झूठा केस (False FIR) दर्ज होने पर क्या करे - धारा, सजा और बचाव उपाय
अगर आपके खिलाफ किसी ने झूठा केस दर्ज करवा दिया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। किसी भी फर्जी केस में बचाव के लिए सबसे पहले FIR की कॉपी ले और अनुभवी वकील से सलाह लें। आप हाई कोर्ट में FIR रद्द करवाने की अर्जी डाल सकते हैं और झूठा केस करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं।। आज के इस लेख में हम झूठे मुकदमो से निपटने की कानूनी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताएंगे, कि झूठे केस क्या होते हैं (What is False FIR Case)? झूठा मुकदमा (एफआईआर) दर्ज होने के बाद क्या करें? फ़र्ज़ी केसों से जुडी धारा, परिणाम और निपटने के उपाय?
ऐसे कानूनी मामलों के बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है, ताकि लोग समझ सकें कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाए और कानूनी प्रक्रिया का सही उपयोग कैसे किया जाए। अगर आप खुद को या किसी अपने को ऐसी स्थिति में पाते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि झूठे आरोपों का सामना कैसे किया जा सकता है और कानून आपको क्या अधिकार प्रदान करता है। इसलिए इस विषय से संबंधित सभी जानकारियों को विस्तार से जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
विषयसूची
- झूठा या फर्ज़ी केस क्या होता हैं - False FIR Case in Hindi
- झूठा या फर्ज़ी केस दर्ज हो जाए तो क्या करे?
- झूठे केसों (Fake FIR) को खारिज करवाने के कानूनी उपाय
- फर्ज़ी आरोप लगाकर दर्ज करवाए गए झूठे केसों की पहचान कैसे होती है?
- किन कारणों से झूठे केस (False FIR) दर्ज किए जाते हैं?
- झूठे आरोपों के कारण होने वाले कानूनी परिणाम व नुकसान
- झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज होने के बाद क्या करें?
- किसी अनुभवी वकील से मिलकर कानूनी सलाह व सहायता ले
- वकील की सहायता से अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए याचिका दायर करें
- गवाहों की सहायता ले और सबूतों को संभाल कर रखें
- झूठा मुकदमा (केस) दर्ज करने पर कौन सी धारा लगती है
- झूठे केस दर्ज करवाने वाले व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कैसे दायर करें?
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
झूठा या फर्ज़ी केस क्या होता हैं - False FIR Case in Hindi
झूठे केस या फर्ज़ी मुक़दमे वे कानूनी मामले होते हैं, जिनमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर गलत व बिना किसी वजह के गलत आरोप (Blame) लगाकर उस व्यक्ति को फंसाने के लिए पुलिस या अदालत में केस दर्ज करता है। इसके पीछे उन लोगों का उद्देश्य केवल किसी व्यक्ति व उसके परिवार को परेशान करने, बदला लेने या किसी भी तरह का नुकसान पहुँचाने का होता है।
झूठे केसों (False Case) व झूठी FIR का सहारा लेकर कुछ लोग भारत में न्याय (Justice) के लिए बनाए गए कानूनों का गलत इस्तेमाल करते है। जिसमें निर्दोष (Innocent) लोगों को गलत तरीके से कानूनी मामलों में फंसा दिया जाता है।
फर्ज़ी आरोप लगाकर दर्ज करवाए गए झूठे केसों की पहचान कैसे होती है?
झूठे मुकदमों की पहचान करना कई बार मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बातों के द्वारा ऐसे मामलों का पता लगाया जा सकता है।
- जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ गलत आरोप (False accusations) लगाता है तो वे सही नहीं होते है, इनका ना कोई सबूत (Evidence) होता है और ना ही कोई कारण।
- ज्यादातर फर्जी केस किसी दुश्मनी, बदला लेने, दबाव डालने या एक दूसरे को नीचा दिखाने व बदनाम करने के लिए किए जाते है।
- झूठे मामले में आरोप लगाने वाला व्यक्ति पुलिस या अदालत को गुमराह (Misled) करने के लिए गलत जानकारी या झूठे सबूत (False Evidence) देकर भी निर्दोष व्यक्ति को सजा (Punishment) दिलवाने के कोशिश करता है।
किन कारणों से झूठे केस (False FIR) दर्ज किए जाते हैं?
झूठे मुकदमे दर्ज होने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य कारण इस प्रकार है:-
- झूठे केसों में सबसे मुख्य कारण होता है पुरानी दुश्मनी या बदला लेने की भावना।
- अक्सर जमीन-जायदाद या संपत्ति (Property) से जुड़े विवादों (Disputes) में भी लोग एक-दूसरे पर झूठे केस दर्ज करवाते हैं।
- हमारे देश में दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment) और शादी के बाद होने वाले झगड़ों में भी सबसे ज्यादा झूठे केस दर्ज किए जाते है।
- कई बार सामाजिक या धार्मिक समूहों (Religious Groups) के बीच धर्म व जाति के कारण भी ऐसे कार्य किए जाते है।
- कारोबार (Business) में अपने से ज्यादा कामयाब इंसान को कानूनी केसों के दबाव में डालकर नुकसान पहुँचाने के लिए।
- राजनीति (Politics) में भी कई बार एक दूसरे को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप व फर्जी शिकायतें (False Complaints) दर्ज करवाई जा सकती है।
- कई बार फर्जी केस दर्ज करवाने का मकसद दूसरे व्यक्ति को धमकाना या ब्लैकमेल करना भी होता है।
झूठे आरोपों के कारण होने वाले कानूनी परिणाम व नुकसान
बिना किसी वजह के दर्ज करवाए गए केसों का कानूनी प्रभाव न केवल आरोपी व्यक्ति (Accused Person) के सम्मान, प्रतिष्ठा और मानसिक स्थिति (Mental State) पर पड़ता है, बल्कि यह उसे आर्थिक और सामाजिक रूप से भी नुकसान पहुंचाता है।
- ऐसे कार्य करने से समाज में लोगों की इज्जत पर काफी असर पड़ता है।
- झूठे आरोपों के चलते व्यक्ति को भारी मानसिक तनाव (Mental Stress) का सामना करना पड़ता है।
- ऐसे मामलों से निपटने के लिए व्यक्ति को वकीलों की फीस, कोर्ट के खर्चे और अन्य कानूनी कार्यवाही पर भारी खर्च करना पड़ता है।
- न्याय पाने के लिए व्यक्ति को कोर्ट में कई बार पेशी या तारीखों (Dates or Appearances) पर जाना पड़ता हैं, जिसके कारण नौकरी करने वाले व्यक्ति को छुट्टी लेने में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- अगर फर्जी आरोप के कारण किसी निर्दोष व्यक्ति (Innocent Person) को सजा मिल जाती है, तो यह उस व्यक्ति के साथ बहुत ही बड़ा अन्याय (Injustice) होता है। जिसके कारण उस व्यक्ति की पुरी जिंदगी खराब हो जाती है।
- इसके अलावा एक बार केस दर्ज होने के बाद सरकारी नौकरी (Govt. Job) मिलने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
झूठा या फर्ज़ी केस दर्ज हो जाए तो क्या करे?
जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठा केस दर्ज (False Case Register) हो जाता है, तो यह उस व्यक्ति के लिए व उसके परिवार के लिए बहुत ही मुश्किल समय होता है। लेकिन ऐसे मामलों में बिना घबराए सही कानूनी जानकारी के द्वारा सही कदम उठाकर इस समस्या का सामना किया जा सकता है।
इसलिए यहाँ हमारे द्वारा False Cases से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करके आप अपने आप को कानूनी मुसीबतों से बचा सकते हैं।
झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज होने के बाद क्या करें?
यदि आपके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है और पुलिस ने आपके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है, तो ये आवश्यक काम जरुर करें:-
- सबसे पहले एफआईआर की कॉपी (Copy) प्राप्त करें जिस अपराध के तहत मामला दर्ज किया गया है, उसकी अच्छे से जांच करें।
- FIR को ध्यान से पढ़ें और उसमें लगाए गए सभी आरोपों (Blames) को समझें।
- अगर कोई आरोप गलत या बेबुनियाद (False or baseless) है, तो इसे वकील (Lawyer) की सहायता से कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
किसी अनुभवी वकील से मिलकर कानूनी सलाह व सहायता ले
- FIR दर्ज होते ही तुरंत एक अनुभवी वकील (Experienced Lawyer) से संपर्क करना चाहिए।
- वकील आपके मामले से संबंधित सभी बातों के सुनेगा व समझेगा और उसके बाद आगे की कार्यवाही के लिए आपको उचित कानूनी सलाह (Legal Advice) देगा।
- वकील की सहायता से आप यह समझ सकेंगे कि आगे कौन से कानूनी कदम उठाने होंगे और ऐसे मामलों से कैसे बाहर निकल सकते है।
वकील की सहायता से अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए याचिका दायर करें
अग्रिम जमानत एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) होती है, जिसके तहत आप गिरफ्तारी (Arrest) से पहले ही कोर्ट से जमानत (Bail) प्राप्त कर सकते हैं।
- एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी का खतरा होता है। ऐसे हालातों में जल्द से जल्द आपको अग्रिम जमानत के लिए आवेदन (Apply) करना चाहिए।
- अग्रिम जमानत से आप गिरफ्तारी से बच सकते हैं और अपनी बात रखने का समय प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके लिए आप अपने वकील की सहायता से सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय (Sessions Court Or High Court) में आवेदन कर सकते हैं।
- वकील आपके पक्ष में मजबूत तर्क (Argument) प्रस्तुत करेगा और कोर्ट में इस बात को साबित करने की कोशिश करेगा कि आप निर्दोष हैं और आपको Anticipatory Bail दी जानी चाहिए।
- कोर्ट में याचिका दाखिल (Petition Filled) करने के बाद सुनवाई की तारीख (Hearing Date) तय होती है। इस दौरान कोर्ट आपके द्वारा दिए गए तर्कों और सबूतों को ध्यान में रखेगा और यह निर्णय करेगा कि अग्रिम जमानत दी जाए या नहीं।
- अगर कोर्ट को लगता है कि आपके खिलाफ लगाए गए आरोप गलत हैं और आपकी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है, तो आपको अग्रिम जमानत दी जा सकती है।
गवाहों की सहायता ले और सबूतों को संभाल कर रखें
- ऐसे मामलों से निपटने के लिए सबसे जरुरी है कि आप उन सभी सबूतों (Evidence) को सुरक्षित रखें, जो इस बात को साबित कर सके कि आप निर्दोष हैं।
- अगर आपके पास कोई ऐसा दस्तावेज (Documents) है जो यह साबित कर सकता है कि आप निर्दोष हैं, तो उसे संभालकर रखें।
- यह दस्तावेज जमीन-जायदाद के कागजात, बैंक स्टेटमेंट, चैट्स या कॉल रिकॉर्ड हो सकते हैं। इन्हें कोर्ट में सबूत के तौर पर प्रस्तुत करना आपके केस के लिए मददगार साबित हो सकता है।
- अगर आपके पास कोई ऐसा गवाह (Witness) है जो आपके निर्दोष होने की गवाही दे सकता है, तो उससे संपर्क करें और उसका बयान (Statement) लिखित रूप में प्राप्त करें।
झूठा मुकदमा (केस) दर्ज करने पर कौन सी धारा लगती है
अगर आपके खिलाफ झूठा केस या झूठी शिकायत दर्ज कराई गई है और आप इसे चुनौती देना चाहते हैं, तो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत आप उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। यह धारा कोर्ट को उन मामलों में हस्तक्षेप (Interference) करने की शक्ति देती है, जहां न्याय का दुरुपयोग (Misuse) हो रहा हो या जहां किसी व्यक्ति को गलत तरीके से फंसाया जा रहा हो।
इसके अलावा झूठा केस दर्ज करने वाले पर झूठे साक्ष्य देने के लिए बीएनएस की धारा 229 लग सकती है। जिसके लिए दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल कैद की सज़ा हो सकती है।
BNSS Section 528 के तहत याचिका दायर करने के लिए आवश्यक शर्तें:
- यदि सच में किसी व्यक्ति ने केवल आपको परेशान करने के लिए आपके खिलाफ गलत आरोप लगाए है और उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं, तो आप धारा 528 के तहत राहत पा सकते हैं।
- यदि FIR या शिकायत में लगाए गए आरोप किसी भी अपराध को साबित नहीं करते हैं या मामला तथ्यों के आधार पर कमजोर हो, तो हाई कोर्ट इसे खारिज (रद्द) (Dismissed) कर सकता है।
झूठे केसों (Fake FIR) को खारिज करवाने के कानूनी उपाय
झूठे मुकदमों व झूठी शिकायतों को खारिज करवाने के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं। कुछ मुख्य उपाय इस प्रकार हैं:
1. एफआईआर रद्द करवाने के लिए दायर की जाने वाली याचिका:
अगर आपके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि FIR दर्ज की गई है और आपको लगता है कि यह झूठी है, तो आप उच्च न्यायालय में FIR रद्द करने की याचिका दायर कर सकते हैं। कोर्ट यह जांच करेगा कि एफआईआर के आधार पर कोई अपराध बनता है या नहीं, और यदि नहीं बनता तो वह इसे रद्द (Cancelled) कर सकता है।
2. केस को निरस्त करने के लिए दायर की जाने वाली (Quashing) याचिका:
एफआईआर के बाद अगर केस में जांच शुरू हो चुकी है, तो आप कोर्ट में मामले को खारिज करने की याचिका दायर कर सकते हैं। इसमें कोर्ट से अनुरोध किया जाता है कि केस को खारिज कर दिया जाए, क्योंकि यह झूठा है और इसमें कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
झूठे केस दर्ज करवाने वाले व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कैसे दायर करें?
अगर आपके खिलाफ गलत व बिना किसी कारण आरोप लगाए गए हैं, और इसकी वजह से आपके सम्मान को किसी प्रकार का नुकसान पहुँचा है, तो आप False Case दर्ज कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ मानहानि (Defamation) का मुकदमा दायर कर सकते हैं।
- सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप पर लगाए गए आरोप गलत हैं और उनके कारण आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है।
- इसके बाद आपको एक अनुभवी वकील की मदद लेनी चाहिए, जो मानहानि के मामले को संभाल सके और आपको उचित कानूनी सलाह दे सके।
- झूठे आरोपों के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए आप हर्जाने (Damages) का दावा कर सकते हैं। इसमें मानसिक परेशानी, सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान और अन्य आर्थिक नुकसान शामिल हो सकते हैं।
अगर आप झूठे केस का शिकार हैं या आपको ऐसे किसी केस से निपटना है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारे वकीलों से बात करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
झूठे केस क्या होते है और यह क्यों दर्ज करवाए जाते है?
झूठे यानि False Case ऐसे कानूनी मामला होते है जो जानबूझकर किसी व्यक्ति के खिलाफ गलत आरोपों लगाकर दर्ज करवा दिए जाते है। यह एक प्रकार का उत्पीड़न हो सकता है या किसी व्यक्ति को बदनाम करने के लिए किया जा सकता है।
क्या फर्जी केसों को खारिज किया जा सकता है?
हां, अगर आपके खिलाफ बिना किसी वजह के गलत आरोप लगाकर केस दर्ज करवाया गया है, तो आप भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के तहत उच्च न्यायालय (High Court) में याचिका दायर कर सकते हैं, जिसमें केस को खारिज करवाने की अपील की जाती है।
क्या झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
हां, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर फर्जी आरोप (Intentionally False Blame) लगाता है, तो उसके खिलाफ आप मानहानि (Defamation) का मुकदमा दर्ज कर सकते हैं।
क्या झूठे केसों में समझौता किया जा सकता है?
हां, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर फर्जी आरोप (Intentionally False Blame) लगाता है, तो उसके खिलाफ आप मानहानि (Defamation) का मुकदमा दर्ज कर सकते हैं।
क्या पुलिस बिना जांच किए झूठा केस दर्ज कर सकती है?
अगर कोई व्यक्ति शिकायत करता है, तो पुलिस आमतौर पर FIR दर्ज कर लेती है। FIR के बाद जांच होती है, जिसमें अगर केस झूठा पाया जाए तो पुलिस क्लोजर रिपोर्ट लगा सकती है।
झूठा मुकदमा दर्ज करने पर कौन सी धारा लगती है
झूठा केस या झूठी FIR दर्ज कराने पर BNS की धारा 229 लगाई जाती है। इस धारा के तहत झूठे केस में किसी को फंसाने वाले को 3 से 7 साल की जेल की कैद और जुर्माना हो सकती है।