भारतीय संविधान अनुच्छेद 371A (Article 371A in Hindi) - नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध


विवरण

(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी,--
(क) निम्नलिखित के संबंध में संसद का कोई अधिनियम नागालैंड राज्य को तब तक लागू नहीं होगा जब तक नागालैंड की विधान सभा संकल्प द्वारा ऐसा विनिश्चय नहीं करती है, अर्थात्‌ : --
(i) नागाओं की धार्मिक या सामाजिक प्रथाएँ;
(ii) नागा रुढ़िजन्य विधि और प्रक्रिया;
(iii) सिविल और दांडिक न्याय प्रशासन, जहाँ विनिश्चय नागा रुढ़िजन्य विधि के अनुसार होने हैं;
(iv) भूमि और उसके संपत्ति स्रोतों का स्वामित्व और अंतरण;
(ख) नागालैंड के राज्यपाल का नागालैंड राज्य में विधि और व्यवस्था के संबध में तब तक विशेष उत्तरदायित्व रहेगा जब तक उस राज्य के निर्माण के ठीक पहले नागा पहाड़ी त्युएनसांग क्षेत्र में विद्यमान आंतरिक अशांति, उसकी राय में, उसमें या उसके किसी भाग में बनी रहती है और राज्यपाल, उस संबंध में अपने कृत्यों का निर्वहन करने में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में अपने व्यक्तिगत निर्णय का प्रयोग, मंत्रि-परिषद से परामर्श करने के पश्चात्‌ करेगा:
परंतु यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई मामला ऐसा मामला है या नहीं जिसके संबंध में राज्यपाल से इस उपखंड के अधीन अपेक्षा की गई है कि वह अपने व्यक्तिगत निर्णय का प्रयोग करके कार्य करे तो राज्यपाल का अपने विवेक से किया गया विनिश्चय अंतिम होगा और राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि उसे अपने व्यक्तिगत निर्णय का प्रयोग करके कार्य करना चाहिए था या नहीं :
परंतु यह और कि यदि राज्यपाल से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि अब यह आवश्यक नहीं है कि नागालैंड राज्य में विधि और व्यवस्था के संबंध में राज्यपाल का विशेष उत्तरदायित्व रहे तो वह, आदेश द्वारा, निदेश दे सकेगा कि राज्यपाल का ऐसा उत्तरदायित्व उस तारीख से नहीं रहेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए ;
(ग) अनुदान की किसी माँग के संबंध में अपनी सिफारिश करने में, नागालैंड का राज्यपाल यह सुनिश्चित करेगा कि किसी विनिर्दिष्ट सेवा या प्रयोजन के लिए भारत की संचित निधि में से भारत सरकार द्वारा दिया गया कोई धन उस सेवा या प्रयोजन से संबंधित अनुदान की माँग में, न कि किसी अन्य माँग में, सम्मिलित किया जाए;
(घ) उस तारीख से जिसे नागालैंड का राज्यपाल इस निमित्त लोक अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, त्युएनसांग जिले के लिए एक प्रादेशिक परिषद स्थापित की जाएगी जो पैंतीस सदस्यों से मिलकर बनेगी और राज्यपाल निम्नलिखित बातों का उपबंध करने के लिए नियम अपने विवेक से बनाएगा, अर्थात्‌ :--
(i) प्रादेशिक परिषद की संरचना और वह रीति जिससे प्रादेशिक परिषद के सदस्य चुने जाएँगे :
परंतु त्युएनसांग जिले का उपायुक्त प्रादेशिक परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा और प्रादेशिक परिषद का उपाध्यक्ष उसके सदस्यों द्वारा अपने में से निर्वाचित किया जाएगा;
(ii) प्रादेशिक परिषद के सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अर्हताएँ;
(iii) प्रादेशिक परिषद के सदस्यों की पदावधि और उनको दिए जाने वाले वेतन और भत्ते, यदि कोई हों;
(iv) प्रादेशिक परिषद की प्रक्रिया और कार्य संचालन;
(v) प्रादेशिक परिषद के अधिकारियों और कर्मचारिवृंद की नियुक्ति और उनकी सेवा की शर्तें; और
(vi) कोई अन्य विषय जिसके संबंध में प्रादेशिक परिषद के गठन और उसके उचित कार्यकरण के लिए नियम बनाने आवश्यक हैं।
(2) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, नागालैंड राज्य के निर्माण की तारीख से दस वर्ष की अवधि तक या ऐसी अतिरिक्त अवधि के लिए जिसे राज्यपाल, प्रादेशिक परिषद की सिफारिश पर, लोक अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे,--
(क) त्युएनसांग जिले का प्रशासन राज्यपाल द्वारा चलाया जाएगा;
(ख) जहाँ भारत सरकार द्वारा नागालैंड सरकार को, संपूर्ण नागालैंड राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोई धन दिया जाता है वहाँ, राज्यपाल अपने विवेक से त्युएनसांग जिले और शेष राज्य के बीच उस धन के साम्यापूर्ण आबंटन के लिए प्रबंध करेगा;
(ग) नागालैंड विधान-मंडल का कोई अधिनियम त्युएनसांग जिले को तब तक लागू नहीं होगा जब तक राज्यपाल, प्रादेशिक परिषद की सिफारिश पर, लोक अधिसूचना द्वारा, इस प्रकार निदेश नहीं देता है और ऐसे किसी अधिनियम के संबंध में ऐसा निदेश देते हुए राज्यपाल यह निर्दिष्ट कर सकेगा कि वह अधिनियम त्युएनसांग जिले या उसके किसी भाग को लागू होने में ऐसे अपवादों या उपांतरणों के अधीन रहते हुए, प्रभावी होगा जिन्हें राज्यपाल प्रादेशिक परिषद की सिफारिश पर विनिर्दिष्ट करे:
परंतु इस उपखंड के अधीन दिया गया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो;
(घ) राज्यपाल त्युएनसांग जिले की शांति, उन्नति और सुशासन के लिए विनियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए विनियम उस जिले को तत्समय लागू संसद के किसी अधिनियम या किसी अन्य विधि का, यदि आवश्यक हो तो भूतलक्षी प्रभाव से निरसन या संशोधन कर सकेंगे;
(ङ) (i) नागालैंड विधान सभा में त्युएनसांग जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों में से एक सदस्य को राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर त्युएनसांग कार्य मंत्री नियुक्त करेगा और मुख्यमंत्री अपनी सलाह देने में पूर्वोक्त सदस्यों की बहुसंख्‍या की सिफारिश पर कार्य करेगा;
(ii) त्युएनसांग कार्य मंत्री त्युएनसांग जिले से संबंधित सभी विषयों की बाबत कार्य करेगा और उनके संबंध में राज्यपाल के पास उसकी सीधी पहुँच होगी किंतु वह उनके संबंध में मुख्यमंत्री को जानकारी देता रहेगा;
(च) इस खंड के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, त्युएनसांग जिले से संबंधित सभी विषयों पर अंतिम विनिश्चय राज्यपाल अपने विवेक से करेगा;
(छ) अनुच्छेद 54 और अनुच्छेद 55 में तथा अनुच्छेद 80 के खंड (4) में राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों के या ऐसे प्रत्येक सदस्य के प्रति निर्देशों के अंतर्गत इस अनुच्छेद के अधीन स्थापित प्रादेशिक परिषद द्वारा निर्वाचित नागालैंड विधान सभा के सदस्यों या सदस्य के प्रति निर्देश होंगे;
(ज) अनुच्छेद 170 में--
(i) खंड (1) नागालैंड विधान सभा के संबंध में इस प्रकार प्रभावी होगा मानो साठ शब्द के स्थान पर छियालीस शब्द रख दिया गया हो;
(ii) उक्त खंड में, उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन के प्रति निर्देश के अंतर्गत इस अनुच्छेद के अधीन स्थापित प्रादेशिक परिषद के सदस्यों द्वारा निर्वाचन होगा;
(iii) खंड (2) और खंड (3) में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के प्रति निर्देश से कोहिमा और मोकोकचुंग जिलों में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के प्रति निर्देश अभिप्रेत होंगे।
(3) यदि इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों में से किसी उपबंध को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राष्ट्रपति, आदेश द्वारा, कोई ऐसी बात (जिसके अंतर्गत किसी अन्य अनुच्छेद का कोई अनुकूलन या उपांतरण है) कर सकेगा जो उस कठिनाई को दूर करने के प्रयोजन के लिए उसे आवश्यक प्रतीत होती है:
परंतु ऐसा कोई आदेश नागालैंड राज्य के निर्माण की तारीख से तीन वर्ष की समाप्ति के पश्चात्‌ नहीं किया जाएगा।
स्पष्टीकरण
इस अनुच्छेद में, कोहिमा, मोकोकचुंग और त्युएनसांग जिलों का वही अर्थ है जो नागालैंड राज्य अधिनियम, 1962 में है।]

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संविधान (तेरहवाँ संशोधन) अधिनियम, 1962 की धारा द्वारा (1-12-1963 से) अंतःस्थापित।

संविधान (कठिनाइयों का निराकरण) आदेश सं. 10 के पैरा 2 में यह उपबंध है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 371क इस प्रकार प्रभावी होगा मानो उसके खंड (2) के उपखंड (ङ) के पैरा (i) में निम्नलिखित परंतुक (1-12-1963) से जोड़ दिया गया हो, अर्थात्‌ :-- परंतु राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर, किसी व्यक्ति को त्युएनसांग कार्य मंत्री के रूप में ऐसे समय तक के लिए नियुक्त कर सकेगा, जब तक कि नागालैंड की विधान सभा में त्युएनसांग जिले के लिए, आबंटित स्थानों को भरने के लिए विधि के अनुसार व्यक्तियों को चुन नहीं लिया जाता है।


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भारतीय संविधान पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


1. संविधान क्या है?

संविधान देश का सर्वोच्च विधी है। यह सरकार/राज्य/संस्थानों के मौलिक संहिता, संरचनाओं, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों का सीमांकन करने वाले ढांचे का विवरण देता है। इसमें मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत और नागरिकों के कर्तव्य भी शामिल हैं।


2. संविधान कब प्रभाव मे आया ?

भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभाव मे आया था।


3. क्या संविधान मानव अधिकारों के दुरुपयोग को रोक सकता है?

यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका का संवैधानिक जनादेश है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास मौलिक और अन्य अधिकारों को लागू करने के लिए कार्रवाई करने की शक्ति है। यह निवारण तंत्र अनुच्छेद 32 और 226 के तहत प्रदान किया गया है।


4. धर्मनिरपेक्षता क्या है?

संविधान के 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में यह अभिकथन किया है की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों को समान सम्मान देना और सभी धर्मों की समान तरीके से रक्षा करना।


5. प्रस्तावना क्या है?

भारतीय संविधान की प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसमें कहा गया है कि भारत के लोग अपने नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुरक्षित करने का संकल्प लेते हैं।


6. क्या संविधान में संशोधन किया जा सकता है?

हां, भारत के संविधान में संशोधन किया जा सकता है। इसे या तो संसद के साधारण बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से और आधे राज्य विधानसभाओं के अनुसमर्थन द्वारा संशोधित किया जा सकता है।


7. क्या भारतीय संविधान किसी अन्य देश के संविधान के समान है?

भारत के संविधान में विभिन्न राष्ट्रों के संविधानों से कई विशेषताएं अपनायी हैं और आज हमारे पास भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला गया है। अन्य देशों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड के संविधानों से विशेषताओं को उधार लिया गया है।



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