वसीयत बनाने और रजिस्टर करने का तरीका

February 24, 2020
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


विषयसूची

  1. वसीयत बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
  2. वसीयत को पंजीकरण करवाना
  3. एक वसीयत में तारीख, गवाह और रजिस्ट्रेशन का महत्व
  4. वसीयत पर कैसे हस्ताक्षर करना चाहिए और नाम का इस्तेमाल करना चाहिए

वसीयत एक प्रकार का इच्छापत्र होता है, जो किसी व्यक्ति के अभिप्राय को घोषित करता है, कि वह अपने निधन के बाद अपनी संपत्ति का निपटान कैसे करना चाहता है, और यह वसीयत आपकी संपत्ति के निपटान का सबसे प्रभावी तरीका होता है। हम सभी लोग वसीयत की अवधारणा से अवगत हैं, लेकिन हम लोग अधिकतर वसीयत तैयार करने की परेशानियों के चलते यह सोचते हैं, कि एक वसीयत तैयार करने की आवश्यकता उन लोगों को सबसे ज्यादा है, जिनके पास अधिक धन, संपत्ति आदि होती है।

हालांकि, अपनी संपत्ति का सुनियोजन करना, यह सुनिश्चित करने के लिए उचित है, कि आपकी संपत्ति को भविष्य में एक ऐसे तरीके से स्थानांतरित किया जाने वाला है, जो आप उचित मानते हैं। इसके अलावा, वसीयत करना, यह भी सुनिश्चित करेगा कि आपकी संपत्ति आपके द्वारा चुने गए लोगों को हस्तांतरित की जाएगी जिससे परिवार के विवादों को भी रोका जा सकेगा।

एक प्राचीन अवधारणा है, कि आपको बीमारी या बूढ़े होने पर केवल एक वसीयत लिखने की ज़रूरत पड़ती है, क्योंकि लोग केवल बीमारी या बुढ़ापे की वजह से ही मरते हैं। वसीयत तैयार करने के लिए कोई सही या गलत उम्र नहीं होती है, आपको जीवन में यथाशीघ्र अपनी वसीयत लिख लेनी चाहिए।

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वसीयत बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

वसीयत बनाने के लिए आपको मुख्य रूप से निम्नलिखित चीजों पर विचार करना चाहिए:
 

  1. वकील की सलाह - वसीयत तैयार करने वाले व्यक्ति को मुख्य रूप से यह तय करना चाहिए कि क्या वह अपने आप से वसीयत का प्रारूप तैयार करना चाहता है, या फिर किसी योग्य वकील के परामर्श से वसीयत तैयार करना चाहता है। आप अपने आप भी एक वसीयत तैयार कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यह सलाह दी जाती है, कि आप किसी वकील से परामर्श से कोई वसीयत बनायें, ताकि भविष्य में किसी भी तकनीकी या कानूनी समस्याओं से बचा जा सके।

  2. अपनी परिसंपत्तियों की एक सूची तैयार करें - आपको अपनी सभी संपत्तियों की एक सूची तैयार करनी चाहिए। आप केवल स्वयं - प्राप्त संपत्तियों का निपटान कर सकते हैं, न कि अपनी पैतृक संपत्ति का, क्योंकि आपकी पैतृक संपत्ति पर आपके उत्तराधिकारियों का बराबर का अधिकार होता है। अपने परिसंपत्तियों को चल या अचल और देश – विदेश में स्थित सभी संपत्तियों में वर्गीकृत करें। आप इन संपत्ति को उन लोगों को आवंटित कर सकते हैं, जिन्हें आप अपनी संपत्ति देना चाहते हैं। यदि आप संपत्ति में संयुक्त साझेदार हैं, तो केवल विभाजित हिस्सा या ऐसी संपत्ति में ब्याज की ही वसीयत की जा सकती है।

  3. अपनी पूरी जानकारी प्रदान करें - वसीयत बनाते समय आपको अपने नाम, उम्र, आदि के संबंध में आपके स्थायी खाता संख्या (पैन) या आपके आधार कार्ड पर अंकित जानकारी ही प्रदान करनी चाहिए। आपको उन व्यक्तियों के पूर्ण नाम और विवरण का भी उचित रूप से उल्लेख करना चाहिए जिनको आप अपनी संपत्ति प्रदान करना चाहते हैं।

  4. एक निष्पादक नियुक्त करें - आपको अपने वसीयत में एक निष्पादक की नियुक्ति भी करनी होगी। एक निष्पादक ऐसा व्यक्ति होता है, जो आपकी इच्छा के अनुसार आपकी संपत्ति को प्रशासित करता है, और विभाजित करता है। निष्पादक को कानूनी औपचारिकताओं और वसीयतकर्ता की इच्छा के अनुसार वसीयत को निष्पादित करना चाहिए।

  5. बकाया ऋण और देनदारियों - वसीयत बनाते समय आपको अपने सभी ऋण दायित्वों पर भी विचार करना चाहिए। किसी भी बकाया देनदारियों के मामले में, आपको स्पष्ट रूप से लाभार्थी को संपत्ति के वितरण से पहले संपत्ति से मिलने वाली देनदारियों को चुकाने का प्रावधान भी करना होगा।

  6. डॉक्टर का प्रमाण पत्र - यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी वसीयत को इस आधार पर चुनौती न दे सके कि वसीयतकर्ता चिकित्सकीय रूप से फिट नहीं था। इसके लिए उचित होगा कि आप एक चिकित्सक से एक प्रमाण पत्र प्राप्त करें, जिसमे इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि आप वसीयत करने के समय दिमागी तौर पर स्वस्थ थे, और आपने जो कुछ भी लिखा है, उसको समझने में भी सक्षम थे।

  7. वसीयत की सुरक्षा - केवल एक वसीयत लिखना ही पर्याप्त नहीं होता है, बल्कि आपको इसे सुरक्षित निगरानी में रखने और उचित निष्पादन सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता होती है। इसलिए यह सलाह दी जाती है, कि आपको अपनी वसीयत की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अपनी वसीयत को पंजीकृत कराना चाहिए, ताकि आपके द्वारा की गयी वसीयत के साथ कोई छेड़छाड़ न हो सके, और उसे नष्ट, खोया या चोरी न किया जा सके।

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वसीयत को पंजीकरण करवाना

एक वसीयत को पंजीकृत करने से यह सुनिश्चित होता है, कि भविष्य में कभी भी संभावित विवादों के मामले में वसीयत को कानूनी समर्थन प्रदान करवाना होता है। वसीयत के प्रारूप को पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद, आप किसी भी समय वसीयत का पंजीकरण करवा सकते हैं, और वसीयत को पंजीकरण कराने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं होता है, कि जिसके भीतर आपको वसीयत पंजीकृत करवानी ही है।

एक वसीयत का पंजीकरण करवाने के लिए आपको जिला न्यायालय के उप - पंजीयक या रजिस्ट्रार से पहले वसीयत पंजीकरण कराना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में वसीयत में देने वाली संपत्ति का प्रमुख हिस्सा स्थित होता है।

वसीयत के पंजीकरण पर कोई स्टाम्प ड्यूटी लागू नहीं होती है, और यह भी कोई ज़रूरी नहीं है, कि वसीयत को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने की आवश्यकता होती है।
यदि आपकी वसीयत पंजीकृत हो चुकी है, और आप उसमें कोई बदलाव करना चाहते हैं, तो यह थोड़ा सा मुश्किल होगा। ऐसी स्तिथि में आपको बदलाव करने के बाद नयी वसीयत को भी पंजीकृत करना होगा। बदलाव के बाद नयी वसीयतनामे को कानूनी भाषा में एक कोडिसिल के रूप में जाना जाता है।
 


एक वसीयत में तारीख, गवाह और रजिस्ट्रेशन का महत्व

एक वसीयत को पंजीकृत कराना जरूरी नहीं होता है, लेकिन धोखाधड़ी या छेड़छाड़ से बचने के लिए अपनी वसीयत को पंजीकृत करा लेना बहुत जरूरी होता है। वसीयत को पंजीकृत कराने की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है, जहाँ आप एक निर्धारित फीस देकर रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार के पास अपनी वसीयत को पंजीकृत करा सकते हैं। लेकिन रजिस्ट्रार के ऑफिस में आपको दो गवाहों के साथ उपस्थित रहना पड़ता है। याद रखें कि दोनों गवाह, आपकी वसीयत के लाभार्थी नहीं होने चाहिए, और वे भरोसेमंद और विश्वसनीय होने चाहिए। वसीयत में एक तारीख का होना बहुत जरूरी है, जिस दिन वह वसीयत बनाई जाती है, और जिस दिन वसीयत का सञ्चालन किया जाता है, या जिस समय वह वसीयत क़ानून की दृष्टि में आने वाली होती है, क्योंकि इससे पता चलता है, कि यह एक नवीनतम वसीयत है।

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वसीयत पर कैसे हस्ताक्षर करना चाहिए और नाम का इस्तेमाल करना चाहिए

हमेशा वसीयत में लाभार्थियों का पूरा कानूनी नाम और साथ में उनकी जन्म तिथि और डाक पता भी लिखना चाहिए। यही नियम, वसीयत लिखने वाले व्यक्ति पर भी लागू होता है, इसलिए आपको कभी संक्षिप्त नाम या पुकार नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वसीयत पर सभी हस्ताक्षर, सम्पूर्ण रूप में होने चाहिए, न कि संक्षेप में। यही नियम, वसीयत के गवाहों पर भी लागू होता है, उन्हें भी पूरे हस्ताक्षर करना चाहिए और यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके हस्ताक्षर के पास में उनके नाम और विवरण का भी उल्लेख किया गया हो।





ये गाइड कानूनी सलाह नहीं हैं, न ही एक वकील के लिए एक विकल्प
ये लेख सामान्य गाइड के रूप में स्वतंत्र रूप से प्रदान किए जाते हैं। हालांकि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि ये मार्गदर्शिका उपयोगी हैं, हम कोई गारंटी नहीं देते हैं कि वे आपकी स्थिति के लिए सटीक या उपयुक्त हैं, या उनके उपयोग के कारण होने वाले किसी नुकसान के लिए कोई ज़िम्मेदारी लेते हैं। पहले अनुभवी कानूनी सलाह के बिना यहां प्रदान की गई जानकारी पर भरोसा न करें। यदि संदेह है, तो कृपया हमेशा एक वकील से परामर्श लें।

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