भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 (Article 19 in Hindi) - वाक्‌-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण


विवरण

भारतीय संविधान के अंदर देश के सभी लोगों के लिए 6 मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) दिए गए है, जिनको भारत के प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान रुप से लागू किया जाता है। इन्हीं मौलिक अधिकारों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण अधिकार है स्वतंत्रता का अधिकार। आज के लेख द्वारा हम आप सभी को इसी Fundament Right से जुड़ी जानकारी देंगे कि अनुच्छेद 19 क्या है? (Article 19 in Hindi), आर्टिकल 19 का महत्व क्या है? इस आर्टिकल की छह स्वतंत्रताएं कौन सी है? 

अनुच्छेद 19 केवल एक कानूनी प्रावधान (Legal Provision) नहीं है, बल्कि भारत के लोकतंत्र देश (Democratic Country) होने में भी इसकी एक बहुत अहम भूमिका है। यह भारत के सभी नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने, सत्ता की आलोचना करने जैसे बहुत सारे जरुरी Rights प्रदान करता है। इस विषय से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना हम सभी लोगों के लिए बहुत ही जरुरी है। इसलिए Article 19 की जटिलताओं और बारीकियों को सरल भाषा में समझने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।


भारतीय संविधान में आर्टिकल 19 क्या है– Article 19 Constitution of India

भारतीय संविधान (Indian Constitution) का अनुच्छेद 19 एक मौलिक अधिकार है जो भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता (Freedom) का अधिकार देता है। इसमें मुख्य रुप से 6 प्रकार की स्वतंत्रताएं शामिल हैं, जिनमें

  • भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

  • शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता

  • संघ बनाने की स्वतंत्रता

  • आंदोलन की स्वतंत्रता

  • देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की स्वतंत्रता शामिल है।

देश के सभी नागरिकों के लिए बनाई गई यह स्वतंत्रताएं एक लोकतांत्रिक समाज के कामकाज और व्यक्तिगत अधिकारों व स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। Article 19 भारत में लोकतंत्र और स्वतंत्र अभिव्यक्ति (Free Expression) के सिद्धांतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पढ़े - सभी 6 मौलिक अधिकार कौन से है?
 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का इतिहास

1947 में भारत को Freedom मिलने से पहले जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय ब्रिटिश सरकार ने बहुत सारे ऐसे कानून और नियम (Law & Rules) बनाए जिन्होंने भारतीय लोगों की नागरिक स्वतंत्रता को पूरी तरीके से खत्म कर दिया था। अंग्रेजों द्वारा भारत के लोगों के पर नियंत्रण करने के लिए भाषण और अभिव्यक्ति, सभा और संघ की स्वतंत्रता को अक्सर दबा दिया जाता था। महात्मा गांधी, जवाहलाल नेहरु और अन्य नेताओं के नेतृत्व में भारत की आजादी के आंदोलन का उद्देश्य न केवल ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था बल्कि एक लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना भी था।

आजादी प्राप्त करने के बाद भारत ने राष्ट्र (Nation) पर शासन करने के लिए एक नए संविधान का मसौदा (Draft) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की। डॉ. बी.आर. की अध्यक्षता में संविधान सभा अम्बेडकर ने संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय लोग लंबे समय से जिस स्वतंत्रता के लिए तरस रहे थे, उसे स्थापित करने और उसकी रक्षा करने के लिए संविधान में आर्टिकल 19 को शामिल किया गया था।
 

भारतीय संविधान में आर्टिकल 19 का महत्व

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 नागरिकों के लोकतांत्रिक और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा में अपनी भूमिका के कारण अत्यधिक महत्व रखता है।

  • यह अधिकार नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने, सरकार की आलोचना करने और विभिन्न मीडिया के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति देता है।

  • शांतिपूर्ण और बिना हथियारों (Weapons) के एकत्र होने के Rights की रक्षा करता है।

  • संघ और संगठन बनाने का अधिकार सुनिश्चित करता है।

  • भारत के क्षेत्र के भीतर आजादी से से घूमने का Right देता है

  • यह जन्म स्थान या निवास स्थान के आधार पर भेदभाव (Discrimination) को रोकता है।

 

जाने - राष्ट्रपति की शक्तियाँ – Powers of President of India
 

अनुच्छेद (आर्टिकल) 19 के तहत छह स्वतंत्रताएँ क्या हैं?

Article 19 के तहत छह दी जाने वाली छह स्वतंत्रताएँ इस प्रकार है:-

  1. भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:- यह भारतीय नागरिकों को भाषण, लेखन, मुद्रण और संचार के अन्य रूपों जैसे विभिन्न माध्यमों के माध्यम से अपने विचारों, राय, विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है।

  2. शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने की स्वतंत्रता:- देश के सभी नागरिकों को सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा और नैतिकता के हित में राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों (Restrictions) के अधीन (Under) बिना हथियारों के किसी जगह पर शांतिपूर्वक तरीके से इकट्ठा होने का अधिकार है।

  3. संघ या यूनियन बनाने की स्वतंत्रता:- यह नागरिकों को संघ, या संगठन बनाने की अनुमति देता है, जो राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक कई प्रकार के हो सकते हैं।

  4. भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता:- भारतीय नागरिकों को सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या दूसरों के Rights की सुरक्षा के लिए राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन, देश के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार है।

  5. भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता:- यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि नागरिक भारत के किसी भी हिस्से में निवास कर सकते है और बस सकते हैं।

  6. किसी भी पेशे, व्यवसाय, व्यापार या व्यवसाय को अपनाने की स्वतंत्रता:- इसके तहत देश के सभी नागरिकों को किसी भी पेशे (Profession), व्यवसाय (Business), व्यापार को चुनने और अभ्यास (Practice) करने का अधिकार है।

 

Article 19 भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा कैसे करता है?

अनुच्छेद 19 निम्नलिखित तरीकों से भारत में प्रेस की Freedom की रक्षा करता है:-

  • यह प्रेस की Freedom को देखते हुए किसी विषय पर खुलकर बोलने की अनुमति प्रदान करता है

  • यह पत्रकारों और मीडिया संगठनों को सरकारी सेंसरशिप के बिना समाचार, राय और जानकारी रिपोर्ट करने और प्रकाशित (Publish) करने की अनुमति देता है।

  • Press नागरिकों को जानकारी प्रदान करने, उन्हें उचित निर्णय लेने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने में सक्षम (Able) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • पत्रकारों को सरकारी भ्रष्टाचार (Government Corruption) और कदाचार (Misconduct) की जांच करने और उजागर करने का अधिकार देता है।

  • यह व्यक्तियों को अपने स्वयं के समाचार पत्र और मीडिया चैनल चलाने के Rights की भी रक्षा करता है।

 

अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए कुछ प्रतिबंध

Article19 दिए गए अधिकारों पर उचित प्रतिबंध (Restriction) लगाने की भी अनुमति देता है। ये प्रतिबंध राज्य और समाज के हितों के साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संतुलित करने के लिए बनाए गए है। जो कि इस प्रकार है:-

  • भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों को रोकने के लिए इन अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

  • राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जैसे कि हिंसा या विद्रोह (Violence or Rebellion) के लिए उकसाने के मामले में।

  • ऐसे कार्य जो अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों (Diplomatic Relations) को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जा सकता है।

  • सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और उन कार्यों को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जिनसे हिंसा, अव्यवस्था या शांति भंग हो सकती है।

  • ऐसी सामग्री जो अश्लील, आपत्तिजनक या सार्वजनिक नैतिकता के विरुद्ध हो प्रतिबंधित की जा सकती है।

  • न्याय प्रशासन को बदनाम करने वाली या उसमें हस्तक्षेप करने वाली किसी भी कार्रवाई को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

  • मानहानि (Defamation) के विरुद्ध कानून ऐसे बयानों (Statements) को प्रतिबंधित कर सकते हैं जो व्यक्तियों या संगठनों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • ऐसा भाषण जो सीधे तौर पर दूसरों को आपराधिक कार्य (Criminal Act) करने के लिए उकसाता या भड़काता हो, उसे भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।

  • धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर नफरत को बढ़ावा देने वाले भाषण को प्रतिबंधित किया जा सकता है।

  • विधायिका (Legislature) के अधिकार और गरिमा को कमजोर करने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

  • राष्ट्रपति और राज्यपालों की आलोचना को उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है।

 

समान नागरिक संहिता क्या है – Uniform Civil Code in Hindi

आर्टिकल 19 से जुड़े सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक मामले व फैसले

पिछले कुछ वर्षों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अनुच्छेद 19 से संबंधित कई ऐतिहासिक निर्णय दिए है जनमें से कुछ इस प्रकार है:-  

  • आर.सी. कूपर बनाम भारत संघ (1970): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के अधिकार को fundamental Rights) के रूप में बरकरार रखा लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह पूर्ण अधिकार नहीं है। सरकार संपत्ति के अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगा सकती है।

  • केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य (1962): इस मामले ने भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने के लिए तर्कसंगतता का परीक्षण किया। इसने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (जो राजद्रोह से संबंधित है) की संवैधानिक वैधता को भी बरकरार रखा, लेकिन स्पष्ट किया कि राजद्रोह का आरोप केवल तभी लगाया जा सकता है जब हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था भड़काई गई हो।


भारत का संविधान , अधिक पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें


भारतीय संविधान पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


1. संविधान क्या है?

संविधान देश का सर्वोच्च विधी है। यह सरकार/राज्य/संस्थानों के मौलिक संहिता, संरचनाओं, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों का सीमांकन करने वाले ढांचे का विवरण देता है। इसमें मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत और नागरिकों के कर्तव्य भी शामिल हैं।


2. संविधान कब प्रभाव मे आया ?

भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभाव मे आया था।


3. क्या संविधान मानव अधिकारों के दुरुपयोग को रोक सकता है?

यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका का संवैधानिक जनादेश है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास मौलिक और अन्य अधिकारों को लागू करने के लिए कार्रवाई करने की शक्ति है। यह निवारण तंत्र अनुच्छेद 32 और 226 के तहत प्रदान किया गया है।


4. धर्मनिरपेक्षता क्या है?

संविधान के 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में यह अभिकथन किया है की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों को समान सम्मान देना और सभी धर्मों की समान तरीके से रक्षा करना।


5. प्रस्तावना क्या है?

भारतीय संविधान की प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसमें कहा गया है कि भारत के लोग अपने नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुरक्षित करने का संकल्प लेते हैं।


6. क्या संविधान में संशोधन किया जा सकता है?

हां, भारत के संविधान में संशोधन किया जा सकता है। इसे या तो संसद के साधारण बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से और आधे राज्य विधानसभाओं के अनुसमर्थन द्वारा संशोधित किया जा सकता है।


7. क्या भारतीय संविधान किसी अन्य देश के संविधान के समान है?

भारत के संविधान में विभिन्न राष्ट्रों के संविधानों से कई विशेषताएं अपनायी हैं और आज हमारे पास भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला गया है। अन्य देशों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड के संविधानों से विशेषताओं को उधार लिया गया है।



लोकप्रिय भारतीय संविधान अनुच्छेद