
विषयसूची
- बीएनएस की धारा 126 (1) (2) क्या है - BNS Section 126 in Hindi
- बीएनएस की धारा 126 के जुर्म की मुख्य बातें
- BNS Section 126 के तहत अपराध माने जाने वाले मुख्य कार्य
- बीएनएस धारा 126 का आपराधिक उदाहरण
- BNS Section 126 (2) में दोषी को सज़ा (Punishment) कितनी होती है
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में जमानत कब व कैसे मिलती है
- धारा 126 के आरोपी व्यक्ति के लिए बचाव के कुछ उपाय
- बीएनएस धारा 126 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या हो जब हम कही जा रहे हो और रास्ते में कोई व्यक्ति आकर हमारे रास्ते में रुकावट पैदा करें, हमें उस जगह जाने से रोके, जहाँ जाना हमारा कानूनी रुप से अधिकार है। अकसर जब भी हमारे साथ इस प्रकार की कोई घटना होती है तो हम गुस्से में आकर कोई गलत कदम उठा लेते है। जैसे जो व्यक्ति हमारे रास्ते में रुकावट पैदा कर रहा है, उसके साथ झगड़ा करना। ऐसा हम इसलिए करते है क्योंकि हमें यह जानकारी नहीं होती की हमें ऐसे व्यक्ति पर कानूनी रुप से कैसे कार्यवाही करनी है। आज हम आपको रास्ता रोकने की भारतीय न्याय संहिता की एक अहम धारा के बारे में विस्तार से बताएंगे कि, बीएनएस की धारा 126 क्या है यह कब लागू होती है (BNS Section 126 in Hindi)? इस धारा में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?
किसी भी व्यक्ति के द्वारा हमारे आने जाने के रास्ते में रुकावट पैदा करना या किसी कार्य को करने से रोकना कानूनी रुप से गंभीर अपराध माना जाता है। इस प्रकार के अपराध को कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 339 व 341 के तहत दर्ज किया जाता था। लेकिन नए कानून BNS के लागू होने के बाद से इस मामले को भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत दर्ज किया जाने लगा है। इसलिए जो भी व्यक्ति इस प्रकार के अपराध का शिकार होते है या जिन लोगों पर इस अपराध के तहत आरोप लगे है। उन सभी को इस लेख के द्वारा आगे की कार्यवाही करने व अपना बचाव करने से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
बीएनएस की धारा 126 (1) (2) क्या है - BNS Section 126 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी दिशा में जाने से रोकता है। जहाँ जाने का उस व्यक्ति को अधिकार है, तो ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति पर धारा 126 के तहत कार्यवाही की जाएगी। सेक्शन 126 को 2 मुख्य भागों में बाँटा गया है:-
BNS 126(1):- इसमें केवल इस अपराध की परिभाषा (Definition) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर (Intentionally) किसी ऐसी जगह जाने से रोकता है, जहाँ जाने का उस व्यक्ति को पूरा अधिकार है। लेकिन फिर भी उसे वहाँ जाने से रोकने की कोशिश की जाती है तो ऐसे कार्यों को अपराध माना जाता है। जिसके तहत सेक्शन 126 में कार्यवाही की जा सकती है।
BNS 126(2):- बीएनएस सेक्शन 126 की उपधारा (2) में इस अपराध की सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी के आने जाने में बाधा (Obstacle) उत्पन्न करेगा व कानूनी रुप से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस की धारा 126 के जुर्म की मुख्य बातें
- जानबूझकर किया जाना:- इसमें किसी व्यक्ति को रोकने का कार्य जानबूझकर किया जाना चाहिए। अचानक सामने आ जाना या अनजाने में रोकना गलत तरीके से रोके जाने का अपराध नहीं माना जाएगा।
- बाधा: आरोपी व्यक्ति के द्वारा पीड़ित की आवाजाही (आने-जाने) को रोकने के लिए शारीरिक अवरोध (Physical barrier) बनाना चाहिए या रोकने के लिए धमकी (Threat) दी जानी चाहिए।
- आगे बढ़ने का अधिकार: जिस व्यक्ति को रोका जा रहा है, उसके पास उस दिशा या रास्ते पर आगे बढ़ने का कानूनी अधिकार (Legal Rights) होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रास्ते (Public Place) पर आने जाने से रोकना गलत होगा, लेकिन आपकी निजी संपत्ति (Private Property) के अंदर किसी व्यक्ति को आने जाने से रोकना गलत नहीं होगा।
BNS Section 126 के तहत अपराध माने जाने वाले मुख्य कार्य
- किसी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति के कमरे में बंद कर देना।
- किसी व्यक्ति को सड़क पर चलने से रोकना।
- ट्रेन या बस में चढ़ने से किसी को रोकना।
- यदि आप किसी व्यक्ति को आपकी संपत्ति से बाहर निकलने से रोकते हैं, तो वह भी अपराध माना जाता है।
- किसी व्यक्ति को उसके काम पर जाते समय रोकना, या रोकने के लिए धमकी देना।
- आप किसी व्यक्ति को अस्पताल जाने से रोकते हैं, तो यह भी अपराध माना जाएगा।
इससे अलग भी बहुत सारे ऐसे कार्य हो सकते है, जिनको करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत अपराध माना जा सकता है।
बीएनएस धारा 126 का आपराधिक उदाहरण
अजय नाम का एक व्यक्ति एक सोसाइटी में रहता था, रोजाना सुबह 8 बजे वो अपने आफिस के लिए निकलता था। एक दिन जब अजय आफिस अपनी गाड़ी से जा रहा था, तो प्रदीप नाम के एक व्यक्ति ने जानबूझकर बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया। प्रदीप अजय से किसी बात को लेकर नफरत करता था, जिसके कारण वह अकसर उसे तंग करने के लिए कुछ ना कुछ करता रहता था। अजय बहुत देर तक वही पर फंसा रहा और अपने आफिस के लिए लेट हो गया।
जिसके बाद अजय को बहुत गुस्सा आया और उसने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस के आने के बाद अजय ने सारी बात विस्तार से बताई। जिसके बाद पुलिस ने अजय कि शिकायत पर प्रदीप के खिलाफ BNS Section 126 के तहत मामला दर्ज कर प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया।
BNS Section 126 (2) में दोषी को सज़ा (Punishment) कितनी होती है
बीएनएस की धारा 126 के तहत गलत तरीके से रोकने के लिए सजा के बारे में 126 की उपधारा 2 में बताते हुए कहा गया है कि जो भी व्यक्ति किसी को गलत तरीके से रोकने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे एक महीने तक की जेल व 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जा सकता है। कुछ मामलों में अदालत कारावास और जुर्माना दोनों भी लगा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 126 में गलत तरीके से रोकना एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) माना जाता है, जिसमें सजा भले ही ज्यादा कठोर ना हो। लेकिन फिर भी इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके साथ ही यह एक जमानती अपराध (Bailable offence) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति के पास अदालत में आवेदन करके जमानत (Bail) प्राप्त करने का अधिकार होता है।
जमानत के लिए जानने योग्य कुछ आवश्यक बाते:-
- आरोपी या उसका वकील पुलिस स्टेशन या न्यायालय (Court) में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- जमानत की राशि न्यायाधीश द्वारा निर्धारित की जाती है और यह अपराध की गंभीरता और आरोपी की व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
- जमानती एक ऐसा व्यक्ति होता है जो जमानत की राशि जमा करता है और यह सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदार होता है कि आरोपी सुनवाई (Hearings) के दौरान अदालत में उपस्थित रहेगा।
- न्यायाधीश जमानत के लिए कुछ शर्तें भी लगा सकता है, जैसे कि आरोपी को किसी निश्चित क्षेत्र में रहना, किसी से संपर्क नहीं करना, या पासपोर्ट जमा करना।
ये कुछ ऐसी जरुरी बाते है जो हर जमानती अपराध में आरोपी व्यक्ति के काम आ सकती है।
इस अपराध से संबधित अन्य धाराएं:
- BNS 351 (धमकी देना)
- BNS 125 (चोट पहुंचने वाला कार्य करना)
- BNS 352 (अपमान करना)
- BNS 127 (किसी को कैद करना)
- BNS 115 (चोट पहुँचाना)
- BNS 137 (अपहरण करना)
धारा 126 के आरोपी व्यक्ति के लिए बचाव के कुछ उपाय
यदि किसी व्यक्ति पर BNS Section 126 के तहत गलत तरीके से रोकने का आरोप लगाया जाता है, तो वे नीचे दिए गए उपायों के माध्यम से अपना बचाव (Defence) कर सकते हैं:-
- ऐसे किसी भी मामले में फंसने पर सबसे पहले किसी वकील (Lawyer) की सहायता जरुर ले।
- जो भी घटना हुई थी और जिस कारण हुई थी उसकी सही जानकारी विस्तार से अपने वकील को बताए।
- यदि आपके पास कोई ऐसा सबूत या गवाह (Evidence or Witness) है जो साबित कर सके की आपने किसी व्यक्ति को कही आने जाने से नहीं रोका। तो उस सबूत को अपने वकील को दे दे।
- पुलिस द्वारा कि जाने वाली पूछताछ के दौरान सच बोलें।
- अदालत के निर्देशों का पालन करें व सुनवाई के दौरान समय पर पहुँचे।
- अदालत के फैसले का इंतजार करें आप निर्दोष (Innocent) होंगे तो फैसला आपके ही हक में आएगा।
निष्कर्ष :- BNS Section 126 का मुख्य उद्देश्य देश के सभी लोगों को स्वतंत्र रुप से कही पर भी आने जाने की आजादी प्रदान करने का है। यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है तो उस व्यक्ति को इसके प्रावधानों के तहत सजा दी जाती है। यदि आप इस मामले से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान प्राप्त करना चाहते है, आप हमारे वकीलों से बात करके कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते है।
बीएनएस धारा 126 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बीएनएस सेक्शन 126 क्या है, यह कब लागू होती है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 गलत तरीके से रोक लगाने से संबंधित है। यह उन स्थितियों को परिभाषित करती है, जहां किसी व्यक्ति को स्वेच्छा से उस जगह जाने से रोका जाता है, जिस पर उसका कानूनी अधिकार है।
BNS 126 (2) के तहत गलत तरीके से रोक लगाने की सजा क्या है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में उपधारा 2 के तहत गलत तरीके से रोक लगाने के अपराध के दोषी व्यक्ति को महीने तक की साधारण कैद, व पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 जमानती है या गैर-जमानती?
BNS Section 126 एक जमानती अपराध है जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
गलत तरीके से रोक लगाने के अपराध की शिकायत कैसे दर्ज कर सकते है?
अगर कोई आपका गलत तरीके से रास्ता रोकता है तो आप अपने एरिया के पुलिस स्टेशन जाकर उसकी शिकायत BNS 126 के अंतर्गत कर सकते है।