मेरे दादा १९३१ मैं ३ प्रोप्रटी ली तीनो


सवाल

मेरे दादा ने १९३१ मैं ३ प्रोप्रटी ली और अपने तीनो बेटो को १९८५ मैं वसीयत कर दी मेरे दादा की मृत्यु १९९१ मैं हो गई तब सबको उनका हिस्सा मिल गया मेरे पिता तीसरे नम्बर के पुत्र थे उन्हें जो प्रॉपर्टी मिली उसे अपने नाम से रिनपुस्तिका मैं दर्ज करवा ली. मेरी माँ की मृत्यु १९९१ मैं ही हो गई उसके बाद मेरे पिता एक महिला जो उनसे २८ साल छोटी थी के साथ फंस गए और १९९८ मैं उन्होंने उसे घर ला लिया तब से वो हमारे यहां ही रहने लगी और धीरे धीरे उसने हमारे पिता को हमसे दूर कर दी और २०१८ मैं उसने पूरी प्रॉपर्टी १/४ हिस्सा छोड़ कर पूरा अपने नाम रजिस्टर्ड करवा ली मगर जब वो वसीयत के अनुसार अपना नाम खसरा मैं डलवाने गई तब पता चला की खसरे मैं मेरे पिता और दादा का नाम ही नहीं है लगभग ५० सालो से किसी और का नाम है डला हुआ है. रजिस्टर्ड वसीयत मैं घर का खसरा नंबर भी गलत डाला हुआ . अब मैं क्या कर सकता हूँ . उचित सलाह दे .

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यदि वसीयत में गलत खसरा नंबर उल्लेखित है है तो वह आपके संपत्ति पर लागू नहीं होगा तथा वसीयत संपत्ति पर स्थापित आपके अधिकार में किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं डालेगी . वसीयत में गलत खसरा नंबर होने के कारण के प्रभाव से मुक्त हैं लेकिन इसके बावजूद वसीयत का अवलोकन करने के पश्चात ही स्पष्ट कानूनी सलाह दी जा सकती है यदि संबंधित संपत्ति पर का नाम दर्ज तब अपने हिस्से में अपना नाम दर्ज कराने के लिए न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करना पड़ेगा


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