के द्वारा किसी व्यक्ति को डराने (Scare) के लिए धमकी देना शामिल होना चाहिए।
  2. इरादतन आचरणः डराने-धमकाने का कार्य जानबूझकर (Intentionally) किया जाना चाहिए और पीड़ित (Victim) को डर या नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया जाना चाहिए।
  3. उचित आशंका: पीड़ित को उस Threat के द्वारा होने वाले खतरे से उत्पन्न होने वाले परिणामों की पूरी आशंका होनी चाहिए, जिसका मतलब है कि उसे यह पता होना चाहिए की जो धमकी उसे मिली है उसके कारण उसे या उसके परिवार के किसी सदस्य के साथ कुछ भी गलत हो सकता है।
  4. तरीका और संदर्भ: जिस तरीके से Threat दी गई है, वह धारा 506 के तहत Criminal Intimidation का अपराध माना जाएगा या नहीं यह दी गई धमकी की गंभीरता के ऊपर पर भी होता है। जिसका अर्थ है कि यदि ऐसी बात कही गई है, जिसके कारण कोई भय या नुकसान ना पैदा हो तो वह इस सेक्शन के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

धारा 506 में सजा कितनी होती है - IPC 506 Punishment in Hindi

आईपीसी की धारा 506 के अनुसार जिस भी व्यक्ति पर यह मुकदमा दर्ज (Case Register) होता है, तो इस Section 506 में सजा का दो तरह से प्रावधान (Provision) है चलिए मैं आपको दोनों के बारे में विस्तार से समझाता हूँ।

सरल तरीके से धमकी देने पर :- अगर आरोपी (Accused) किसी व्यक्ति को मारने की या किसी और तरह के नुकसान की बस धमकी देता है तो ऐसे केस में आरोपी को दोषी (Guilty) पाये जाने पर 2 वर्ष तक की कारावास की सजा व जुर्माना लगाया जा सकता है।

गंभीर परिणाम या चोट पहुचाने पर :- लेकिन अगर आरोपी किसी व्यक्ति को धमकी के साथ-साथ किसी प्रकार का गंभीर नुकसान या कोई चोट पहुंचाता है या उसकी किसी प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाता है तो Court द्वारा दोषी पाए जाने पर 7 वर्ष तक के कारावास की सजा व आर्थिक जुर्माना या फिर दोनों से भी दंडित किया जा सकता है। आइये इसे एक उदाहरण के जरिए समझने की कोशिश करते है।

उदाहरण :- एक बार विनय और राहुल की किसी बात को लेकर आपस में कहा सुनी हो जाती है जिस वजह से राहुल बहुत गुस्सा हो जाता है और राहुल विनय को मारने व उसकी गाड़ी तोड़ देने की Threat देकर चला जाता है। ऐसे में विनय डर जाता है अगले दिन राहुल विनय के घर जाकर उसके साथ मारपीट कर देता है और विनय को चोट लग जाती है तो विनय राहुल की शिकायत पुलिस में कर देता है इसलिए राहुल पर धारा 506 के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है। और राहुल को 7 वर्ष की जेल और जुर्माना से दंडित किया जाता है।

नोट – अगर राहुल विनय के साथ मारपीट ना करता तो भी उसे धमकी देने के आरोप में केवल 2 साल तक की सजा होती।

जाने - चोट पहुचाने की धारा 325 कब लगती है


IPC 506 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

आईपीसी की धारा 506 एक गैर-संज्ञीय (Non-Cognizable) श्रेणी के तहत आने वाला अपराध है। जिसमें आरोपी को जमानत (bail in section 506) मिल जाती है यह केस किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। इस Section में किसी अनुभवी वकील की सहायता से आपको आसानी से जमानत मिल जाती है।

अगर आरोपी व्यक्ति और पीड़ित पक्ष के बीच आपसी सहमति से समझौता (Compromise) हो जाता है, तो आरोपी व्यक्ति से IPC 506 का मुकदमा खत्म भी हो सकता है।


यदि कोई व्यक्ति आपको धमकी दे तो उसकी शिकायत कैसे करें?


  • सबूत इकट्ठा करें: यदि कोई व्यक्ति आपको डराने धमकाने का कार्य करता है तो उसके खिलाफ अपराध से संबंधित कोई भी सबूत (Evidence) इकट्ठा करें, जैसे टेक्स्ट मैसेज (Text message), ईमेल (Email), वीडियो या गवाह (Witness) जो आपके द्वारा शिकायत करने पर आपके सबूत के तौर पर काम आ सके।
  • शिकायत दर्ज करें: इसके बाद पुलिस स्टेशन जाए और जो आपराधिक धमकी आपको मिली है उसकी शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवाएं। शिकायत दर्ज करवाते समय Police को सारी आवश्यक जानकारियाँ दे जैसे किसने आपको डराने-धमकाने की कोशिश की, किस दिन Threat दी व धमकाने वाले व्यक्ति के खिलाफ इकट्ठा किए सभी सबूत भी पुलिस के सामने पेश करें।
  • व्यक्तिगत विवरण प्रदान करें: इसके बाद आपसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी (Personal Information) के बारे में भी पुलिस के द्वारा पुछा जाएगा। जिसमें आप अपना नाम, पता, फोन न0 व अन्य जानकारियाँ दे सकते है।
  • बयान दर्ज करना: पुलिस इस Crime के संबंध में आपका बयान (Statement) दर्ज कर सकती है।
  • इसलिए अपने बयान दर्ज करवाते वक्त पुलिस को सारी सही जानकारियाँ ही दे अपनी तरफ से बात को बढ़ाकर या गलत तरीके से पुलिस के सामने ना बताए।
  • शिकायत की एक प्रति प्राप्त करें: अपना बयान दर्ज करने के बाद अपने लिए Police से की गई Complaint की एक प्रति (Photocopy) जरुर ले ले जो आगे की कार्यवाही में आपके काम आएगी।
  • आगे की कार्रवाई और जांच: पुलिस दर्ज की गई शिकायत के आधार पर जांच (Investigation) शुरू करेगी और आपको डराने-धमकाने वाले व्यक्ति को पकड़ कर उसके खिलाफ आगे की कानूनी कार्यवाही (Legal Process) करेगी।
  • सुरक्षा की माँग:- अगर आपको यह लगता है कि जिस व्यक्ति ने आपको धमकी दी है वो आपको या आपके परिवार को नुकसान पहुँचाने की भी कोशिश करेगा तो आप पुलिस से अपने लिए सुरक्षा (Securtiy) की भी माँग कर सकते है।
  • कानूनी सलाह: यदि आपको किसी भी कार्यवाही में कोई भी समस्या आती है जैसे पुलिस द्वारा शिकायत ना दर्ज करना आदि, तो आप अपने अधिकारों (Rights) के लिए किसी वकील (Lawyer) से भी बात कर सकते है, जो आपको आपके मामले से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण कानूनी सलाह (Legal Advice) देगा और भविष्य में आने वाली किसी भी मुसीबत से आपकी मदद करेगा।

धारा 506 से बचाव के लिए जरुरी बातें

  • अगर कोई भी व्यक्ति आपको उकसाने की कोशिश करता है तो उनकी बातों में आकर गुस्से में भी किसी को डराने-धमकाने का अपराध ना करें , ना ही किसी के साथ झगड़ा करें।
  • अगर आप का किसी के साथ भी झगडा हो जाता है तो उसे कभी भी फोन पर किसी भी प्रकार की धमकी ना दे क्योंकि अगर वो शख्स अपने फोन में काल रिकार्डिंग कर लेता है तो उसके पास आपके खिलाफ सबूत मिल जाता है जिसकी मदद से वो आपको आसानी से दोषी साबित करवा सकता है।
  • हमेशा फालतू के किसी भी वाद-विवाद से बच कर रहने की कोशिश करें, एंव सभी के साथ प्रेम से रहना चाहिए और सभी को ऐसे अपराधों से बचाव के लिए जागरुक करें।


जाने - महिला छेड़छाड़ की धारा 354a में जमानत


प्रशंसापत्र - वास्तविक मामले

1. "एक रात एक चोर हमारे घर में घुस गया और सामान लूटने लगा और चोरी करने पर मुझे और मेरी पत्नी को जान से मारने की धमकी भी दी। शुक्र है कि हमने समय पर पुलिस को बुलाया और जैसे ही वे पहुंचे, चोर पर डकैती का आरोप लगाया गया। आपराधिक धमकी का मामला। मामले में आरोपी को जमानत मिल गई थी, लेकिन अंत में उसे आपराधिक धमकी और डकैती के आरोपों के लिए अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था। यह केवल एक वकील से परामर्श करने के बाद है कि हम जटिल विवरण और अन्य कई तकनीकी समझ सकते हैं जो इसमें शामिल थे। इस मामले में और अदालत में खुद के लिए एक मजबूत मामला बना सकता है।

-श्री ग। धीरज भारद्वाज

2. "यह आरोप लगाया गया था कि अभियुक्त यानी मेरे चचेरे भाई ने एक अंधी लड़की के हाथ को छुआ, जब वह सो रही थी और अपनी रजाई हटाने और अपनी पोशाक के अंदर हाथ डालने के लिए आगे बढ़ी। उसने उसे जान से मारने की धमकी दी अगर उसने किसी से अपनी पहचान का खुलासा किया। लड़की के परिवार ने मेरे चचेरे भाई के खिलाफ शिकायत दर्ज की और अदालत ने इसे अन्य अपराधों के अलावा धारा II के तहत आपराधिक धमकी का मामला माना। "

-एमएस। शर्मिला मुद्गल


3. "हमारे पड़ोसी ने अपनी छत पर एक चारदीवारी बनवाई थी। जब हमने उसके कृत्य का विरोध किया जैसा कि उसने हमारे हिस्से की संपत्ति को नुकसान पहुँचाकर किया था, तो उसने हमें गंदी भाषा के साथ गाली दी और हमें उसके गुंडों द्वारा पीटने और मारने की धमकी भी दी।" / गुंडा मित्रों। हमने तुरंत एक वकील से परामर्श किया और अदालत में गए। अदालत ने कहा कि हमें मारने और हमें मारने की धमकी आपराधिक धमकी का एक स्पष्ट मामला था, हालांकि, दुर्व्यवहार की धारा 506 के तहत अपराध नहीं होगा भारतीय दंड संहिता। "

-श्री ग। धर्मेंद्र

4. "मेरे पति और मैंने घर से भाग जाने के बाद एक अंतर्जातीय विवाह किया था क्योंकि हमारे परिवार नहीं चाहते थे कि हमारी शादी हो। एक साल बाद मुझे अपने पिता और मेरे भाई से पत्र मिला कि वे हमें अलग करने आएंगे, वे करेंगे।" हमारे घर को जलाओ और पति को मार डालो क्योंकि वे अभी भी मेरे बारे में गुस्सा कर रहे थे। हम डर गए थे और एक वकील से संपर्क किया जिसने हमें और हमारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने वाले परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने में मदद की। मामला अभी भी चल रहा है लेकिन हम खुशी है कि हमने ऐसा किया कि हम सम्मान हत्याओं के बारे में एक और कहानी बनने से बच गए। हमने LawRato.com पर अपने वकील को पाया और हमारे लिए पूरी लगन से लड़ाई लड़ रहे हैं। "

-श्रीमती। तनु प्रताप सिंह


5. "मैंने और मेरे दोस्तों ने एक कपड़े की दुकान के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला किया जहां दुकानदार ने मेरे दोस्त की कुछ तस्वीरें लीं, जबकि वह बदल रहा था और नए कपड़े आज़मा रहा था। जब हमने ऐसा करते हुए दुकानदार को पकड़ा, तो उसने धमकी दी कि वह मुझे लीक कर देगा।" दोस्त की तस्वीरों और हमारे परिवार के सदस्यों को खोजने के लिए धमकी दी कि हम कहाँ रहते थे अगर हम पुलिस से संपर्क करते थे। हमने पहली बार में पुलिस से संपर्क किया और यहां तक ​​कि एक वकील को भी हमारी मदद करने और आपराधिक प्रक्रिया के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करने के लिए मिला। दुकानदार पर आरोप लगाया गया। वॉयेरिज्म और उस आपराधिक धमकी के साथ-साथ यह मामला अभी भी चल रहा है, हालांकि, हमने अपने वकील की मदद से हमारे मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त गवाह और सबूत एकत्र किए हैं। ''

-एमएस। तृप्ति सेठ

6. "मेरे बिजनेस पार्टनर ने मुझे फोन किया और कहा कि अगर मैं उसके नाम पर कंपनी में अपने शेयर ट्रांसफर नहीं करता, तो वह ऑफिस को जला देगा और यह सुनिश्चित कर लेगा कि मुझे कुछ सफेदपोश अपराधों के लिए जेल में डाल दिया गया है। मैंने इस कॉल के बाद उसकी बात नहीं सुनी। और कुछ महीनों के भीतर उन्होंने मुझ पर कार्यालय को जलाने की धमकी देने का आरोप लगाया और मुझे मेरे नाम से कंपनी के शेयर हस्तांतरित नहीं करने पर उसे चोट पहुंचाई। फिलहाल जेल में है और मेरे मामले की तैयारी कर रहा है और यह साबित करने के लिए सबूत जुटा रहा है कि वह वही है जिसने मुझे धमकी दी है न कि दूसरे तरीके से। मैं सबसे अच्छे की उम्मीद कर रहा हूं और मुझे अपने वकील पर भरोसा है। "

-श्री ग। केशव भट्टाचार्य

आपराधिक धमकी के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय


1. विक्रम जौहर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2019)

2019 की आपराधिक अपील संख्या 759 (SLP (Cr।) 4820/2017 से उत्पन्न)

यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा गया कि किसी व्यक्ति को गंदी भाषा में गाली देने का कार्य केवल अपराधी के अपराध के आवश्यक अवयवों को संतुष्ट नहीं करता है धमकी। शिकायत थी कि आरोपी शिकायतकर्ता के घर के पास रिवॉल्वर लेकर आया और गंदी भाषा में उसके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने उसके साथ मारपीट करने का भी प्रयास किया लेकिन जब पड़ोसी पहुंचे तो वे मौके से भाग गए। खंडपीठ ने कहा कि उपरोक्त आरोपों में प्रथम दृष्टया आपराधिक धमकी का अपराध नहीं बनता है।


2. श्री पकडम्मा मोहन जमातिया बनाम श्रीमती। झरना दास बैद्य (2019)

Cr। रेव। पेट। 87/2017

त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने पाया कि एक राजनीतिक नेता के भाषण के दौरान अपमानजनक शब्दों / गंदी भाषा और शारीरिक मुद्रा का मात्र उपयोग आईपीसी के तहत आपराधिक धमकी के प्रावधानों के दायरे में शामिल नहीं है।


3. माणिक तनेजा बनाम कर्नाटक राज्य (2015)

2015 की आपराधिक अपील संख्या 141 (SLP (Cr।) 6449/2014 से उत्पन्न)

यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किया गया था कि फेसबुक पेज पर पुलिस कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार के बारे में टिप्पणी पोस्ट करने से आपराधिक धमकी की राशि नहीं हो सकती है। इस मामले में, अपीलकर्ता एक सड़क दुर्घटना में शामिल था, जिसमें वह एक ऑटो-रिक्शा के साथ भिड़ गई थी। ऑटो के यात्री घायल हो गए और बाद में उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अपीलकर्ता ने घायलों के सभी खर्चों का विधिवत भुगतान किया और कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।

हालांकि, उसे पुलिस स्टेशन बुलाया गया था और कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों द्वारा धमकी दी गई थी। जिस तरह से उसके साथ बर्ताव किया गया, उससे दुखी होकर उसने बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस के फेसबुक पेज पर टिप्पणी पोस्ट की, जिसमें पुलिस अधिकारी पर कठोर व्यवहार और उत्पीड़न का आरोप लगाया। पुलिस निरीक्षक ने इस अधिनियम के लिए अपीलकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया और आईपीसी की धारा 353 और 506 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की ओर से आईपीसी की धारा 503 के तहत अलार्म पैदा करने का कोई इरादा नहीं था।


4. दिल्ली के अमिताभ अधार बनाम एनसीटी (2000)

2000 CriLJ 47772, 85 (2000) DLT 415, II (2000) DMC 55, 2000 (56) DRJ 220

यह आयोजित किया गया कि एक मात्र धमकी आपराधिक धमकी की राशि नहीं है। धमकी देने वाले व्यक्ति को अलार्म बजाने का इरादा होना चाहिए।


5. श्री वसंत वामन प्रधान बनाम दत्तात्रय विट्ठल सालवी (2004)

2004 (1) MhLj 487

यह माना गया था कि इरादा आपराधिक धमकी की आत्मा है। इसे आसपास के हालात से इकट्ठा करने की जरूरत है।


6. रोमेश चंद्र अरोड़ा बनाम राज्य (1960)

AIR 1960 SC 154, 1960 CriLJ 177, 1960 1 SCR 924

धारा 503 का दायरा इस विशेष मामले में विस्तारित किया गया। इस मामले में, अभियुक्त-अपीलकर्ता पर आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया था। आरोपी ने एक व्यक्ति एक्स और उसकी बेटी को धमकी दी कि लड़की की नग्न तस्वीर जारी करके प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई जाए, जब तक कि उसे पैसे का भुगतान नहीं किया जाता। इरादा उनके लिए खतरे का कारण था। न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त का उद्देश्य धन प्राप्त करने के लिए अलार्म पैदा करना और यह सुनिश्चित करना था कि वह सार्वजनिक मंच पर हानिकारक तस्वीरों को जारी करने की धमकी के साथ आगे नहीं बढ़े।


7. अमूल्य कुमार बहेरा बनाम नाभागा बहेरा अलियास नबीना (1995)

1995 CriLJ 3559, 1995 II OLR 97

शब्द "अलार्म" का अर्थ उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में जाँच किया गया था। यह न्यायालय द्वारा आयोजित किया गया था कि अलार्म के कारण किसी भी शब्द की अभिव्यक्ति बिना किसी कारण के केवल धारा 506 के दायरे में लाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। न्यायालय ने यह भी देखा कि यह प्रावधान अपेक्षाकृत नया है, और मूल रूप से 'आतंक' जैसे शब्द हैं। या 'अलार्म' के बजाय 'संकट' प्रस्तावित किया गया था।

इस मामले में, शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि आरोपी द्वारा गंदी भाषा में उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया था और अगर गवाहों ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो उसे अभियुक्तों से एक मुट्ठी झटका के अलावा अधिक चोटें आतीं। शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि आरोपी द्वारा दी गई धमकी से वह चिंतित नहीं था। इसलिए, अदालत ने माना कि चूंकि अपराध का एक आवश्यक घटक गायब था, इसलिए कोई मामला स्थापित नहीं किया जा सकता था।


8. रे एके गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)

1950 एआईआर 27, 1950 एससीआर 88

अदालत ने कहा कि अगर एक सार्वजनिक बैठक में एक वक्ता ने मालाबार में तैनात पुलिस अधिकारियों को धमकी दी कि उनके व्यक्ति, संपत्ति या प्रतिष्ठा पर चोट है - तो वह आपराधिक धमकी के अपराध के लिए उत्तरदायी था।

Offence : आपराधिक धमकी


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : किसी भी मजिस्ट्रेट



Offence : यदि खतरा मौत या गंभीर चोट, आदि का कारण हो


Punishment : 7 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी





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IPC धारा 506 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 506 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 506 अपराध : आपराधिक धमकी



आई. पी. सी. की धारा 506 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 506 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 506 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 506 असंज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 506 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 506 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 506 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 506 जमानती है।



आई. पी. सी. की धारा 506 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 506 के मामले को कोर्ट किसी भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।