
विषयसूची
- बीएनएस की धारा 170 क्या है - BNS Section 170 in Hindi
- धारा 170 कब लागू होती है?
- बीएनएस धारा 170 के कुछ आवश्यक स्पष्टीकरण
- धारा 170 के तहत कुछ अपवाद या कार्य जिनको अपराध नहीं माना जाएगा
- इस धारा के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- बीएनएस की सेक्शन 170 के अपराध का उदाहरण
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 170 - 173 के तहत सजा
- बीएनएस की धारा 170 में जमानत का प्रावधान
- बीएनएस धारा 170 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चुनावों में रिश्वतखोरी यह एक ऐसा अपराध है, जो हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है। जिसमें कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार को मतदान से दूर रहने के लिए या किसी उम्मीदवार के पक्ष में मत देने के लिए रिश्वत देता है या लेता है। हाल के वर्षों में चुनावों में रिश्वतखोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा धन व बल का प्रयोग करके मतदाताओं को लालच देना और धमकाना जैसे अपराध बहुत आम हो गए हैं। इस लेख में हम रिश्वतखोरी के अपराध से जुड़ी BNS की धारा के बारे में बात करेंगे कि, बीएनएस की धारा 170 क्या है (BNS Section 170 in Hindi)? रिश्वतखोरी की इस धारा में सजा कितनी मिलती है और जमानत कैसे मिलती है?
भारतीय चुनावों में रिश्वतखोरी हमेशा से एक गंभीर मुद्दा रहा है। इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए अभी तक Indian Penal Code (IPC) की धारा 171बी का इस्तेमाल किया जाता था। यह धारा विशेष रूप से चुनावों में रिश्वत लेने या देने के अपराध को परिभाषित करती थी। लेकिन, BNS के नए कानून के रुप में आते ही इस अपराध के सभी मामलों पर Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 170 के प्रावधानों के अनुसार मामले दर्ज किए जाने लगे है। जिसके बारे में जानकारी होना देश के प्रत्येक नागरिकों के लिए आवश्यक है।
बीएनएस की धारा 170 क्या है - BNS Section 170 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 चुनावों में रिश्वतखोरी (Bribery in Elections) के अपराध को परिभाषित करती है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य चुनावों की पवित्रता और निष्पक्षता (Fairness) को बनाए रखना है। जिसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे, उपहार, या किसी अन्य प्रकार का लाभ देकर उसे वोट देने या न देने के लिए कहता है तो यह एक अपराध माना जाएगा।
सरल भाषा में इसका मतलब है कि जो भी व्यक्ति चुनावों में वोट देने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति या मतदाता को पैसे या अन्य कोई वस्तु देता है या कोई मतदाता (Voter) खुद पैसे लेकर किसी के पक्ष में वोट डालता है। तो ऐसे व्यक्तियों पर रिश्वत लेने व देने के अपराध के लिए धारा 170 में केस दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण: अगर अजय चुनाव में अपने पक्ष में वोट देने के लिए विजय को 2000 रुपये देता है और विजय उस पैसे के बदले अजय को वोट दे देता है, तो दोनों पर BNS 170 के तहत कार्यवाही होगी।
धारा 170 कब लागू होती है?
- किसी उम्मीदवार या मतदाता (Candidate or Voter) को रिश्वत (Bribe) देने का प्रयास करता है।
- वोट देने के तरीके को प्रभावित करने के लिए धन, उपहार या अन्य लाभ प्रदान करता है।
- किसी व्यक्ति को चुनाव (Election) में किसी विशेष तरीके से मतदान करने या मतदान (Voting) से रोकने के लिए लालच देता है।
बीएनएस धारा 170 के कुछ आवश्यक स्पष्टीकरण
- यदि कोई व्यक्ति किसी और को इस उद्देश्य से कोई लाभ या इनाम (जैसे पैसा, उपहार) देता है कि वह व्यक्ति चुनाव में किसी खास तरीके से वोट करें या किसी खास उम्मीदवार को वोट न दे, तो यह रिश्वतखोरी मानी जाएगी।
- यदि कोई व्यक्ति खुद के लिए या किसी और के लिए वोट करने के बदले कोई इनाम या लाभ स्वीकार करता है, तो वह भी रिश्वतखोरी का अपराध करेगा।
- उदाहरण: मान लीजिए कि किसी को यह कहकर पैसे दिए जाते हैं कि वह अपनी वोट किसी विशेष उम्मीदवार को दे, तो यह रिश्वतखोरी होगी।
- इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति इस शर्त पर पैसे स्वीकार करता है कि वह किसी खास उम्मीदवार को वोट देगा, तो यह भी रिश्वतखोरी मानी जाएगी।
- अगर कोई व्यक्ति चुनाव में वोट देने के बदले किसी प्रकार का लाभ (जैसे पैसा, उपहार) लेता है या लेने के लिए केवल सहमत (Agree) भी होता है, तो उसे रिश्वत लेने वाला माना जाएगा।
- अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने के इरादे के बिना केवल लाभ लेने के लिए रिश्वत स्वीकार करता है, तो भी उसे रिश्वत लेना माना जाएगा। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति इस इरादे से रिश्वत लेता है कि वह किसी खास उम्मीदवार को वोट देगा लेकिन बाद में वोट नहीं देता, तब भी वह रिश्वत लेने का दोषी होगा।
धारा 170 के तहत कुछ अपवाद या कार्य जिनको अपराध नहीं माना जाएगा
सार्वजनिक नीति की घोषणा:- अगर कोई उम्मीदवार या पार्टी चुनाव प्रचार (Election Campaign) के दौरान जनता के भले के लिए कोई नीति या योजना (जैसे मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, या सड़क निर्माण) की घोषणा करती है, तो इसे रिश्वत देने का अपराध नहीं माना जाएगा।
सार्वजनिक कार्रवाई का वादा:- यदि कोई उम्मीदवार चुनाव जीतने पर किसी विशेष सार्वजनिक सेवा (जैसे बिजली की सुविधा, पानी की सप्लाई) को सुधारने का वादा करता है, तो यह भी रिश्वत का अपराध नहीं माना जाएगा।
उदाहरण:- अगर कोई उम्मीदवार अपने प्रचार में कहता है कि अगर वह चुनाव जीतता है, तो वह पूरे क्षेत्र में स्कूल खोलेगा या सभी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देगा, तो यह घोषणा धारा 170 के अंतर्गत रिश्वतखोरी का अपराध नहीं मानी जाएगी।
इस धारा के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- किसी मतदाता को पैसे देकर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कहना।
- चुनाव से पहले मतदाताओं को मुफ्त उपहार, जैसे मोबाइल फोन, कपड़े, या घरेलू सामान, देकर उनके वोट को प्रभावित करने का प्रयास करना।
- किसी मतदाता के घर जाकर उसे अपने पक्ष में वोट करने की बात कहकर यह कहना की अगर वह चुनाव जीत गया तो उसे सरकार नौकरी लगवा देगा।
- मतदाताओं को डराकर, धमकाकर, या हिंसा (Violence) का डर दिखाकर उन्हें किसी खास उम्मीदवार को वोट देने या न देने के लिए मजबूर करना।
- मतदाताओं (Voters) को चुनाव के समय पार्टी या भोज में आमंत्रित करना और उनके वोट को मुफ्त भोजन और शराब देकर खरीदने की कोशिश करना।
- मतदाताओं को मतदान केंद्र (Polling station) तक पहुँचने के लिए मुफ्त यात्रा या परिवहन (Transportation) की सुविधा प्रदान करना और फिर उन्हें मजबूर करना की वे उन्हें ही वोट दे।
बीएनएस की सेक्शन 170 के अपराध का उदाहरण
एक बार एक गाँव में चुनाव का समय चल रहा था। सभी राजनीतिक पार्टियों के सदस्य अपनी तरफ से चुनाव प्रचार के लिए पूरा जोर लगा रहे थे। उसी गांव में राहुल नाम का एक व्यक्ति रहता था, जिसकी उस गांव में बहुत पहचान थी व लोग उसकी बात भी मानते थे। एक दिन उसके पास अजय नाम का एक नेता आता है, जो चुनाव में खड़ा हुआ था।
अजय राहुल से मिलकर कहता है कि अगर राहुल गांव के सभी लोगों को अजय के पक्ष में वोट करने के लिए कहेगा तो इसके बदले वह उसे बहुत सारे पैसे व शराब देगा।
राहुल पैसे के लालच में आकर अजय की बात मान लेता है, और अजय राहुल को बहुत सारे पैसे व शराब दे देता है। लेकिन एक व्यक्ति को इन सब बातों का पता चल जाता है जिसकी शिकायत वो पुलिस में कर देता है। इसके बाद पुलिस राहुल व अजय दोनों के खिलाफ धारा 170 के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 170 - 173 के तहत सजा
बीएनएस की धारा 170 में केवल चुनावों में रिश्वतखोरी (Bribery) के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। इस अपराध के दोषी (Guilty) व्यक्ति को BNS की धारा 173 में बताई गई सजा के अनुसार दंड की कार्यवाही की जाती है। जो कि इस प्रकार है:-
BNS Section 173 के तहत सजा:- यदि कोई व्यक्ति रिश्वतखोरी के अपराध के तहत रिश्वत लेने या देने के अपराध का दोषी पाया जाएगा, उस व्यक्ति को एक वर्ष तक की जेल व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
बीएनएस की धारा 170 में जमानत का प्रावधान
धारा 170 के तहत चुनावों में रिश्वतखोरी का यह अपराध गैर-संज्ञेय व जमानती (Non-Cognizable Or Bailable) होता हैं। यानी जिस किसी व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत आरोप लगाए जाते हैं, तो उसे थाने से ही जमानत मिल सकती है और उसे न्यायालय से जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होती है।
निष्कर्ष:- BNS Section170 चुनावी प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से बचाने और मतदाताओं के स्वतंत्र निर्णय को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इसलिए, चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की रिश्वतखोरी का प्रयास कानूनन अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि आप किसी भी कानूनी मामले से संबंधित सहायता प्राप्त करना चाहते है, तो हमारे अनुभवी वकीलों से आज ही फोन पर बात कर सकते है।
बीएनएस धारा 170 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
चुनाव के दौरान रिश्वतखोरी अपराध की बीएनएस धारा कौन सी हैं?
चुनाव के दौरान रिश्वत देने वाले और इसे स्वीकार करने वाले दोनों को BNS Section 170 के तहत आरोपित किया जा सकता है।
क्या किसी व्यक्ति पर केवल रिश्वत देने का प्रयास करने पर धारा 170 लग सकती है?
हाँ, यह धारा 170 रिश्वत देने और लेने का प्रयास करने पर भी कार्यवाही करती है, इसलिए भले ही रिश्वत स्वीकार न की गई हो, लेकिन प्रयास करने पर ही दंडित किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 में जमानत का क्या प्रावधान है?
बीएनएस सेक्शन 170 के तहत रिश्वतखोरी एक जमानती अपराध है जिसमें आरोपी व्यक्ति को आसानी से जमानत मिल जाती है।
क्या BNS 170 के तहत आने वाला अपराध संज्ञेय (Cognizable) है?
नहीं, धारा 170 के तहत रिश्वतखोरी का अपराध गैर-संज्ञेय होता है। यानी पुलिस इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है।