धारा 26 हिन्दू विवाह अधिनियम - अपत्यों की अभिरक्षा

October 11,2018


विवरण

इस अधिनियम के अधीन होने वाली किसी भी कार्यवाही में न्यायालय अप्राप्तवय अपत्यों की अभिरक्षा, भरण-पोषण और शिक्षा के बारे में, यथासंभव उनकी इच्छा के अनुकूल, समय-समय पर ऐसे आदेश पारित कर सकेगा और डिक्री में ऐसे उपबंध कर सकेगा जिन्हें वह न्यायसंगत और उचित समझे और डिक्री के पश्चात् इस प्रयोजन से अर्जी द्वारा किए गए आवेदन पर ऐसे अपत्य की अभिरक्षा, भरण-पोषण और शिक्षा के बारे में समय-समय पर ऐसे आदेश और उपबंध कर सकेगा जो ऐसी डिक्री अभिप्राप्त करने की कार्यवाही के लंबित रहते ऐसी डिक्री या अन्तरिम आदेश द्वारा किए जा सकते थे और न्यायालय पूर्वतन किए गए किसी आदेश या उपबंध को समय-समय पर प्रतिसंहृत या निलंबित कर सकेगा, अथवा उसमें फेरफार कर सकेगा :

परंतु भरण-पोषण और अवयस्क बालकों की शिक्षा सम्बन्धित आवेदन, लम्बित कार्यवाही में डिक्री प्राप्त करने के, को, यथासंभव प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामील से साठ दिनों में निपटाएंगे ।


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