धारा 14 हिन्दू विवाह अधिनियम - विवाह के एक वर्ष के अन्दर तलाक के लिये कोई याचिका पेश न की जायगी

October 11,2018


विवरण

(1) इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जब तक आज्ञप्ति द्वारा विवाह के भंग के लिए याचिका की तारीख जब तक कि उस विवाह की तारीख से अर्जी के उपस्थापन की तारीख तक एक वर्ष बीत न चुका हो, न्यायालय ऐसी याचिका को ग्रहण न करेगा :

परन्तु न्यायालय ऐसे नियमों के अनुसार जैसे कि उच्च न्यायालय द्वारा इस निमित्त बनाये जायें, अपने से किये गये आवेदन पर याचिका को विवाह की तारीख से एक वर्ष व्यपगत होने से पहले पेश करने के लिये समनुज्ञा इस आधार पर दे सकेगा कि वह मामला याचिकादाता द्वारा असाधारण कष्ट भोगे जाने का या प्रत्युत्तरदाता की असाधारण दुराचारिता का है, किन्तु यदि न्यायालय को याचिका की सुनवाई पर यह प्रतीत होता है कि याचिकादाता ने याचिका पेश करने के लिए इजाजत किसी मिथ्या व्यपदेशन या मामले के प्रकार के सम्बन्ध में किसी मिथ्या व्यपदेशन या किसी छिपावट से अभिप्राप्त की थी तो यदि न्यायालय आज्ञप्ति दे तो इस शर्त के अधीन ऐसा कर सकेगा कि जब तक विवाह की तारीख से एक वर्ष का अवसान न हो जाय, तब तक वह आज्ञप्ति प्रभावशील न होगी या याचिका को ऐसी किसी याचिका पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना खारिज कर सकेगा जो कि उन्हीं या सारत: उन्हीं तथ्यों पर उक्त एक वर्ष के अवसान के पश्चात् दी जाये जैसे कि ऐसे खारिज की गई याचिका के समर्थन में अभिकथित किये गये हों।

(2) विवाह की तारीख से एक वर्ष के अवसान से पूर्व तलाक के लिए याचिका पेश करने की इजाजत के लिये इस धारा के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करने में न्यायालय उस विवाह से हुई किसी संतति के हितों और इस बात को भी कि क्या पक्षकारों के बीच उत्त एक वर्ष के अवसान से पूर्व मेल-मिलाप की कोई युक्तियुक्त सम्भाव्यता है या नहीं, ध्यान में रखेगा।


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