भारत में गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार और गिरफ्तारी के नियम
जब भी किसी व्यक्ति पर किसी भी अपराध के लिए आरोप लगते है, तो सबसे पहला डर उसके मन में यही आता है कि अब उसे पुलिस गिरफ्तार करके ले जाएगी। लेकिन हम में से बहुत से लोगों को आज भी गिरफ्तारी के नियमों की जानकारी नहीं है। जिसके कारण बहुत बार पुलिस के द्वारा गैर-कानूनी रुप से भी किसी व्यक्ति को पकड़ लिया जाता है। इसलिए आज के लेख में हम आप गिरफ्तारी के नियमों के बारे में बताएंगे कि भारत में गिरफ्तार व्यक्तियों के क्या अधिकार हैं? गिरफ्तारी की प्रक्रिया क्या है (Rights of Arrested Person In India)? पुलिस कब गिरफ्तार कर सकती है?
हम सभी के लिए इन नियमों के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है, भले ही किसी प्रकार का अपराध ना किया हो। क्योंकि यदि हमें पहले से ही अपने अधिकारों की जानकारी होगी तो कोई भी व्यक्ति अपनी ताकत का गैर-कानूनी व गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। इसके साथ ही यदि किसी अन्य व्यक्ति के साथ कुछ गलत होता है, तो हम उसकी मदद करने में भी सक्षम हो जाते है। इसलिए कानून के द्वारा दिए गए इन अधिकारों व नियमों की विस्तृत जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
विषयसूची
- भारत में गिरफ्तार व्यक्तियों के क्या अधिकार हैं?
- क्या इंडिया में पुलिस किसी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है?
- भारत में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की प्रक्रिया क्या है?
- क्या भारत में गैरकानूनी हिरासत के खिलाफ कोई अधिकार हैं?
- क्या गिरफ्तारी के बाद पुलिस बिना वारंट के तलाशी ले सकती है?
- गिरफ्तारी के दौरान पुलिस दुर्व्यवहार के खिलाफ शिकायत कैसे दर्ज कर सकता है?
भारत में गिरफ्तार व्यक्तियों के क्या अधिकार हैं?
भारत में यदि किसी को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे कानून के द्वारा कुछ अधिकार दिए जाते है। ये अधिकार व्यक्ति की सुरक्षा और न्याय को कायम रखने के लिए बनाए गए हैं। गिरफ्तार व्यक्तियों के लिए यहां कुछ प्रमुख अधिकार दिए गए हैं:
- आरोप जानने का अधिकार:- व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि उन्हें क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है। पुलिस को उनके खिलाफ लगे आरोपों की जानकारी भी इस अधिकार के तहत दी जानी चाहिए।
- मौन रहने का अधिकार:- गिरफ्तार व्यक्ति को चुप रहने का अधिकार है और वह ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है जो उसे दोषी ठहरा सकता हो। यानी उस व्यक्ति को किसी के भी द्वारा ऐसा कुछ कहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसके कारण उसे अदालत में दोषी ठहराया जा सके।
- कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार:- हिरासत में लिए गए व्यक्ति को पूछताछ के दौरान वकील मौजूद रखने का अधिकार है। यदि वे वकील का खर्च वहन नहीं कर सकते, तो अदालत की तरफ से वकील मुहैया कराया जाता है।
- चिकित्सा परीक्षण का अधिकार:- गिरफ्तार व्यक्ति को डॉक्टर से जांच कराने का अधिकार है। यह उनकी शारीरिक जाँच करने किसी भी चोट के बारे में जानने के लिए बहुत जरुरी है।
- जमानत का अधिकार:- कई मामलों में व्यक्ति को जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार है, जो कानूनी प्रक्रिया शुरू होने तक हिरासत में रखने से बचाव करता है।
- उचित व्यवहार का अधिकार:- गिरफ्तारी प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। गिरफ्तारी के लिए आवश्यक सीमा से अधिक बल प्रयोग की अनुमति नहीं है।
- शीघ्र सुनवाई का अधिकार:- व्यक्ति को जल्द से जल्द सुनवाई का अधिकार है, जिसका अर्थ है कि उनके मामले की तुरंत सुनवाई की जानी चाहिए।
- कानूनी सहायता का अधिकार:- यदि कोई व्यक्ति वकील का खर्च देने में असमर्थ है या उसके पास इतने पैसे नहीं है तो उसे निःशुल्क कानूनी सहायता या वकील की सहायता प्रदान की जाती है।
- परिवार को सूचित करने का अधिकार:- गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के बारे में परिवार के किसी सदस्य या मित्र को सूचित करने का अधिकार है। किसी मामले में यदि पुलिस अचानक आपको हिरासत में ले लेती है तो आप अपने घर पर बता सकते है।
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क्या इंडिया में पुलिस किसी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है?
हां, कुछ परिस्थितियों में बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। यदि किसी पुलिस अधिकारी को यह लगे कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या करने वाला है। ऐसा कार्य आम तौर पर व्यक्ति को भागने, सबूत नष्ट करने, या खुद को या दूसरों के लिए खतरा पैदा करने से रोकने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में अपराध करता है। साथ ही यदि पुलिस को उचित संदेह है कि उस व्यक्ति ने संज्ञेय अपराध यानी कोई गंभीर अपराध किया है, तो भी पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।
भारत में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की प्रक्रिया क्या है?
- पुलिस के पास किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए उचित आधार या सबूत होना चाहिए जिससे ये माना जा सके कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है।
- कुछ मामलों में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है यदि उनके पास यह संदेह करने के लिए उचित आधार हैं कि व्यक्ति ने संज्ञेय अपराध किया है।
- यदि मजिस्ट्रेट द्वारा वारंट जारी किया जाता है, तो जिसके नाम का वारंट जारी हुआ है। पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
- गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को उनकी गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
- इसके बाद उस व्यक्ति की चिकित्सीय जांच करवाई जाती है। खासकर यदि वह गिरफ्तारी के दौरान घायल हो गया हो। इसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को या उसके वकील को मेडिकल रिपोर्ट की एक प्रति भी दी जाती है।
- पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का एक रिकार्ड तैयार किया जाता है। जिसमें गिरफ्तारी का समय और तारीख शामिल होती है। इस पर गिरफ्तार व्यक्ति के हस्ताक्षर भी करवाए जाते है।
- गिरफ्तारी के बाद उस व्यक्ति के मित्र, रिश्तेदार या किसी अन्य को इसके बारे में सूचित किया जाता है।
- इसके बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।
- गिरफ्तार व्यक्ति से वकील की मौजूदगी में पूछताछ की जाती है।
- गिरफ्तार व्यक्ति अपराध की प्रकृति के आधार पर जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। जमानत तब दी जा सकती है जब यह लगे कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा और गवाहों को भी परेशान नहीं करेगा।
क्या भारत में गैरकानूनी हिरासत के खिलाफ कोई अधिकार हैं?
हां, भारत में गैरकानूनी हिरासत से सुरक्षा के अधिकार हैं। गैरकानूनी हिरासत का मतलब है कानूनी अधिकार के बिना हिरासत या कारावास में रखना। यहां कुछ प्रमुख अधिकार दिए गए हैं:-
- भारतीय संविधान अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। इसके अनुसार कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से दूर नहीं किया जा सकता।
- यदि किसी को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है, तो बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट अदालत में याचिका दायर की जा सकती है। इस रिट में अधिकारियों को व्यक्ति को अदालत में पेश करने और उनकी हिरासत को उचित ठहराने की आवश्यकता होती है।
- किसी व्यक्ति को यात्रा के लिए लगने वाले समय को छोड़कर गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।
- ऐसे मामलों में जहां किसी व्यक्ति को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है, वे मुआवजे के हकदार हो सकते हैं। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर अदालतें मुआवज़ा देने का आदेश दे सकती हैं।
क्या गिरफ्तारी के बाद पुलिस बिना वारंट के तलाशी ले सकती है?
पुलिस को आम तौर पर किसी की संपत्ति की तलाशी के लिए वारंट की आवश्यकता होती है। हालाँकि, गिरफ्तारी के बाद एक अपवाद होता है। अगर पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो वह तुरंत उस व्यक्ति और उसके आसपास के इलाके की तलाशी ले सकती है। सरल शब्दों में कहे तो ऐसा इसलिए किया जाता है कि सब कुछ सुरक्षित है और किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ होने से रोका जा सके।
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस दुर्व्यवहार के खिलाफ शिकायत कैसे दर्ज कर सकता है?
यदि आपको लगता है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आपके साथ गलत व्यवहार किया है, तो शांत रहने का प्रयास करें। स्थिति को संयमित तरीके से समझना महत्वपूर्ण है।
- घटना की तारीख, समय, स्थान, शामिल अधिकारियों और किसी भी गवाह के नाम या बैज नंबर नोट करें। शिकायत दर्ज करते समय यह जानकारी सबसे महत्वपूर्ण होगी।
- इस बात का पता लगाए कि जिस इलाके में घटना हुई उसके लिए कौन सा पुलिस स्टेशन जिम्मेदार है। यहीं पर आपको अपनी शिकायत दर्ज करनी होगी।
- आपके साथ क्या हुआ यह बताते हुए अपनी शिकायत लिखे। यदि कोई व्यक्ति उस समय आपके साथ था तो उसको गवाह के रुप में अपने साथ रखें।
- यदि आपके पास कोई सबूत है, जैसे फोटो, वीडियो या मेडिकल रिपोर्ट, तो अपनी शिकायत के साथ उसकी Photo copy जरुर लगाए।
- थाना प्रभारी से संपर्क करें और बताएं कि आप पुलिस दुर्व्यवहार के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहते हैं।
- यदि आप स्थानीय पुलिस स्टेशन के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप पुलिस अधीक्षक (SP) जैसे उच्च अधिकारियों से संपर्क करें और अपनी शिकायत की एक प्रति जमा करें।
- यदि जरुरी हो तो किसी वकील से कानूनी सलाह जरुर ले जो आपकी ऐसे मामलों में मदद करेगा।