धारा 315 आईपीसी - IPC 315 in Hindi - सजा और जमानत - शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 315 का विवरण
  2. धारा 315 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 315 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 315 के अनुसार जो भी कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य उस शिशु का जीवित पैदा होना तद्द्वारा रोकने या जन्म के पश्चात् तद्द्वारा उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से करेगा, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करेगा, और यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
सजा - दस वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : एक बच्चे को जीवित पैदा होने से रोकने के इरादे से किया गया कार्य, या उसके जन्म के बाद मरने का कारण


Punishment : 10 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय





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IPC धारा 315 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 315 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 315 अपराध : एक बच्चे को जीवित पैदा होने से रोकने के इरादे से किया गया कार्य, या उसके जन्म के बाद मरने का कारण



आई. पी. सी. की धारा 315 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 315 के मामले में 10 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 315 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 315 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 315 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 315 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 315 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 315 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 315 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।