पशु क्रूरता की बीएनएस धारा 325 में सजा और जमानत | BNS 325 in Hindi


पशु क्रूरता की बीएनएस धारा BNS Section 325 in Hindi

आजकल, सोशल मीडिया और समाचारों में पशु क्रूरता के कई ऐसे मामले सामने आते हैं जो हमें झकझोर कर रख देते हैं। ये घटनाएं न केवल जानवरों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा हैं। पशु क्रूरता सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मानवीय मूल्यों पर एक हमला है। इस लेख में हम जानवर को मारकर या अपंग बनाकर शरारत करने के अपराध में कार्यवाही करने वाली भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में विस्तार से जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 325 क्या है (BNS Section 325 in Hindi)? इस धारा में दोषी को सजा कितनी होती है? धारा 325 में बेल मिलती है या नही?

हमारे समाज में पशुओं के प्रति क्रूरता के बढ़ते मामलों ने चिंता का विषय बना दिया है। पहले, ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 और 429 के तहत कार्रवाई की जाती थी। लेकिन कानूनी बदलावों के चलते अब इन मामलों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 325 के तहत दर्ज किया जाता है। यह धारा पशुओं के प्रति क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत कानून है। ये सेक्शन किसी पशु को मारने, जहर देने या उसे अपंग बनाने जैसे अपराधों को दंडनीय बनाती है।


बीएनएस की धारा 325 क्या है और यह कब लगती है - BNS Section 325 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 उन अपराधों से संबंधित है जिसमें जानवरों (Animals) को जानबूझकर शारीरिक नुकसान (Physical Harm) पहुंचाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर को मारता है, उसे जहर देता है, अपंग (Disabled) बनाता है या बेकार कर देता है, तो इसे शरारत माना जाएगा और यह धारा 325 के तहत अपराध होगा। यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानवरों को बिना किसी कारण के हानि पहुंचाते हैं, चाहे वह जानवर पालतू हो या जंगली।


भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 325 का उद्देश्य

  • पशु कल्याण: भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 325 पशु कल्याण (Animal Welfare) को बढ़ावा देने और पशु क्रूरता (Animal Cruelty) को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कानूनी उत्तरदायित्व: यह धारा पशुओं के प्रति क्रूरता दिखाने वाले व्यक्तियों को कानूनी रूप से जिम्मेदार बनाती है।
  • समाज के मूल्य: यह धारा समाज को पशु अधिकारों के प्रति बढ़ते जागरूकता और सभी जीवित प्राणियों के संरक्षण (Protection) के महत्व को दर्शाती है।

BNS 325 के अपराध के कुछ आवश्यक तत्व

  • यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर को मारने का काम करता है या उसे गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
  • जानवर को जहर (Poison) देना, चाहे किसी भी उद्देश्य से, धारा 325 के अंतर्गत अपराध है।
  • जानवर को शारीरिक रूप से अपंग (Disabled) बनाना या उसकी कार्यक्षमता (functionality) को बेकार कर देना, इस धारा के तहत आता है।
  • अपराधी का इरादा जानवर को जानबूझकर नुकसान (Intentionally Harm) पहुंचाने का होना चाहिए। यदि नुकसान गलती से हुआ है, तो धारा 325 लागू नहीं होगी।

बीएनएस सेक्शन 325 के अपराध को समझने योग्य सरल उदाहरण

एक दिन रवि नाम का व्यक्ति एक पार्क के पास बने रोड से अपनी मोटरसाइकिल पर कही जा रहा था। अचानक उसकी नजर रोड के किनारे बैठे के जानवर पड़ती है। रवि उस जानवर को देख कर उसे परेशान करने की योजना बनाता है। जिसके बाद वो अपनी मोटरसाइकिल द्वारा चुपचाप वहाँ जाता है, और उसके जानवर के पैर पर मोटरसाइकिल का पहिया चढ़ा देता है। जिसके कारण उस जानवर को बहुत ज्यादा चोट लग जाती है, रवि की इस हरकत को श्याम नाम का एक व्यक्ति देख लेता है। जिसके बाद वो रवि की शिकायत पुलिस में कर देता है, कुछ ही समय बाद पुलिस वहाँ आती है और रवि के खिलाफ BNS Section 325 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही करती है।


BNS Section 325 के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य

  • किसी जानवर को जानबूझकर मारना।
  • जानवर को जहर देना।
  • जानवर को अपंग बनाना।
  • जानवर को ऐसी चोट पहुंचाना जिससे वह चल-फिर न सके।
  • किसी भी जानवर को बिना कारण प्रताड़ित (Tortured) करना।
  • जानवर की आँख फोड़ देना या उसे अंधा करना।
  • जानवर को भूखा रखना और उसके खाने-पीने की चीजों में जहर मिलाना।
  • जानबूझकर जानवर को ऐसी जगह रखना जहां उसकी जान को खतरा हो।
  • जानवर को जलाना या किसी अन्य तरह से उसे पीड़ा देना।
  • जानवर को किसी भी प्रकार की असहनीय यातना (Unbearable Torture) देना।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के दोषी को मिलने वाली सजा

बीएनएस की धारा 325 के तहत किसी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग बनाना, गंभीर अपराध है, जिसके लिए दोषी (Guilty) व्यक्ति को पांच साल तक की कैद (Imprisonment) हो सकती है व जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा दी जा सकती है। सजा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि अपराध की गंभीरता कितनी है और जानवर को कितना नुकसान पहुंचा है।


बीएनएस की धारा 325 में आरोपी व्यक्ति के लिए जमानत का क्या प्रावधान है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के तहत दर्ज होने वाला यह अपराध जमानती (Bailable) है, जिसका अर्थ है कि आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को अदालत द्वारा जमानत दी जा सकती है। यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) भी है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना आरोपी की गिरफ्तार के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही कर सकती है। जमानत का प्रावधान अदालत के विवेक पर निर्भर करता है और आरोपी को अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे मंजूर किया जा सकता है।

निष्कर्ष:- BNS की धारा 325 भारत में पशु कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यह धारा पशु क्रूरता को रोकने और पशुओं के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करती है। यदि आप किसी पशु क्रूरता के मामले का गवाह बनते हैं, तो कृपया तुरंत अधिकारियों से संपर्क करें।




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बीएनएस धारा 325 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


बीएनएस की धारा 325 क्या है और यह किस अपराध में लगती है?

BNS Section 325 एक ऐसा कानून है जो किसी जानवर को नुकसान पहुंचाने पर लगाया जाता है। अगर आप जानबूझकर किसी जानवर को मारते हैं, उसे जहर देते हैं, या उसे अपंग बनाते हैं, तो इस धारा के तहत आपके खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है। 



भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 में बेल मिलती है या नही?

बीएनएस धारा 325 जमानती होती है, जिसमें आरोपी व्यक्ति अधिकार के तौर पर अपने वकील की सहायता से जमानत प्राप्त कर सकता है। 



BNS 325 के तहत अपराध की सजा क्या है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 का उल्लंघन करने पर अधिकतम पांच वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है। 



बीएनएस सेक्शन 325 के तहत क्या कोई अपवाद है?

हां, कुछ अपवाद हो सकते हैं, जैसे कि यदि कोई व्यक्ति किसी पशु को अपने स्वयं के बचाव में या किसी अन्य व्यक्ति के बचाव में मारता है, तो यह सेक्शन नहीं लागू होगा। 



क्या BNS 325 के तहत कोई मुआवजा दिया जा सकता है?

हां, भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 325 के तहत पीड़ित पशु के मालिक को मुआवजा दिया जा सकता है। मुआवजे की राशि अदालत द्वारा निर्धारित की जाती है।