भारतीय संविधान अनुच्छेद 123 (Article 123 in Hindi) - संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति
विवरण
(1) उस समय को छोड़कर जब संसद के दोनों सदन सत्र में हैं, यदि किसी समय राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक हो गया है तो वह ऐसे अध्यादेश प्रख्यापित कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हों।
(2) इस अनुच्छेद के अधीन प्रख्यापित अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होगा जो संसद के अधिनियम का होता है, किन्तु प्रत्येक ऐसा अध्यादेश --
(क) संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद के पुनः समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले दोनों सदन उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देते हैं तो, इनमें से दूसरे संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा; और
(ख) राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा।
स्पष्टीकरण--जहाँ संसद के सदन, भिन्न-भिन्न तारीखों को पुनः समवेत होने के लिए, आहूत किए जाते हैं वहाँ इस खंड के प्रयोजनों के लिए, छह सप्ताह की अवधि की गणना उन तारीखों में से पश्चात्वर्ती तारीख से की जाएगी।
(3) यदि और जहाँ तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्यादेश कोई ऐसा उपबंध करता है जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद इस संविधान के अधीन सक्षम नहीं है तो और वहाँ तक वह अध्यादेश शून्य होगा।
(4)*
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* संविधान (अड़तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2 द्वारा खंड (4) अंतःस्थापित किया गया और संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 16 द्वारा (20-6-1979 से) उसका लोप किया गया।
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भारतीय संविधान पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. संविधान क्या है?
संविधान देश का सर्वोच्च विधी है। यह सरकार/राज्य/संस्थानों के मौलिक संहिता, संरचनाओं, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों का सीमांकन करने वाले ढांचे का विवरण देता है। इसमें मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत और नागरिकों के कर्तव्य भी शामिल हैं।
2. संविधान कब प्रभाव मे आया ?
भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभाव मे आया था।
3. क्या संविधान मानव अधिकारों के दुरुपयोग को रोक सकता है?
यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका का संवैधानिक जनादेश है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास मौलिक और अन्य अधिकारों को लागू करने के लिए कार्रवाई करने की शक्ति है। यह निवारण तंत्र अनुच्छेद 32 और 226 के तहत प्रदान किया गया है।
4. धर्मनिरपेक्षता क्या है?
संविधान के 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में यह अभिकथन किया है की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों को समान सम्मान देना और सभी धर्मों की समान तरीके से रक्षा करना।
5. प्रस्तावना क्या है?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसमें कहा गया है कि भारत के लोग अपने नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुरक्षित करने का संकल्प लेते हैं।
6. क्या संविधान में संशोधन किया जा सकता है?
हां, भारत के संविधान में संशोधन किया जा सकता है। इसे या तो संसद के साधारण बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से, या संसद के विशिष्ट बहुमत से और आधे राज्य विधानसभाओं के अनुसमर्थन द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
7. क्या भारतीय संविधान किसी अन्य देश के संविधान के समान है?
भारत के संविधान में विभिन्न राष्ट्रों के संविधानों से कई विशेषताएं अपनायी हैं और आज हमारे पास भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला गया है। अन्य देशों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड के संविधानों से विशेषताओं को उधार लिया गया है।