​किसी संपत्ति के दाखिल व ख़ारिज के नियम

March 16, 2020
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


विषयसूची

  1. संपत्ति के उत्परिवर्तन की प्रक्रिया क्या है?
  2. संपत्ति के उत्परिवर्तन के लिए आवश्यक दस्तावेज
  3. बिहार में दाखिल - ख़ारिज के नियम
  4. संपत्ति को दाखिल ख़ारिज करने के मामले में एक वकील कैसे मदद कर सकता है?

संपत्ति के उत्परिवर्तन को हमारे रोजाना की भाषा में हम किसी संपत्ति के दाखिल - ख़ारिज के नाम से भी जानते हैं। आमतौर पर विरासत की संपत्ति, बिक्री - खरीद, वर्तमान मालिक की मौत, या किसी भी सरकारी निपटारे के माध्यम से किसी संपत्ति के मालिकाना अधिकार में बदलाव कराना अनिवार्य हो सकता है। अपने राजस्व विभाग के माध्यम से किसी भी शहर या जिले का स्थानीय नगर निगम, संपत्ति के मालिकाना अधिकार और हस्तांतरण के व्यापक रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। यह प्राधिकरण संपत्ति कर के भुगतान करने वाले देनदारियों के बारे में रिकॉर्ड भी रखता है, जिसके लिए यह उचित दस्तावेजों में संपत्ति के नए करदाताओं के बारे में जानकारी एकत्रित करता है। किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदने के दौरान उस संपत्ति के उत्परिवर्तन के लिए फाइलिंग कराना एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, ताकि संपत्ति कर और उपयोगिता बिलों के लिए सभी रसीद पिछले मालिक के बजाय नए खरीदार के नाम पर उत्पन्न हो सकें।

संपत्ति का उत्परिवर्तन कराना केवल एक बार की जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि समय - समय पर उत्परिवर्तन और जरुरी दस्तावेजों को अपडेट कराने के बारे में नयी योजनाओं को नियमित रूप से ट्रैक करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से आपकी संपत्ति के रिकॉर्ड की रक्षा करेगा।

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संपत्ति के उत्परिवर्तन की प्रक्रिया क्या है?

किसी भी संपत्ति के उत्परिवर्तन कराने के लिए आपको कुछ आवश्यक चरणों का पालन करना होगा जो निम्न दिए गए हैं

प्रथम चरण
यदि आपको अपनी संपत्ति के स्वामित्व को अन्य व्यक्ति के नाम पर दर्ज कराना है, तो सबसे पहले जिस क्षेत्र में आपकी संपत्ति है, वहां के तहसीलदार को एक प्रार्थना पत्र देना होगा, जिसे सादे कागज पर उचित प्रारूप में लिखकर एक गैर - न्यायिक स्टांप के साथ उनके पास जमा कराना होगा। प्रार्थना पत्र में संपत्ति को खरीदने और बेचने वाले दोनों पक्षों के नाम और संपत्ति के स्थान जैसी जरूरी बातें अवश्य ही लिखी होनी चाहिए।

दूसरा चरण
इस चरण में संपत्ति के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी एकत्र करनी होगी जैसे, सम्पत्ति किस तरह की है, किस क्षेत्र में है, सम्पत्ति का मालिकाना अधिकार किस कानून के तहत बदला गया, इसमें दोनों पक्षों के नाम, पिता का नाम और पूरे पते को के साथ - साथ संपत्ति के स्वामित्व बदलने की दिनांक को भी दर्ज करना होगा।

इसके अलावा उन तमाम दस्तावेजों की एक कॉपी भी देनी होगी जिनके आधार पर उत्परिवर्तन के लिए प्रार्थना पत्र दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण कागजों में सेल डीड या वसीयत आदि भी आते हैं। आपको ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी पड़ेगी। अगर संपत्ति के केवल कुछ हिस्से का ही उत्परिवर्तन कराना है, तो उतने हिस्से की फीस चुकानी पड़ेगी, जबकि पूरी सम्पत्ति बेचने पर पिछला बकाया के साथ पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी।

तीसरा चरण
सम्पत्ति की दाखिल - खारिज करने से म्यूनिसिपल रिकॉर्ड भी बन जाते हैं, और संपत्ति कर जमा करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है। जब आप संपत्ति के उत्परिवर्तन के लिए प्रार्थना पत्र देते हैं, तो सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तिहार दिया जाता है। इस इश्तिहार में यह पूछा जाता है, कि इस उत्परिवर्तन को लेकर किसी भी व्यक्ति को आपत्ति तो नहीं है। पूरी जाँच के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाता है। 15 दिन के बाद किसी भी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

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यह प्रक्रिया समाप्त होने पर सम्बंधित अधिकारी अपनी रिपोर्ट जमा कर देते हैं। रिपोर्ट जमा करने से पहले दोनों पक्षों के बयान का मिलान दस्तावेजों में लिखित तथ्यों से किया जाता है। यदि इस प्रक्रिया में कोई बाधा आती है, या किसी व्यक्ति के द्वारा आपत्ति दर्ज की जाती है, तो इस मामले को इलाके के रैवेन्यू असिस्टैंट अफसर के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाता है। अगर कोई पक्ष रैवेन्यू असिस्टैंट अफसर के फैसले से असंतुष्ट रहता है, तो वह आदेश जारी होने के 30 दिनों के अंदर एडिशनल कलैक्टर (डिप्टी कमिश्रर) के पास अपील कर सकता है।

चौथा चरण
यहाँ पर आपको संपत्ति को बेचने या स्वामित्व के बदलने की सूचना नजदीक के म्यूनिसिपल ऑफिसर को देनी होती है, क्योंकि जब तक संपत्ति आपके पास थी, तब तक आप उस संपत्ति का कर भरते होंगे और बेचने के बाद वह कर दूसरे पक्ष को भरना होगा। यदि संपत्ति के कर में कोई बढ़ौतरी होती है, या कोई कर बकाया रह जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी दूसरे पक्ष यानी संपत्ति लेने वाले व्यक्ति की होगी।

संपत्ति को खरीदने से पहले आपको सुनिश्चित करना आवश्यक होता है, कि जिस व्यक्ति से आप संपत्ति खरीद रहे हैं, उसने पिछले सभी कर चुका दिए हैं, या नहीं। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है, कि अगर संपत्ति कर जमा करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद संपत्ति जिस व्यक्ति के नाम पर हस्तांतरित होती है, उसे उस व्यक्ति की मृत्यु के छह महीने के अंदर आपको इसकी सूचना म्युनिसिपल कार्पोरेशन को देनी होगी। तभी उत्परिवर्तन या दाखिल - खारिज हो सकेगा।

पांचवां चरण
यदि सम्पत्ति का केवल कुछ हिस्सा ही बेचा गया है, तो केवल इस हिस्से का ही उत्परिवर्तन हो सकता है, लेकिन यह जरूरी है, कि उस हिस्से पर लागू होने वाला सभी बकाया और निर्धारित कर का भुगतान किया जा चुका हो। इसी तरह उत्तराधिकार के नियमों के तहत अगर कोई संपत्ति सभी कानूनी उत्तराधिकारियों के नाम हस्तांतरित होती है, तो इन सभी के नाम संपत्ति का उत्परिवर्तन तभी होगा, जब संपत्ति के हिस्सों पर लागू सभी कर चुका दिए गए हों।
 


संपत्ति के उत्परिवर्तन के लिए आवश्यक दस्तावेज

  1. सेल डीड की कॉपी

  2. गैर न्यायिक स्टांप के साथ आवेदन

  3. निर्धारित रकम के स्टांप पेपर पर इंडेम्निटी बांड

  4. निर्धारित रकम के स्टांप पेपर पर हलफनामा

  5. संपत्ति कर की सभी रसीदें

  6. पूर्व मालिक का मृत्यु प्रमाणपत्र, वसीयत या उत्तराधिकार प्रमाणपत्र

  7. रजिस्टर्ड पावर ऑफ अटार्नी की कॉपी, पेमैंट की रसीदें

  8. अन्य कानूनी उत्तराधिकारी की तरफ से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन. ओ. सी.)

  9. संपत्ति का नक्शा।
     


बिहार में दाखिल - ख़ारिज के नियम

सामान्यतः बिहार में भी दाखिल - ख़ारिज के नियम सामान्य नियमों की तरह ही हैं, किन्तु यहां कुछ अन्य नियम भी जुड़े हैं, जैसे कि दाखिल खारिज की रसीद के बिना जमीन का बेचा जाना संभव नहीं है। किसी व्यक्ति को अपनी जमीन को बेचने के लिए जमीन के दाखिल खारिज की रसीद लगानी होगी तभी उनकी जमीन का बिक्रीनामा पेपर तैयार हो सकेगा। बिहार की राज्य सरकार ने भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 के संशोधन के अनुसार एक नया कानून सामने लेकर आयी है। जिसमें 90 दिनों के अंदर दाखिल खारिज नहीं कर पाने की स्थिति में विलंब का कारण भी बताना होगा। 2 अक्टूबर, 2019, गांधी जयंती से बिहार राज्य सरकार ने भूमि के निबंधन (रजिस्ट्री ) से संबंधित नई व्यवस्था लागू की है, जिसके अनुसार बिना भूमि की जमाबंदी (दाखिल - खारिज) कराए उसकी बिक्री नहीं की जा सकती है। किसी भी पुश्तैनी जमीन की बिक्री करने से पहले लोगों को आपसी बंटवारा करना होगा, उसके बाद ही उसकी रजिस्ट्री हो पाएगी। और एक जमीन कई लोगों को नहीं बेची जा सकती है।

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संपत्ति को दाखिल ख़ारिज करने के मामले में एक वकील कैसे मदद कर सकता है?

हमारे देश में अधिकांश मामले संपत्ति से जुड़े हुए ही होते हैं, जिसमें से एक व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपनी संपत्ति को हस्तांतरित करने के मामले भी आते हैं। जिसमें उस संपत्ति के हस्तांतरण के बाद उसके दाखिल - ख़ारिज करने की बात सामने आती है, जो कि किसी भी संपत्ति के लिए बहुत ही जरूरी होता है। ऐसी स्तिथि में केवल एक प्रॉपर्टी वकील ही वह व्यक्ति होता है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति द्वारा अपने किसी खास व्यक्ति को या किसी भी अन्य व्यक्ति को अपनी संपत्ति को हस्तांतरित करने के बाद दाखिल - ख़ारिज जैसा कोई भी छोटा या बड़ा क़ानूनी कार्य बड़ी सरलता से किया जा सकता है, क्योंकि दाखिल - ख़ारिज करने के मामले में कई औपचारिकताएं होती हैं, जिनमें कोई भी औपचारिता पूर्ण न होने पर विवाद भी उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में एक वकील ही उचित क़ानूनी तरीके से उस संपत्ति के मालिक के अनुसार उसकी संपत्ति का उचित निपटारा भी करवा सकता है, और किसी व्यक्ति की संपत्ति के दाखिल - ख़ारिज कराने में भी मदद कर सकता है। लेकिन इसके लिए यह ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है, कि जिस वकील को हम किसी व्यक्ति की संपत्ति के दाखिल - ख़ारिज कराने के लिए नियुक्त करने की सोच रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में निपुण वकील हो, और वह पहले भी संपत्ति से जुड़े हुए मामलों से जूझ चुका हो, और वह इस तरह के मामलों से निपटने में पारंगत हो।





ये गाइड कानूनी सलाह नहीं हैं, न ही एक वकील के लिए एक विकल्प
ये लेख सामान्य गाइड के रूप में स्वतंत्र रूप से प्रदान किए जाते हैं। हालांकि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि ये मार्गदर्शिका उपयोगी हैं, हम कोई गारंटी नहीं देते हैं कि वे आपकी स्थिति के लिए सटीक या उपयुक्त हैं, या उनके उपयोग के कारण होने वाले किसी नुकसान के लिए कोई ज़िम्मेदारी लेते हैं। पहले अनुभवी कानूनी सलाह के बिना यहां प्रदान की गई जानकारी पर भरोसा न करें। यदि संदेह है, तो कृपया हमेशा एक वकील से परामर्श लें।

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