राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य - Powers of President of India



Indian President Powers & Functions in Hindi - भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है, और भारत में राष्ट्रपति का पद सबसे सर्वोच्च पद माना जाता है। सर्वोच्च का अर्थ होता है सबसे बड़ा। इसलिए हमारे देश भारत में राष्ट्रपति के पास बहुत सारे महत्वपूर्ण अधिकार व शक्तियाँ (Rights & power) होती है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि भारत के राष्ट्रपति के पास क्या शक्तियाँ होती है? (Powers of president of India in Hindi) इनके क्या कार्य होते है? भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?


विषयसूची

  1. भारत के राष्ट्रपति का परिचय - President of India Introduction
  2. भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां - Powers of President in India
  3. राष्ट्रपति का चुनाव और नियुक्ति
  4. राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाँ - Executive Powers of President
  5. राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ - Legislative Powers of the President
  6. भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ - Judicial Powers of the President
  7. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ - President's Emergency Powers
  8. मंत्रिपरिषद में भारत के राष्ट्रपति की भूमिका
  9. न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका
  10. सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति की भूमिका

हम में से आज भी बहुत से लोगों को इन सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं होती इसलिए इस लेख का मुख्य उद्देश्य आप सभी को भारत के राष्ट्रपति के अधिकारों, शक्तियों व कार्यों के बारे में विस्तार से बताना है। इसलिए इस लेख को पूरा पढ़े व अन्य लोगों के पास भी इस जरुरी जानकारी को शेयर करें।




भारत के राष्ट्रपति का परिचय - President of India Introduction

भारत में राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च पद (Highest Rank) होता हैं। जैसे एक कप्तान एक पूरी टीम का नेतृत्व करता है, वैसे ही देश का राष्ट्रपति भी पूरे भारत देश का नेतृत्व करता है। राष्ट्रपति न केवल सरकार के सबसे प्रमुख होता है बल्कि राज्य के प्रमुख भी होते है। इसका मतलब यह होता है कि उनके पास बहुत सारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां व कर्तव्य होते है।  

इन्हें देश की एकता (unity) का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्रपति की मुख्य भूमिका भारत के संविधान (Constitution of India) की रक्षा करना और उसे बनाए रखना है और लोगों के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करना है।

President of India लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में भी कार्य करते है, जिसका अर्थ है कि वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार निष्पक्ष (Fair) और न्यायपूर्ण तरीके से काम कर रही है। उनके पास संसद द्वारा पारित कानूनों (Laws) को मंजूरी देने की शक्ति है और अगर उन्हें लगता है कि वे लोगों के सर्वोत्तम हित में नहीं हैं तो उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस भी भेज सकते हैं।

इनके अतिरिक्त ये वैश्विक मंच (Global forum) पर भी भारत का प्रतिनिधित्व करते है। जिसके लिए वो विभिन्न देशों के नेताओं से मिलकर बातचीत करते है। राष्ट्रपति देश में होने वाले महत्वपूर्ण अवसरों पर राष्ट्र को अपने विचारों से संबोधित करते हैं और नागरिकों को मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं।

यह बात भी आपके लिए जानना बहुत जरुरी है कि President दिन-प्रतिदिन के सभी निर्णय स्वयं नहीं लेते है, बल्कि वे प्रधान मंत्री व मंत्रिपरिषद के साथ मिलकर इन सभी कामों को करते है।



राष्ट्रपति का चुनाव और नियुक्ति

भारत के राष्ट्रपति के चुनाव और नियुक्ति की प्रक्रिया को समझना भी आप सभी के लिए बहुत ही आवश्यक है कि यह चुनाव प्रक्रिया (Election process of president of India) कैसे होती है। इसलिए चलिए इस प्रक्रिया को बहुत ही सरल शब्दों द्वारा आसानी से समझते है।
 

  • योग्यता: राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यता (Ability) के रुप में किसी व्यक्ति को सबसे पहले तो भारत का नागरिक होना चाहिए और उनकी उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए और Law द्वारा कही हुई अन्य सभी योग्यताओं को पूरा करना चाहिए।
  • चुनाव: President of India का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं (Assemblies) के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
  • नामांकन: इस पद के चुनाव के लिए उम्मीदवारों को संसद या राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा नामित किया जाता है। एक व्यक्ति खुद भी इस चुनाव के लिए अपना नामंकन दाखिल कर सकता है।
  • मतदान: चुनाव एक गुप्त मतदान के माध्यम से किया जाता है, जहाँ निर्वाचक मंडल के सदस्य अपना वोट डालते हैं। प्रत्येक सदस्य के पास उनके द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली जनसंख्या के आधार पर वोटों की एक निश्चित संख्या होती है।
  • वोटों की गिनती: वोटों की गिनती की जाती है और जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट (Vote) मिलते हैं उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।
  • नियुक्ति: जब चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो किसी एक उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाता है, जिसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election commissioner) आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार और जनता को चुनाव के परिणाम के बारे में सूचित करते हैं।
  • शपथ ग्रहण: नव निर्वाचित Rashtrapati की अधिसूचना के बाद वे एक औपचारिक समारोह (Formal Ceremony) में पद की शपथ (Oath) लेते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief justice of India) उन्हें यह शपथ दिलाते हैं, और इस प्रकार से नए राष्ट्रपति आधिकारिक तौर पर अपना पद ग्रहण करते हैं।
  • कार्यकाल: भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल (Tenure) पांच वर्ष का होता है। उन्हें ज्यादा से ज्यादा दो कार्यकालों के लिए फिर से चुना जा सकता है।


आप सभी के लिए यह जानना भी बहुत जरुरी है कि Indian president का चयन सीधे नागरिकों द्वारा नहीं किया जाता बल्कि जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा उन्हें चुना जाता है।



भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां - Powers of President in India

भारत के राष्ट्रपति के पास बहुत सारे आवश्यक कार्य व शक्तियाँ होती है। चलिए उन सभी शक्तियों व कार्यों को विस्तार से जानते है।

  1. राज्य के प्रमुख: राष्ट्रपति देश के औपचारिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है। वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं और एकता और अखंडता के रूप में कार्य करते हैं।
  2. कार्यकारी शक्तियाँ: इनके पास कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं और यह सुनिश्चित करता है कि सरकार सुचारू रूप से कार्य करें। ये चुनाव परिणामों और सिफारिशों के आधार पर प्रधान मंत्री और अन्य मंत्रियों के सदस्यों की नियुक्ति कर सकते हैं।
  3. विधायी शक्तियाँ: राष्ट्रपति विधायी प्रक्रिया (Legislative process) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे संसद के सत्रों को शुरु व खत्म करते हैं और कुछ स्थितियों में लोकसभा को भंग भी कर सकते है Rashtrapati संसद द्वारा पारित विधेयकों को कानून (Law) में बदलने पर सहमति देता है।
  4. न्यायिक शक्तियाँ: इनके पास कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को क्षमा करने, उन्हें कम करने या सजा देने की शक्ति है। वे भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief justice of India) के परामर्श से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति (Joining) भी करते हैं।
  5. राजनयिक शक्तियां: ये अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों (Diplomatic Relations) में भारत का प्रतिनिधित्व करते है। वे विदेशी राजदूतों (Foreign Ambassadors) और उच्च-स्तरीय व्यक्तियों का स्वागत करते हैं।
  6. आपातकालीन शक्तियाँ: युद्ध, आंतरिक कलह जैसी आपात स्थितियों के समय राष्ट्रपति आपातकाल (Emergency) की स्थिति की घोषणा कर सकता है। उनके पास देश की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार है।
  7. प्रतीकात्मक कार्य: राष्ट्र के प्रतीक के रूप में, Rashtrapati सम्मान और पुरस्कार प्रदान करते हैं, पदक प्रदान करते हैं, और आधिकारिक समारोह (Official ceremony) आयोजित करते हैं। वे स्वतंत्रता दिवस (Independence day) और गणतंत्र दिवस (Republic day) जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
  8. सलाहकार की भूमिका: ये कई प्रकार से प्राप्त जानकारी के आधार पर सरकार को राष्ट्रीय महत्व (National importance) के मामलों पर सलाह देते हैं। वे मामलों के प्रशासन के संबंध में Prime minister of India से जानकारी भी प्राप्त करते हैं और प्रदान करते हैं।


राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाँ - Executive Powers of President

यहाँ राष्ट्रपति की कुछ कार्यकारी शक्तियाँ (Executive powers) हैं, जिन्हें सरल शब्दों में समझाया गया है:

  • प्रधान मंत्री की नियुक्ति: एक आम चुनाव (Election) के बाद या जब प्रधान मंत्री इस्तीफा दे देते हैं, तो राष्ट्रपति लोकसभा में अधिकांश सीटों वाले राजनीतिक दल या गठबंधन वाली सरकार के नेता को प्रधान मंत्री नियुक्त कर सकते है।  
  • मंत्रियों की नियुक्ति: ये Prime minister की सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति करते है। प्रधान मंत्री व्यक्तियों को मंत्रियों के रूप में सेवा करने की सिफारिश करते हैं, और Rashtrapati उनकी नियुक्तियों को मंजूरी देते हैं।
  • संसद को बुलाना और सत्रावसान करना: इनके पास संसद के सत्र बुलाने और समाप्त करने का अधिकार है। ये प्रत्येक सत्र की शुरुआत की मांग कर सकते है और यदि आवश्यक हो तो सत्र (Session) को समाप्त भी कर सकते है।
  • लोकसभा को भंग करना: कुछ परिस्थितियों में जब सरकार ठीक से काम नहीं कर पाती है, तो राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकते है और नए चुनाव करा सकते है।
  • अध्यादेश जारी करना: बहुत ही आवश्यकता होने की स्थिति में या जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो, तो राष्ट्रपति अध्यादेश (Ordinance) जारी कर सकते है। इन अध्यादेशों का उतना ही प्रभाव होता है जितना की संसद द्वारा पारित कानूनों का होता है।
  • राज्यपालों की नियुक्ति: राष्ट्रपति भारत के राज्यों में राज्यपालों (Governors) की नियुक्ति करता है। राज्यपाल राज्य स्तर पर Rashtrapati और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में कार्य करते हैं।
  • विविध शक्तियाँ: इनके पास कई अन्य महत्वपूर्ण शक्तियाँ भी होती हैं, जैसे कि सर्वोच्च न्यायालय (Supreme courts) और उच्च न्यायालयों (High courts) के न्यायाधीशों को नियुक्त करने, न्यायाधीशों को हटाने और पदक, सम्मान और पुरस्कार देने की शक्ति।


राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ - Legislative Powers of the President

  • विधेयकों पर स्वीकृतिः इनके पास संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देने की शक्ति है। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही कोई भी विधेयक कानून (Law) बन जाता है।
  • विधेयकों की वापसी: यदि राष्ट्रपति अपनी सहमति के लिए प्रस्तुत विधेयक (Bill) से संतुष्ट नहीं है, तो वह विधेयक को पुनर्विचार के लिए संसद को वापस कर सकते है।
  • सहमति रोकना: राष्ट्रपति के पास किसी विधेयक पर अपनी सहमति वापस लेने की शक्ति भी होती है। ऐसे मामलों में, बिल कानून नहीं बनता है। हालांकि, राष्ट्रपति की अनुमति रोकने की शक्ति कुछ संवैधानिक प्रावधानों के अधीन है।
  • वीटो पावर: इनके पास संसद द्वारा पारित विधेयक पर अपनी सहमति वापस लेने की शक्ति है। इसे पॉकेट वीटो के रूप में जाना जाता है, और यह बिल को कानून बनने से प्रभावी रूप से रोकता है।


भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ - Judicial Powers of the President

President of India की कुछ न्यायिक शक्तियाँ इस प्रकार हैं:-

  • क्षमा: राष्ट्रपति के पास कुछ Crimes) के लिए दोषी (Guilty) ठहराए गए व्यक्तियों को क्षमा, दमन, राहत, या दंड की छूट देने का अधिकार होता है। इस शक्ति का प्रयोग कुछ असाधारण मामलों में किया जाता है जहां President of india का यह मानना होता है कि इस प्रकार के मामलों में न्याय और दया की आवश्यकता है।
  • सजा को बदलना: यदि किसी व्यक्ति को बहुत ही गंभीर सजा दी गई है तो Rashtrapati उस सजा में बदलाव कर सकते है। उदाहरण के लिए यदि किसी को मृत्युदंड (Death punishment) की सजा दी जाती है तो तो President of India उस सजा में बदलाव करते हुए उसे आजीवन कारावास में बदल सकते है।
  • सजा में कमी: इनके द्वारा सजा की प्रकृति (Nature of punishment) को बदले बिना ही सजा की अवधि को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी को पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई है, तो भारत के Rashtrapati इसे घटाकर तीन साल कर सकते है।
  • राहत: इनके द्वारा किसी भी सजा (Punishment) को देने में देरी की जा सकती है, ऐसी स्थितियों में जहां आगे की जांच या कानूनी कार्यवाही (Legal Process) चल रही हो। जैसे किसी व्यक्ति की फांसी की सजा होने वाली हो लेकिन उसके लिए कोई और कार्यवाही चल रही है तो इनके द्वारा सजा में देरी की जा सकती है।

राष्ट्रपति के पास न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने या अदालती फैसलों (Court decisions) को बदलने का अधिकार नहीं है, परन्तु ये केवल असाधारण परिस्थितियों में दया या राहत (Mercy of Relief) देने के लिए अपनी इन सभी Powers का प्रयोग कर सकते है।
 

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ - President's Emergency Powers

भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency powers) देश में आये हुए संकट के समय दिए गए विशेष अधिकार के बारे में बताती है। आसान भाषा में कहे तो इन शक्तियों के इस्तेमाल देश में शांति, स्थिरता व सुरक्षा बनाए रखने के लिए किया जाता है। भारत में तीन प्रकार की आपात स्थितियाँ हैं:

  • राष्ट्रीय आपातकाल: यदि किसी युद्ध के कारण या किसी दूसरे देश के हमला करने के कारण या सशस्त्र विद्रोह के कारण पूरे देश पर खतरा आता है, तो राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा कर सकते है। जिसमें राज्यों के शासन को संभालने, कुछ मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) को निलंबित करने की शक्ति भी शामिल होती है।
  • राज्य आपातकाल: यदि भारत के किसी राज्य में कानून व्यवस्था (Law & order) सही से नहीं चल पा रही होती है और उस राज्य की सरकार उस स्थिति को ठीक से संभाल नहीं पाती या ये कहे कि कानून व्यवस्था को संभालने में असमर्थ होती है तो, राष्ट्रपति राज्य आपातकाल (State Emergency) की घोषणा कर सकते है। जिसके दौरान वे उस राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य का शासन अपने हाथ में ले सकते है।
  • वित्तीय आपातकाल: देश की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डालने वाले गंभीर वित्तीय संकट (Financial crisis) के आने पर इनके द्वारा वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा की जा सकती है। जिसमें राष्ट्रपति को देश के वित्त पर नियंत्रण व इस मुश्किल परिस्थिति को संभालना का अधिकार होता है।


मंत्रिपरिषद में भारत के राष्ट्रपति की भूमिका

भारत में मंत्रिपरिषद के संबंध में President of India की कुछ प्रमुख भूमिकाएँ इस प्रकार हैं:

  • प्रधान मंत्री की नियुक्ति: चुनाव के बाद राष्ट्रपति उस राजनीतिक दल या गठबंधन (Political party of alliance) के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत लेकर आता है।
  • मंत्रियों की नियुक्ति ये प्रधानमंत्री की सलाह लेकर मंत्रिपरिषद (Council of ministers) के सभी मंत्रियों को नियुक्त करते है और साथ ही सभी मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारी संभालने से पहले पद और गोपनीयता (Confidentiality) की शपथ दिलाते हैं।
  • मंत्रियों की बर्खास्तगी: इनके पास प्रधानमंत्री (Prime minister of India) की सलाह पर मंत्रियों (Ministers) को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने का भी अधिकार प्राप्त होता है।
  • मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी: अगर किसी परिस्थितियों में सरकार लोकसभा (Lok Sabha) में अपना बहुमत (Majority) साबित नहीं कर पाती तो Rashtrapati पूरी मंत्रिपरिषद को भी खत्म कर सकते है। इस प्रकार का कार्य लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) पारित होने के बाद देखने को मिलता है।
  • विधेयकों पर स्वीकृति देना:- संसद (Parliament) के दोनों सदनों लोकसभा व राज्य सभा द्वारा विधेयक पारित (Bill passed) होने के बाद इसे President of india के पास सहमति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद की सलाह पर विचार करने के बाद किसी भी विधेयक (Bill) को अपनी सहमति दे सकते है या इस पर रोक भी लगा सकते है।

इनके पास पुनर्विचार के लिए एक विधेयक वापस करने की शक्ति (Power) भी होती है, जिसे वीटो पावर (Vito power) के रूप में भी जाना जाता है।



न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका

न्यायाधीशों (Judges) की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका बड़ी भूमिका होती है। क्योंकि न्यायाधीश ऐसे होने चाहिए जो देश की न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) को अच्छे से संभाल सके व देश के सभी लोगों को समान न्याय (Justice) का अधिकार (Right) प्रदान करवा सके।  

कुल मिलाकर न्यायाधीशों की नियुक्ति में President of india की भूमिका न्यायपालिका को आकार देने में मदद करती है और कानूनी प्रणाली (Legal system) पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि न्यायाधीश लंबे समय तक सेवा करते हैं और लोगों के हितों व अधिकारों के लिए निर्णय लेते हैं।



सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति की भूमिका

  • कुल मिलाकर सैन्य कमान: Rashtrapati सेना के पदों के अनुसार भी सबसे बड़े पद पर होते है, और भारतीय थल सेना, नौसेना, वायु सेना की कमान को भी औपचारिक रुप से संभालते है।  
  • प्रमुखों की नियुक्ति: इनके द्वारा ही भारतीय थल सेना (Indian Army), नौसेना (Navy) और वायु सेना (Airforce) के प्रमुखों (Chiefs) की नियुक्ति की जाती है। इनके द्वारा ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ति भी करते हैं, जो तीनों सेनाओं पर नजर रखने का कार्य करते है।
  • रक्षा नीति: देश की सुरक्षा के लिए और सभी सैन्य तैयारियों के लिए प्रधान मंत्री (Prime minister) व रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के द्वारा इनको नियमित जानकारी प्राप्त होती रहती है।  
  • सैन्य सम्मान: राष्ट्रपति के पास सशस्त्र बलों (Armed Forces) के जवानों व अधिकारियों के लिए वीरता और बहादुरी के कार्यों के लिए परमवीर चक्र, महावीर चक्र, और वीर चक्र जैसे सैन्य सम्मान (Military honor) व पुरस्कार दिए जाते है।

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