साइबर स्टॉकिंग क्या है - सज़ा, अधिनियम और शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया



आज के युग में मोबाइल फोन और लैपटॉप का उपयोग स्कूल जाने वाले छात्रों से लेकर कामकाजी पेशेवरों और यहां तक ​​कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक आवश्यकता बन गया है। इंटरनेट की उपलब्धता के कारण सोशल मीडिया, डिजिटल पेमेंट्स आदि का उपयोग बढ़ गया है, जिसका परिणाम यह निकला की, समाज का हर दूसरा व्यक्ति साइबर क्राइम से पीड़ित है।

इसी सिलसिले में आज हम इस आर्टिकल में साइबर अपराध से जुड़े, साइबर स्टॉकिंग के अपराध से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जैसे कि साइबर स्टॉकिंग का अर्थ क्या है (Cyberstalking in Hindi)?, साइबर स्टॉकिंग के अपराध में सजा, जमानत का प्रावधान, इस मामले में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया और इस केस में कौन सी आईपीसी धारा लगाई जाती है?


विषयसूची

  1. स्टॉकिंग (Stalking) क्या है?
  2. साइबर स्टॉकिंग और भारतीय दंड संहिता की धारा
  3. साइबर स्टॉकिंग का क्या अर्थ है (Cyberstalking Meaning in Hindi)?
  4. साइबर स्टॉकिंग अपराध के उदाहरण
  5. इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 (Information Technology Act) क्या है?
  6. सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008
  7. साइबर स्टॉकिंग के लिए सजा
  8. साइबर-स्टॉकिंग के अपराध में जमानत
  9. भारत में साइबर-स्टॉकिंग की रिपोर्ट कैसे करें:
  10. साइबर क्राइम की शिकायत के लिए प्रार्थना-पत्र (एप्लीकेशन) कैसे लिखें
  11. साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज
  12. साइबरस्टॉकिंग के लिए ऑनलाइन शिकायत कैसे दर्ज करें
  13. साइबरस्टॉकिंग से बचने के उपाय


स्टॉकिंग (Stalking) क्या है?

स्टॉकिंग एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसका पीछा करना, उससे संपर्क करना या उसे डराने-धमकाने का लगातार प्रयास करना शामिल है, जिससे उस व्यक्ति को खतरा महसूस हो।



साइबर स्टॉकिंग का क्या अर्थ है (Cyberstalking Meaning in Hindi)?

साइबर स्टॉकिंग एक ऐसा अपराध है जिसमें स्टॉकर इंटरनेट या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की नियत उस की निगरानी करता है, अनचाहे ई-मेल या एसएमएस के जरिए से उस से संपर्क करने की कोशिश करता है, या उसकी निजी जानकारी या फ़ोटो ऑनलाइन लीक करने के डर से डराता-धमकाता है।



साइबर स्टॉकिंग अपराध के उदाहरण

  • सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर किसी व्यक्ति को परेशान करना।
  • किसी व्यक्ति से सोशल मीडिया या ईमेल पर बार-बार संपर्क कर के बात करने का दबाव बनाना।
  • ऑनलाइन पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारी हासिल करना। 
  • ऑनलाइन यौन उत्पीड़न।
  • किसी व्यक्ति को बदनाम करने के इरादे से इंटरनेट पर उसकी अश्लील या मॉर्फ तस्वीरें पोस्ट करना।
  • सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक या अश्लील टिप्पणियाँ करना।
  • किसी व्यक्ति की निजी जानकारी प्राप्त करने के इरादे से उसकी ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखना।
  • इंटरनेट पर किसी को आपत्तिजनक फोटो भेजना या माँगना।
  • किसी की निजी जानकारी प्राप्त कर उसे ब्लैकमेल करना।

जाने - साइबर क्राइम क्या होता - पूरी जानकारी



इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 (Information Technology Act) क्या है?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 भारतीय संसद द्वारा साइबर अपराध से निपटने के उद्देश्य से पारित किया गया था जिसे आईटी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है। यह साइबर अपराधों को परिभाषित करता है और उनके लिए दंड निर्धारित करता है।



सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008

सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 ने आईटी एक्ट में आपत्तिजनक संदेश भेजने, पोर्नोग्राफी, बच्चों की पोर्नोग्राफी, साइबर आतंकवाद और वॉयरिज़म से संबंधित नए प्रावधान जोड़े।



साइबर स्टॉकिंग और भारतीय दंड संहिता की धारा

निर्भया गैंग-रेप के बाद आपराधिक संशोधन अधिनियम 2013 लागू हुआ जिसमें स्टॉकिंग और साइबर स्टॉकिंग के अपराध से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा 354डी को जोड़ा गया इस धारा के अनुसार कोई भी पुरुष जो-

  • यदि कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है, उससे संपर्क करता है या जबरदस्ती उससे संपर्क करने का लगातार प्रयास करता है; या
  • किसी महिला द्वारा इंटरनेट, ईमेल या किसी अन्य प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक संचार के उपयोग पर नज़र रखता है, तो वह स्टॉकिंग का अपराध करता है।


साइबर स्टॉकिंग के लिए सजा

भारत में साइबर स्टॉकिंग भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (Information Technology Act 2000) दोनों के तहत दंडनीय अपराध है जिनमें निम्नलिखित सजा का प्रावधान है:
 

  • भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 354डी के तहत सजा:  भारतीय दंड संहिता के तहत साइबर स्टॉकिंग के अपराध में पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 वर्ष तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है; दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 वर्ष तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67ए के तहत सजा (Punishment Under Sec 67a Of Information Technology Act 2000) : इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इंटरनेट या किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अश्लील या सेक्सुअल एक्ट से संबंधित सामग्री भेजता है या भेजने का कारण बनता है तो उसे पांच साल की जेल और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (I.T Act 2000) की धारा 67 के तहत सजा: इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से कोई अश्लील सामग्री भेजता है या भिजवाता है या प्रकाशित करता है तो उसे 3 साल तक की जेल और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
 

साइबर-स्टॉकिंग के अपराध में जमानत

पहली बार अपराध करने वालों के लिए यह अपराध जमानतीय है, लेकिन बार-बार अपराध करने वालों के लिए यह गैर जमानतीय अपराध बन सकता है।



भारत में साइबर-स्टॉकिंग की रिपोर्ट कैसे करें:

  • साइबर-सेल में शिकायत दर्ज करे: अपने शहर के साइबर-सेल में तुरंत लिखित शिकायत दर्ज करें। साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष रूप से साइबर सेल की स्थापना की गई।
  • कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल को रिपोर्ट करें: सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 के तहत, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल को कंप्यूटर सुरक्षा संबंधी मामलों से निपटने के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।
  • एफ.आई.आर. दर्ज करे : शहर में साइबर-सेल न होने की स्थिति में, आप स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफ.आई.आर. दर्ज करा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: यह पोर्टल साइबर अपराध के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है। उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर जांच एजेंसियां शिकायत पर कार्यवाही करती हैं​​।
  • हेल्पलाइन नंबर: आप राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
 

साइबर क्राइम की शिकायत के लिए प्रार्थना-पत्र (एप्लीकेशन) कैसे लिखें

  • आपको अपने शहर के साइबर क्राइम जांच सेल के अधिकारी को घटना का उल्लेख करते हुए प्रार्थना-पत्र लिखना होगा।
  • प्रार्थना-पत्र के अंत में पीड़ित को अपना नाम, पता और टेलीफोन नंबर भी लिखना होगा।
  • प्रार्थना-पत्र के साथ साइबर अपराध की घटना से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज भी लगाने होगे।


साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज

साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

ईमेल आधारित शिकायत के मामले में:

  • अपराधिक घटना की लिखित शिकायत
  • ईमेल की कॉपी और शीर्षक।
  • ईमेल और शीर्षक की हार्ड और सॉफ्ट कॉपी केवल सीडी-आर के रूप में होनी चाहिए।

सोशल मीडिया आधारित शिकायत के मामले में:

  • कथित प्रोफाइल और आपत्तिजनक संदेश की एक कॉपी या स्क्रीनशॉट।
  • कथित संदेश या लिंक के यूआरएल (वेब पेज का पता) का स्क्रीनशॉट।
  • उपरोक्त दस्तावेजों की हार्ड और सॉफ्ट कॉपी केवल सीडी-आर के रूप में होनी चाहिए।

साइबर क्राइम की शिकायत दर्ज के लिए प्रार्थना-पत्र किसे दे

  • निकटतम साइबर सेल अधिकारी को अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए प्रार्थना-पत्र देना होगा।
  • यदि आपके शहर में साइबर क्राइम सेल ना हो तो प्रार्थना-पत्र पुलिस स्टेशन या अपने राज्य के साइबर क्राइम अधिकारी को भी दे सकते है।
  • पुलिस स्टेशन में शिकायत स्वीकार न किए जाने की स्थिति में, आप कमिश्नर या न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रार्थना-पत्र दे सकते है।


साइबरस्टॉकिंग के लिए ऑनलाइन शिकायत कैसे दर्ज करें

आप राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर स्टॉकिंग के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
 

  • आपको सबसे पहले भारत में साइबर क्राइम की ऑफिसियल वेबसाइट https://cybercrime.gov.in/ वेबसाइट पर जाना है।
  • मेनू पर ‘अन्य साइबर अपराधों की रिपोर्ट करें’ पर क्लिक करें।
  • ‘शिकायत दर्ज करें’ पर क्लिक करें।
  • शर्तें पढ़ें और उन्हें स्वीकार करें।
  • अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करें, अपना नाम और राज्य भरें।
  • अपराध का विवरण भरें।


साइबरस्टॉकिंग से बचने के उपाय

  • अपने फ़ोन और कंप्यूटर और ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत पासवर्ड सेट करें।
  • अपने मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप को सुरक्षित रखने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-स्पाइवेयर सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
  • सार्वजनिक वाई-फाई को आसानी से हैक कर आपकी जानकारी तक पहुंचा जा सकता है इसलिए इसका उपयोग करने से बचें।
  • सोशल मीडिया पर प्राइवेसी सेटिंग में अपनी पोस्ट केवल “दोस्तों के साथ साझा करना” सेट करे।
  • सोशल मीडिया पर अनजान व्यक्ति को मित्र बनाने से बचें।
  • सोशल मीडिया का उपयोग करते समय लाइव लोकेशन साझा न करें।
  • उपयोग करने के बाद अपने ऑनलाइन और सोशल मीडिया खातों को लॉग-आउट कर दें।
  • अपनी पर्सनल जानकारी जैसे ईमेल और फोन नंबर को सोशल मीडिया खातों पर सार्वजनिक रूप से साझा न करें।

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