भारतीय संविधान अनुच्छेद 279 (Article 279 in Hindi) - शुद्ध आगम आदि की गणना


विवरण

(1) इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में शुद्ध आगम से किसी कर या शुल्क के संबंध में उसका वह आगम अभिप्रेत है जो उसके संग्रहण के खर्चों को घटाकर आए और उन उपबंधों के प्रयोजनों के लिए किसी क्षेत्र में या उससे प्राप्त हुए माने जा सकने वाले किसी कर या शुल्क का अथवा किसी कर या शुल्क के किसी भाग का शुद्ध आगम भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा ‍अभिनिश्चित और प्रमाणित किया जाएगा और उसका प्रमाणपत्र अंतिम होगा।
(2) जैसा ऊपर कहा गया है उसके और इस अध्याय के किसी अन्य अभिव्यक्त उपबंध के अधीन रहते हुए, किसी ऐसी दशा में, जिसमें इस भाग के अधीन किसी शुल्क या कर का आगम किसी राज्य को सौंप दिया जाता है या सौंप दिया जाए, संसद द्वारा बनाई गई विधि या राष्ट्रपति का कोई आदेश उस रीति का, जिससे आगम की गणना की जानी है, उस समय का, जिससे या जिसमें और उस रीति का, जिससे कोई संदाय किए जाने हैं, एक वित्तीय वर्ष और दूसरे वित्तीय वर्ष में समायोजन करने का और अन्य आनुषंगिक या सहायक विषयों का उपबंध कर सकेगा।


भारत का संविधान , अधिक पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें


भारतीय संविधान पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


1. संविधान क्या है?

संविधान देश का सर्वोच्च विधी है। यह सरकार/राज्य/संस्थानों के मौलिक संहिता, संरचनाओं, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों का सीमांकन करने वाले ढांचे का विवरण देता है। इसमें मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत और नागरिकों के कर्तव्य भी शामिल हैं।


2. संविधान कब प्रभाव मे आया ?

भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभाव मे आया था।


3. क्या संविधान मानव अधिकारों के दुरुपयोग को रोक सकता है?

यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका का संवैधानिक जनादेश है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास मौलिक और अन्य अधिकारों को लागू करने के लिए कार्रवाई करने की शक्ति है। यह निवारण तंत्र अनुच्छेद 32 और 226 के तहत प्रदान किया गया है।


4. धर्मनिरपेक्षता क्या है?

संविधान के 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में यह अभिकथन किया है की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों को समान सम्मान देना और सभी धर्मों की समान तरीके से रक्षा करना।


5. प्रस्तावना क्या है?

भारतीय संविधान की प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसमें कहा गया है कि भारत के लोग अपने नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुरक्षित करने का संकल्प लेते हैं।


6. क्या संविधान में संशोधन किया जा सकता है?

हां, भारत के संविधान में संशोधन किया जा सकता है। इसे या तो संसद के साधारण बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से और आधे राज्य विधानसभाओं के अनुसमर्थन द्वारा संशोधित किया जा सकता है।


7. क्या भारतीय संविधान किसी अन्य देश के संविधान के समान है?

भारत के संविधान में विभिन्न राष्ट्रों के संविधानों से कई विशेषताएं अपनायी हैं और आज हमारे पास भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला गया है। अन्य देशों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड के संविधानों से विशेषताओं को उधार लिया गया है।



लोकप्रिय भारतीय संविधान अनुच्छेद