BNS Section 35 - निजी सुरक्षा के अधिकार की बीएनएस धारा के प्रावधान और सजा


निजी सुरक्षा की बीएनएस धारा BNS Section 35 in Hindi

हम सभी ने कभी ना कभी यह बात सुनी ही होगी कि जब भी हम पर कोई हमला करें तो हम अपने बचाव के लिए आत्मरक्षा में उस पर हमला कर सकते है। आत्मरक्षा का अर्थ है अपनी या दूसरों की जान या संपत्ति को बचाने के लिए बल प्रयोग करना। यह एक प्राकृतिक अधिकार है, जिसे कानून भी मान्यता देता है। लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर हम आत्मरक्षा के नाम पर ज्यादा बल प्रयोग करते हैं या बिना किसी कारण के किसी पर हमला करते हैं, तो हम कानूनन अपराधी बन सकते है। आज हम भारतीय न्याय संहिता में शरीर और संपत्ति की निजी सुरक्षा के अधिकार से संबंधित अपराध की धारा के बारे में जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 35 क्या है (BNS Section 35 in Hindi)? निजी रक्षा के अधिकार का इस्तेमाल कब करें? BNS 35 के अधिकारों की क्या सीमाएं है? धारा 35 के उल्लंघन के कानूनी परिणाम।

पहले आईपीसी की धारा 97 के तहत आत्मरक्षा या निजी सुरक्षा के मामलों को परिभाषित किया जाता था। लेकिन अब बीएनएस के लागू होते ही ऐसे मामलों के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 35 का इस्तेमाल होता है। BNS ने IPC की जगह लेते हुए कई कानूनी प्रक्रियाओं को पहले से स्पष्ट और व्यवस्थित बना दिया है। यह धारा निजी रक्षा के अधिकार को अधिक विस्तार से बताती है और यह समझने में मदद करती है कि किन परिस्थितियों में आप अपनी रक्षा के लिए बल का प्रयोग कर सकते हैं।


बीएनएस की धारा 35 क्या है और निजी सुरक्षा का अधिकार क्या है - BNS Section 35 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 35 शरीर व संपत्ति की निजी सुरक्षा (Private Defence) के अधिकार से संबंधित है। जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को अपनी रक्षा के लिए बल का प्रयोग करने का कानूनी अधिकार (Legal Rights) प्रदान करना है। इसके तहत हर व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपने जीवन, शरीर, या संपत्ति की रक्षा के लिए उचित और आवश्यक बल (Required Force) का प्रयोग कर सकता है।

यह अधिकार तब मान्य (Valid) होता है जब किसी पर अवैध रूप से हमला (Attack) हो रहा हो या उसकी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा या नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही हो।


BNS धारा 35 के अनुसार आत्मरक्षा में बल का प्रयोग कब किया जा सकता है?

  • यदि किसी व्यक्ति पर जानलेवा हमला (Deadly Attack) होता है या उसका शरीर खतरे में है, तो उसे अपनी रक्षा के लिए बल (Force) प्रयोग करने का अधिकार है।
  • यह अधिकार केवल तब लागू होता है जब खतरा वास्तविक (Real Threat) हो और किसी तरह की अवैध गतिविधि (Illegal Activity) के तहत हमला हो रहा हो।
  • न सिर्फ खुद की, बल्कि किसी और व्यक्ति की जान या शरीर की सुरक्षा के लिए भी आप बल का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे अगर आपके सामने किसी और पर हमला हो रहा हो, तो आप उसे बचाने के लिए उचित बल का प्रयोग कर सकते हैं।
  • कोई भी व्यक्ति अपनी या किसी और की संपत्ति को बचाने के लिए भी बल प्रयोग कर सकता है, अगर उसे नुकसान पहुंचाने या कोई वस्तु छीनने की कोशिश की जा रही हो। यह संपत्ति व्यक्तिगत (Personal) हो सकती है, जैसे घर, गाड़ी, ज़मीन आदि।
  • अगर आप पर हमला होता है और हमलावर भाग जाता है या हमला खत्म हो जाता है, तो आपके द्वारा बल का प्रयोग भी वहीं समाप्त हो जाना चाहिए। खतरे के बाद बल प्रयोग करने पर आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 35 के तहत निजी सुरक्षा के अधिकार की सीमाएँ

बीएनएस की धारा 35 के तहत दिए गए निजी सुरक्षा के अधिकार की कुछ सीमाएं (Limitations) हैं। जब हम अपनी या किसी और की सुरक्षा के लिए बल प्रयोग करते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना होता है कि हम कानून के दायरे में रहकर ही काम कर रहे हैं। इसका मतलब है कि हम सिर्फ उतना ही बल प्रयोग कर सकते हैं जितना आवश्यक हो, और जानबूझकर किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं।

1. अनुचित बल का प्रयोग नहीं कर सकते
निजी बचाव का अधिकार हमें यह नहीं कहता कि हम किसी भी परिस्थिति में बिना सोचे-समझे बल प्रयोग करें। हमें खतरे की गंभीरता के आधार पर ही बल का प्रयोग करना चाहिए।
उदाहरण: अगर कोई व्यक्ति आपके घर में चोरी करने की कोशिश करता है, तो आप उसे रोक सकते हैं, लेकिन आप उसे जानबूझकर मार नहीं सकते।

2. आवश्यकता से अधिक बल का प्रयोग नहीं
अगर खतरा खत्म हो गया है या हमलावर भाग चुका है, तो हमें बल का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
उदाहरण: अगर कोई चोर भागने की कोशिश कर रहा है और आप उसे पकड़ लेते हैं, तो उसे पकड़कर पुलिस को बुलाना सही कदम है, लेकिन उसे पीटना गैरकानूनी (Illegal) होगा।

3. जानबूझकर नुकसान नहीं पहुंचा सकते
हम किसी पर हमला (Attack) केवल उसी समय कर सकते हैं जब हमारी जान, शरीर, या संपत्ति पर तुरंत खतरा हो। हम यह नहीं कर सकते कि किसी को जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाएं, जब कोई और रास्ता उपलब्ध हो।
उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति ने आपकी संपत्ति(Property) को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की और आप उसे रोकते हैं, तो आप उस पर सिर्फ इतना बल प्रयोग कर सकते हैं कि वह अपनी हरकत से रुक जाए।

4. आत्मरक्षा या निजी रक्षा में हमला उसी समय तक किया जा सकता है जब तक खतरा मौजूद हो
अगर हमलावर भाग गया है या हमला खत्म हो गया है, तो हम उस पर आगे बल प्रयोग नहीं कर सकते।
उदाहरण: अगर कोई व्यक्ति हमला करने के बाद भाग जाता है, तो उसे पीछा करके मारने का अधिकार नहीं है। बस उसे पकड़कर पुलिस के हवाले करना सही कदम होगा।


बीएनएस सेक्शन 35 में निजी रक्षा (Self Defence) के अपराध का उदाहरण

साहिल अपने घर में रात को सो रहा था। अचानक उसे खिड़की से कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। उसने देखा कि एक चोर उसके घर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है। साहिल ने तुरंत स्थिति को समझा और चोर को रोकने के लिए एक डंडा उठा लिया। जैसे ही चोर अंदर आया, साहिल ने उसे डंडे से मारकर भागने पर मजबूर कर दिया। साहिल ने चोर को इतनी ही चोट पहुंचाई जिससे वह रुक सके और कोई बड़ी हानि न हो। चोर भाग गया और फिर साहिल ने पुलिस को बुला लिया।

इस उदाहरण में साहिल ने BNS की धारा 35 के तहत अपने घर और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उचित बल (Reasonable Force) का प्रयोग किया। उसने केवल उतना ही बल प्रयोग किया जितना चोर को रोकने के लिए आवश्यक था।


आत्मरक्षा​ के अधिकार में पुलिस और अदालत की भूमिका:

किसी भी निजी रक्षा के मामले में पुलिस और अदालत (Police Or Court) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वे यह तय करते हैं कि आपने आत्मरक्षा का उपयोग सही तरीके से किया है या नहीं। वे सबूतों और गवाहों (Evidences Or Witness) के आधार पर जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपने अपने अधिकारों का दुरुपयोग (Misuse) तो नहीं किया।

अगर पुलिस या अदालत को लगता है कि आपने जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया है या आत्मरक्षा की आड़ में हमलावर (Attackers) को जानबूझकर चोट (injury) पहुंचाई है, तो आपके खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है।


निजी रक्षा में हत्या करने पर कानूनी जांच - Murder in Self Defence

अगर अपने बचाव में बल का प्रयोग करने से किसी की मृत्यु (Death) हो जाती है, तो इस मामले की गहराई से जांच की जाती है। अदालत यह देखेगी कि क्या यह हत्या (Murder) आवश्यक थी और क्या आप सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए ऐसा करने को मजबूर थे।

अगर यह साबित हो जाता है कि यह आत्मरक्षा (Self Defence) में की गई हत्या थी, तो आपको बरी कर दिया जा सकता है। लेकिन अगर यह साबित होता है कि आपने जानबूझकर या जरूरत से ज्यादा बल (Force) प्रयोग किया, तो आपको हत्या के लिए दोषी (Guilty) ठहराया जा सकता है।

बीएनएस की धारा 35 के उल्लंघन के कानूनी परिणाम

भारतीय न्याय संहिता की धारा 35 का उल्लंघन (Violation) करने यानि निजी रक्षा (Private Defense) के अधिकार का गलत इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को निम्नलिखित सजा (Punishment) हो सकती है:-

जेल: निजी रक्षा के अधिकार का उल्लंघन करके किए गए अपराध की गंभीरता के आधार पर दोषी व्यक्ति (Guilty Person) को कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों तक की जेल हो सकती है।
जुर्माना: अदालत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति पर भारी जुर्माना (Fine) भी लगा सकती है। इसके अलावा अदालत जेल और जुर्माना दोनों की सजा से भी दंडित कर सकती है।

निष्कर्ष:- BNS Section 35 हमें शरीर व संपत्ति की सुरक्षा के लिए निजी रक्षा का अधिकार देती है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करते समय हमें सावधान रहना होगा और कानून के दायरे में रहना होगा। अगर हम इस धारा का उल्लंघन करते हैं तो हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।




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