BNS Section 338 in Hindi - दस्तावेज़ जालसाजी की बीएनएस धारा में सजा और जमानत


जालसाजी की बीएनएस धारा BNS Section 338 in Hindi

आज के युग में जहां तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं धोखाधड़ी के नए-नए तरीके भी सामने आ रहे हैं। इस तरह के अपराधों में नकली सर्टिफिकेट बनाना, नकली वसीयतनामा बनाना, नकली डिग्री बनाना आदि शामिल हैं। आजकल सोशल मीडिया और इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के कारण ऐसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग आसानी से फर्जी दस्तावेज बना सकते हैं और उन्हें ऑनलाइन प्रसारित कर सकते हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के स्तर पर भी काफी नुकसान होता है। आज हम मूल्यवान सुरक्षा व वसीयत आदि की जालसाजी के अपराध से जुड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में बात करेंगे कि, बीएनएस की धारा 338 क्या है (BNS Section 338 in Hindi)? जालसाजी की ये धारा कब लगती है और इस सेक्शन में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

ऐसे मामलों में जहाँ नकली दस्तावेज़ बनाने या इस्तेमाल करने का अपराध होता था वहाँ कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता की धारा 467 लागू की जाती थी। लेकिन अब IPC की जगह BNS के लागू होने के बाद ऐसे सभी अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 के तहत कार्रवाई की जाती है। यह नया प्रावधान नकली दस्तावेज़ों से जुड़े अपराधों को रोकने और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए बनाया गया है। यदि आप इस धारा और इससे संबंधित सजा के प्रावधानों को अच्छे से जानना चाहते हैं, तो कृपया लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें, ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।


बीएनएस की धारा 338 क्या है और यह कब लगती है - BNS Section 338 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 उन मामलों में लागू होती है जहाँ कोई व्यक्ति जानबूझकर महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों (Important Documents) की नकली प्रतियां (Fake Copies) बनाता है। ये दस्तावेज़ बहुत ही मूल्यवान होते हैं, जैसे कि शेयर, बॉन्ड, बिल ऑफ एक्सचेंज, वसीयतनामा, या कोई अन्य कानूनी दस्तावेज़। इस धारा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन दस्तावेजों को धोखाधड़ी के उद्देश्य से नकली न बनाया जाए।

नकली दस्तावेज़ का अर्थ है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर और गलत इरादे से किसी दस्तावेज़ की ऐसी प्रतिलिपि (Copy) तैयार करता है, जो असली दस्तावेज जैसी ही लगती है, लेकिन वह असली नहीं होती है। इसे धोखाधड़ी (Fraud) के उद्देश्य से बनाया जाता है ताकि किसी को धोखा देकर गलत तरीके से लाभ उठाया जा सके।


BNS 338 को लागू करने से पहले देखे जाने वाली कुछ मुख्य बाते

यह धारा तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति द्वारा इन महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की नकली प्रतिलिपि (Fake Copy) जानबूझकर बनाई जाती है। उदाहरण के लिए:-

  • शेयर: अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयरों का नकली प्रमाणपत्र (Fake Certificate) बनाता है।
  • बॉन्ड: यदि कोई व्यक्ति सरकार या किसी कंपनी के बॉन्ड की नकली प्रति (Fake Copy) तैयार करता है।
  • बिल ऑफ एक्सचेंज: जब कोई व्यक्ति धन के लेन-देन से संबंधित दस्तावेज़ (जैसे बिल ऑफ एक्सचेंज) का नकली दस्तावेज़ बनाता है।
  • वसीयतनामा: जब कोई किसी मरे हुए व्यक्ति की वसीयत (Will) को गलत तरीके से नकली बनाता है।
  • सजा: इस धारा का उल्लंघन करने पर गंभीर सजा (Punishment) हो सकती है।

बीएनएस की धारा 338 का उदाहरण

कपिल एक बहुत ही अमीर व्यक्ति था, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन अचानक किसी कारण से उसकी मृत्यु हो जाती है। उसकी मृत्यु के बाद उसके एक दूर के रिश्तेदार ने दावा किया कि कपिल ने मरने से पहले ही उसे अपनी सारी संपत्ति दे दी थी। उसने एक नकली वसीयतनामा पेश किया, जिसमें कपिल ने उसे अपनी सारी संपत्ति सौंपी थी। परन्तु कपिल के अन्य रिश्तेदारों ने इस पर आपत्ति जताई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच की और पाया कि वसीयतनामा फर्जी है। जिसके बाद उस रिश्तेदार के खिलाफ BNS की धारा 338 के तहत मामला दर्ज किया गया।


BNS Section 338 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य

बीएनएस की धारा 338 के तहत एक ऐसा कानून है जो उन लोगों को सजा (Punishment) देता है जो जानबूझकर किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को फर्जी (Bogus) तरीके से बनाते हैं। इस तरह के दस्तावेज़ों का इस्तेमाल धोखाधड़ी (Fraud) करने के लिए किया जाता है। यहां धारा 338 के तहत आने वाले कुछ आम अपराधों को सरल भाषा में समझाया गया है:

  • किसी और के नाम से चेक बनाकर पैसे निकालना।
  • किसी कंपनी के शेयर का नकली सर्टिफिकेट बनाकर बेचना, जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड आदि।
  • किसी सामान या सेवा के बदले नकली बिल बनाकर पैसे लेना।
  • यात्रा करने के लिए नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल करना।
  • नौकरी पाने के लिए नकली डिग्री का इस्तेमाल करना।
  • किसी से शादी करने के लिए नकली विवाह रजिस्ट्री बनाना।
  • सरकारी नौकरी (Government job) या अन्य सुविधाएं पाने के लिए नकली जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) बनाना।
  • किसी संपत्ति को बेचने या खरीदने के लिए नकली दस्तावेज़ (Fake Documents) बनाना।
  • किसी व्यक्ति की संपत्ति पर अपना अधिकार जमाने के लिए नकली वसीयतनामा (Fake Will) बनाना।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 के जुर्म में मिलने वाली सजा

यदि कोई व्यक्ति बीएनएस की धारा 338 के तहत नकली दस्तावेज़ (जैसे शेयर, बॉन्ड, वसीयतनामा आदि) जानबूझकर बनाता है, तो इस धारा के उल्लंघन (Violation) करने पर दोषी व्यक्ति (Guilty Person) को कठोर सजा दी जा सकती है, जो इस प्रकार से हो सकती है:-

  • आजीवन कारावास: अगर दोषी व्यक्ति द्वारा नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किसी गंभीर अपराध के लिए किया जाता है और अदालत में साबित हो जाता है, तो दोषी को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा मिल सकती है, जिसका अर्थ है कि उसे जीवन भर जेल में रहना होगा।
  • दस वर्ष तक का कारावास: कुछ मामलों में दोषी को आजीवन कारावास की बजाय दस वर्ष तक की जेल की सजा दी जा सकती है। यह सजा अपराध की गंभीरता और उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
  • जुर्माना: इसके साथ ही दोषी पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, जिसकी राशि अदालत अपराध की प्रकृति और पीड़ित (Victim) को हुए नुकसान के आधार पर तय करती है।

बीएनएस सेक्शन 338 में जमानती है या गैर-जमानती है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 के अनुसार जानबूझकर नकली दस्तावेज बनाना व उसका इस्तेमाल करना संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) अपराध होता है। जिसमें पीड़ित व्यक्ति (Victim person) द्वारा की गई शिकायत के बाद पुलिस बिना कोर्ट की अनुमति के आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर पूछताछ कर सकती है। गैर-जमानती धारा होने के कारण इस अपराध में आरोपी व्यक्ति को अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) भी नहीं मिलती है। इस अपराध से संबंधित मामले किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।

निष्कर्ष:- BNS Section 338 का मुख्य उद्देश्य समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखना और लोगों को धोखाधड़ी से बचाना है। यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो जानबूझकर किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को नकली बनाते हैं और उसका उपयोग धोखाधड़ी करने के लिए करते हैं।




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बीएनएस धारा 338 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


BNS की धारा 338 क्या है, व यह कब लागू होती है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 जो किसी मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयतनामा या अन्य महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज़ का फर्जीकरण करने वाले व्यक्ति को दंडित करता है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकना और कानून और व्यवस्था बनाए रखना है।



भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 जमानती है या गैर-जमानती?

BNS Section 338 एक गैर-जमानती धारा होती है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के अपराध के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत नहीं मिलती है। 



जाली दस्तावेज बनाने व इस्तेमाल करने की सजा क्या है?

जाली दस्तावेज बनाने की धारा 338 का उल्लंघन करने पर व्यक्ति को दस साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।



भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 338 का अपराध संज्ञेय होता है या गैर-संज्ञेय?

बीएनएस सेक्शन 338 के अनुसार महत्वपूर्ण दस्तावेजों की नकली प्रति बनाकर इस्तेमाल करने का अपराध संज्ञेय होता है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति द्वारा की गई शिकायत के आधार पर आरोपी व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है।