विषयसूची
- बीएनएस धारा 152 क्या है व यह कब लगती है - BNS Section 152 in Hindi
- BNS की धारा 152 के जुर्म को लागू करने वाले मुख्य तत्व
- बीएनएस सेक्शन 152 के अपराध से संबंधित सरल उदाहरण
- BNS Section 152 के अपराध में किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
- बीएनएस की धारा 152 के अपराध के दोषी व्यक्तियों को दी जाने वाली सजा
- BNS 352 में जमानत मिलने का क्या कानूनी प्रावधान है?
- बीएनएस धारा 152 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग राज्यों में बहुत से अलग-अलग धर्मों व जातियों और संस्कृतियों के लोग एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहते हैं। लेकिन कई कारणों के चलते हमारे देश में तनाव का माहौल बना दिया जाता है, कभी धर्म के नाम पर तो कभी राजनीति के नाम पर। ऐसे ही कारणों के चलते देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना हमेशा से एक चुनौती वाला कार्य रहा है। आज के इस लेख में हम भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों व उनके कारणों के बारे में जानेंगे कि, बीएनएस सेक्शन 152 क्या है (BNS Section 152 in Hindi)? यह धारा कब लगती है और BNS 152 के तहत दोषी व्यक्ति को कितनी सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?
आज के समय में जब सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए अपनी बात रखना इतना आसान हो गया है, वहां लोग बिना सोचे समझे कुछ भी पोस्ट कर देते है। कई बार कुछ देश विरोधी मैसेज सोशल मीडिया पर भेजना या सार्वजनिक जगहों पर बोलना कानून अपराध होता है। ऐसे ही मामलों के लिए पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124a लागू कर कार्यवाही की जाती थी। परन्तु बीएनएस के आते ही पुराने कानूनों में बदलाव कर BNS की धारा 152 के तहत मामलों को दर्ज किया जाने लगा है। इसलिए आज की इस उपयोगी जानकारी को पूरी तरह समझने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
बीएनएस धारा 152 क्या है व यह कब लगती है - BNS Section 152 in Hindi
BNS की धारा 152 देश की एकता व अखंड़ता (बिना किसी बंटवारे के एक साथ रहना) बनाए रखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान (Legal Provision) के रुप में देखी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य ही भारत की संप्रभुता, एकता, और अखंडता को सुरक्षित रखना है। यह धारा ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई का प्रावधान करती है, जो किसी भी प्रकार से देश को बाँटने या उसकी सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास करते हैं।
सरल भाषा में समझे तो, इस कानून के अनुसार ऐसे लोगों को सजा (Punishment) दी जा सकती है, जो व्यक्ति देश में हिंसा, विद्रोह या किसी अन्य तरीके के अपराध करके हमारे देश की एकता व सुरक्षा (Unity & Security) को खतरे में डालते है।
BNS की धारा 152 के जुर्म को लागू करने वाले मुख्य तत्व
- धारा 152 के अनुसार जो भी व्यक्ति जानबूझकर अपने भाषण, अपने लेख या किसी चित्र द्वारा ऐसे संदेश फैलाता है जिससे देश में हिंसा (Violence) बढ़ने या अपराध होने की संभावना हो तो उस व्यक्ति पर कार्यवाही की जाएगी।
- सोशल मीडिया, ईमेल, मैसेजिंग ऐप्स, या अन्य डिजिटल चीजों का उपयोग करके अगर कोई व्यक्ति भारत के खिलाफ या देश को तोड़ने वाले कार्य करता है तो उस पर भी इस प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की जाएगी
- यदि कोई व्यक्ति अपने पैसों का इस्तेमाल देश को तोड़ने वाले लोगों के फायदे में करेगा तो यह भी धारा 152 के तहत दंडनीय अपराध (Punishable Offence) होगा। जैसे आतंकवादी व देश-विरोधी (Terrorists and anti-nationals) लोगों की पैसे से सहायता करना।
- यदि कोई व्यक्ति देश के किसी भी राज्य या क्षेत्र को भारत से अलग करने की बात करता है या ऐसे किसी व्यक्ति का समर्थन (Support) करता है, तो ऐसे व्यक्ति पर सजा के लिए कार्यवाही की जाएगी।
बीएनएस सेक्शन 152 के अपराध से संबंधित सरल उदाहरण
राज और अजय दो दोस्त एक साथ एक ही शहर में रहते थे, दोनों में बहुत सालों से काफी अच्छी दोस्ती थी। लेकिन दोनों की सोच और विचारों में बहुत फर्क था, जिसके कारण अक्सर दोनों में बहस हो जाती थी। राज एक ऑनलाइन ग्रुप में रोजाना ऐसे मैसेज देखता था जिसमें कहा जाता है कि उसके राज्य को भारत में अलग होकर स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। इसी कारण राज की सोच भी वैसी ही बन गई थी। एक दिन उसने अजय को भी यह सारी बात बताते हुए कहाँ की हमें भी सोशल मीडिया पर व सभी तरीकों से लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए।
जिसके बाद अजय उससे गुस्सा होकर चला जाता है, लेकिन राज ने सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज किए जिससे लोग भड़कने लगें और हिंसा के हालात बनने लगे। जिसकी वजह से एक दिन पुलिस राज के घर आती है और उसे देश में खतरे की भावना फैलाने व सुरक्षा को खतरे में डालने के जुर्म में BNS 152 के तहत गिरफ्तार कर लिया।
BNS Section 152 के अपराध में किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
- देश के किसी राज्य या क्षेत्र को अलग करने के लिए प्रदर्शन करना व लोगों को भड़काने की कोशिश करना।
- किसी अखबार में ऐसा लेख (Article) लिखना जिससे देश में हिंसा का माहौल बन जाए और देश की सुरक्षा व अखंड़ता (Security & Integrity) को खतरा पैदा हो।
- किसी भी व्यक्ति या समूह को हथियारों (Weapon) का इस्तेमाल कर भारत की सरकार के खिलाफ हमला करने के लिए भड़काना।
- सार्वजनिक जगहों (Public Places) जैसे बाजारों, सड़कों पर ऐसे पोस्टर लगाना जिससे देश की अखंडता को खतरा पहुँचे।
- सोशल मीडिया, ईमेल, व्हाट्सएप पर ऐसी वीडियो, या मैसेज भेजना जो देश के खिलाफ लोगों को भड़काने का कार्य करते हो।
- किसी भी ऐसे संगठन या समूह (Organization Or Groups) को पैसे देकर मदद करना या किसी अन्य तरीके से भी मदद करना जो देश को नुकसान करने का प्रयास करते हो।
- देश को बाँटने वाले लोगों या आतंकवादी समूहों (Terrorist Groups) को हथियार देना या उन्हें अपने घर में छिपने व खाने पीने की सहायता करना।
- अलग-अलग धर्म व जातियों (Religion Or Cast) के लोगों को अलग-अलग बाँटकर उनमें हिंसा या विद्रोह करने की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश करना।
- स्कूल, कॉलेज, के छात्रों को देश को अलग करने व नुकसान पहुँचाने के लिए उकसाना।
ये सभी ऐसे कार्य है जिनसे हमारे देश की एकता व स्वतंत्रता (Unity Or Freedom) को खतरा पहुँच सकता है, जिनको करना गंभीर व दंडनीय अपराध है।
बीएनएस की धारा 152 के अपराध के दोषी व्यक्तियों को दी जाने वाली सजा
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 का उद्देश्य भारत में एकता बनाए रखना है। इसलिए यह धारा उन लोगों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान करती है जो किसी भी तरह से देश-विरोधी गतिविधियों (Anti National Activities) को बढ़ावा देते हैं। धारा 152 के अंतर्गत दोषी (Guilty) पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता को देखते हुए 7 वर्ष की जेल से लेकर आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा दी जाती है। इसके अलावा जेल की सजा के साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसके अलावा न्यायालय दोषी व्यक्ति को सुनवाई (Hearing) के दौरान कुछ प्रतिबंध (Restrictions) भी लगा सकता है, ताकि वह आगे कोई देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल न हो सके। इसके तहत न्यायालय दोषी द्वारा देश के अलग- अलग हिस्सों में की जाने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकता है या उसकी संपत्ति (Property) को भी जब्त (Seized) कर सकता है।
BNS 352 में जमानत मिलने का क्या कानूनी प्रावधान है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के अंतर्गत देश को नुकसान पहुँचाने वाले कार्यों से संबंधित यह अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) होते हैं। इसका मतलब यह है कि इस अपराध की शिकायत पर पुलिस के पास आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार होता है। क्योंकि यह अपराध गंभीर माना गया है और इसमें तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
गैर-जमानती अपराध होने के कारण आरोपी व्यक्ति कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इसमें जमानत (Bail) भी नहीं दी जाती है। इस अपराध से जुड़े सभी मामले सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय होते है।
निष्कर्ष:- BNS Section 152 के अनुसार देश को नुकसान पहुंचाने के लिए भड़काने वाले बयान देना, पोस्ट बनाना या ऐसी सोच रखने वाले लोगों का साथ देना इस प्रावधान के अनुसार आजीवन कारावास जैसी सख्त सजा का दोषी बना सकता है। इसलिए हमेशा सोशल मीडिया या अन्य किसी भी तरीके से कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे आप के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बने।
यदि आप या आपका कोई प्रियजन धारा 152 के तहत किसी मामले में सहायता चाहते हैं, तो हमारे अनुभवी वकीलों की टीम से आज ही संपर्क करें और अपने अधिकारों और कानूनी उपायों के बारे में विस्तार से परामर्श प्राप्त करें।
बीएनएस धारा 152 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
BNS की धारा 152 क्या है और यह कब लागू होती है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 एक ऐसा कानून है जो उन सभी कार्यों को अपराध के रुप में बताती है जिन कार्यों से देश की संप्रभुता, एकता या अखंडता को खतरा हो। यानि ऐसे कार्य जिनसे देश में हिंसा, विद्रोह, हमले व आतंकवाद बढ़ने का खतरा हो।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 में दोषी व्यक्ति को कितनी सजा दी जाती है?
बीएनएस सेक्शन 152 के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता के अनुसार 7 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा व जुर्माने भी लगाया जा सकता है।
धारा 152 के तहत आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी कैसे होती है?
अगर पुलिस को लगता है कि कोई व्यक्ति इस धारा के तहत अपराध कर रहा है, तो वह व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, गिरफ्तारी के लिए पुलिस को अदालत से वारंट लेना आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह एक संज्ञेय यानी गंभीर जुर्म होता है।
धारा 152 जमानती होती है या गैर-जमानती?
बीएनएस सेक्शन 152 के तहत किए गए अपराध गैर-जमानती होते हैं, जिसका मतलब होता है कि इस अपराध के आरोप जिस भी व्यक्ति पर लगते है उसे जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।