एफआईआर क्या है - FIR कैसे और कब दर्ज की जाती है पूरी जानकारी



प्रिय साथियों किसी भी कानूनी कार्यवाही से पहले आपने FIR का नाम तो बहुत बार सुना होगा, किसी भी अपराध की शिकायत करने के लिए जब पुलिस के पास जाते है तो पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की जाती है। हमारे देश में आज भी बहुत से लोगों को FIR के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए हम आज के इस लेख द्वारा जानेंगे की FIR क्या होती है, इसकी Full Form और ये कब और कैसे दर्ज की जाती है। यदि आप एफआईआर से जुड़ी सभी जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।


FIR क्या होती है? एफआईआर कब दर्ज की जाती है?

जब भी किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध होता है तो उस अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है, जिसके बाद पुलिस उस अपराध के आरोपी के खिलाफ आगे की कानूनी कार्यवाही करने के लिए एफआईआर दर्ज कर लेती है।

पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराधों (Cognizable offence) में तुरन्त एफआईआर दर्ज कर जल्द से जल्द कार्यवाही करना बहुत ही जरुरी होता है। मोबाईल फोन के द्वारा किसी अपराध के लिए की गई शिकायत (Complaint) को भी एफआईआर माना जा सकता है। भारतीय दंड़ प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 के प्रावधान अनुसार FIR दर्ज की जाती है।  

FIR एक बहुत ही आवश्यक सूचना देने वाले दस्तावेज (Document) के रुप में जाना जाता है जिसकी सूचना के आधार पर ही पुलिस के द्वारा आगे की कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ संज्ञेय यानी गंभीर अपराध के तहत FIR  दर्ज होती है तो पुलिस ऐसे अपराध के आरोपी व्यक्ति को बिना किसी अनुमति व वारंट के गिरफ्तार करके उससे पूछताछ की कार्यवाही कर सकती है।

पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद शिकायतकर्ता व्यक्ति को पढ़ कर सुनाया जाता है, जिसके बाद उस पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर (Signature) करवाये जाते है।  



एफआईआर करने से क्या होता है?

जब भी किसी व्यक्ति के साथ अन्याय होता है या वह किसी भी प्रकार के अपराध का शिकार होता है, तो उसे न्याय दिलवाने के लिए कानूनी कार्यवाही के प्रथम चरण के लिए FIR का इस्तेमाल किया जाता है। पीड़ित व्यक्ति अपने साथ हुए अपराध की शिकायत दर्ज करवा देता है जिसके बाद पुलिस अपराध के गंभीर होने पर आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही करती है।



एफआईआर कैसे दर्ज की जाती है - How to File FIR in Hindi

एफआईआर को पुलिस स्टेशन जाकर, फोन द्वारा व आनलाईन भी दर्ज करवाया जा सकता है। इन तीनो तरीके के बारे में विस्तार से आप नीचे देख सकते है।
 

पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कैसे होती है

किसी भी अपराध की सूचना मौखिक रुप में या लिखित रुप में पुलिस को अपने क्षेत्र के थाने में जाकर दी जा सकती है। पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस के अधिकारी को अपराध के बारे में बताए जिसके बाद पुलिस आपकी शिकायत को लिख लेती है।

जब आप आप अपनी शिकायत से जुड़ी सभी बातें पुलिस को बता देते है, तब शिकायतकर्ता को पूरा अधिकार होता है कि वो पुलिस द्वारा दर्ज की गई शिकायत को अच्छे से पढ़ ले और उसके बाद ही उस पर अपने हस्ताक्षर करें।

FIR दर्ज करवाने के बाद एक कॉपी (Photo copy) पुलिस अधिकारी से ले लेनी चाहिए, जिसको मुफ्त में ही लेना आपका अधिकार होता है।



फोन द्वारा एफआईआर दर्ज कैसे कराए

किसी भी अपराध की सूचना देने के लिए मोबाईल फोन द्वारा पुलिस हेल्पलाइन न0 100 पर कॉल कर भी FIR दर्ज कराई जा सकती है। जिसके लिए सबसे पहले 100 न0 पर पुलिस को फोन कर शिकायतकर्ता को अपना नाम, जगह का नाम, क्या अपराध हुआ है उसकी जानकारी देना जरुरी होता है। यदि शिकायतकर्ता को उस व्यक्ति का नाम पता है जिसने वो अपराध किया है तो उसकी जानकारी भी उसी समय पुलिस को जरुर दे।



Online FIR (Police Complaint) दर्ज कैसे करें ?

हमारे देश में किसी अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाना भी एक परेशानी वाला कार्य माना जाता है, क्योंकि बहुत बार देखा जाता है कि पुलिस द्वारा आम आदमी की शिकायत को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यदि कोई साधारण व्यक्ति पुलिस स्टेशन जाता है तो उसको परेशान करने के लिए बहुत सारे फालतू सवाल पुछे जाते है। इसलिए बहुत सारे लोग तो किसी अपराध की शिकायत कराने ही नहीं जाते।

इसी प्रकार की समस्या से बचने के लिए अब घर बैठे फोन द्वारा ही ऑनलाइन एफआईआर (FIR) दर्ज कराई जा सकती है, चलिए जानते है कि ऑनलाइन एफआईआर कैसे दर्ज करें।
 


ऑनलाइन FIR दर्ज करवाने के लिए आप अपने राज्य के पुलिस की ऑफिसियल वेबसाइट आप गूगल से पता कर सकते है, साथ ही कुछ राज्यों की पुलिस की वेबसाइट हमने आपको दी है जिन पर क्लिक कर आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते है। 

बहुत से लोग ऐसे है जिन्हें अपने राज्य की पुलिस की वेबसाइट पर जाकर कैसे FIR दर्ज करवानी है इस बात की जानकारी नहीं है। इसलिए हम आपको ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने का पूरा प्रोसेस स्टेप बाय स्टेप समझाएंगे।
 

  • सबसे पहले जिस भी राज्य में आप शिकायत दर्ज करवाना चाहते है उपर दिए वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करें या गूगल पर जाकर सर्च कर ओपन करें।
  • वेबसाइट के पूरी तरह से खुलने के बाद Sign up करें यानी अपना अकाउंट बना लें।
  • इसके बाद Online Fir complaint वाले Option  पर क्लिक करें।
  • उस पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक फार्म खुल जाएगा जिसको आपने सही तरीके से भरना है, जिसमें सभी पुछी गई बातें जैसे नाम, पिता का नाम, पता, आदि भर दे।
  • फार्म को पूरा भरने के बाद एक बार दोबारा से पूरी तरह जांच ले की दी गई जानकारियाँ सभी सही रुप से भर दी गई है या नहीं। इसके बाद नीचे दिए गए Submit के Button पर क्लिक करें।
  • FIR Form Submit करने के बाद वैरिफाई करने के लिए आपके फोन पर एक मैसेज आएगा उस Code को दिए गए स्थान पर डालने के बाद आपकी शिकायत दर्ज हो जाएगी, जिसके बाद आप दर्ज की गई शिकायत का प्रिंट निकाल सकते है।


इस प्रकार से आप अपने घर बैठे ही बहुत ही आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते है। इसी प्रकार अपराधों पर रोकने व जल्द से जल्द कार्यवाही करने के लिए भारत सरकार के द्वारा बहुत सारे कदम उठाए जा रहे है। जिनकी मदद से लोगों को सभी कानूनी मदद पाने में बहुत ही आसानी हो सकेगी।



जीरो एफआईआर क्या होती है? Zero FIR in Hindi

जब भी कोई अपराध होता है तो उसकी शिकायत क्षेत्र के पास के पुलिस स्टेशन में करवाई जाती है। परन्तु कुछ परिस्थिति ऐसी हो जाती है जिनमें पीड़ित व्यक्ति को अपने क्षेत्र से बाहर किसी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवानी पड़ जाती है। इस प्रकार किसी बाहरी क्षेत्र में की गई शिकायत पर पुलिस वाले गंभीरता से कार्य नहीं करते, इसलिए ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए जीरो एफआईआर (Zero FIR) का प्रावधान दिया गया है।

जीरो अपराध के प्रावधान अनुसार पीड़ित व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार दिया जाता है, जिसके बाद केस को अपने क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में भी ट्रान्सफर करवाया जा सकता है।



प्राथमिकी दर्ज होने के बाद क्या होता है ?

FIR दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा जांच शुरु की जाती है। जिसमें गवाहों के बयान लिए जाते है व आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए जाते है।

संज्ञेय अपराध यानी गंभीर अपराध के आरोपी व्यक्ति को पुलिस तुरन्त बिना किसी अनुमति के गिरफ्तार कर लेती है।

कम गंभीर मामलों में शिकायतकर्ता के द्वारा लगाए गए आरोपों की पुरी तरह जाँच होने के बाद उपयुक्त सबूत मिल जाने के बाद आरोप पत्र यानि Charge sheet दाखिल किया जाता है

यदि आरोपी के खिलाफ पुलिस को जरुरी सबूत नहीं मिलते तो पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट (Final report) अदालत में पेश कर दी जाती है।

इसके बाद यदि अदालत आरोपी के खिलाफ सबूत होने पर मुकदमा दर्ज कर लेती है, यदि आरोपी के खिलाफ कोई जरुरी सबूत (Evidence) नहीं मिलता तो अदालत द्वारा एफआईआर (FIR) रद्द भी की जा सकती है।



First information Report में क्या क्या लिखा जाता है?

एफआईआर में शिकायतकर्ता का नाम पता मोबाईल न0 व क्या अपराध हुआ है और अपराध के आरोपी से जुड़ी जानकारी जैसी जरुरी बातों के बारे में लिखा जाता है। यदि कोई व्यक्ति FIR  में गलत जानकारी लिखवाता है तो उस व्यक्ति पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसलिए हमेशा सही बातें ही पुलिस को बताए किसी भी प्रकार की झूठी जानकारी पुलिस को ना दें।



FIR or NCR में अंतर

FIR  जब भी कोई पीड़ित व्यक्ति संज्ञेय अपराध की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाता है तो उस शिकायत को एफआईआर के रुप में तुरन्त दर्ज कर पुलिस को कार्यवाही करनी पड़ती है। जिसमें पुलिस आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेती है।

NCR क्या है -  NCR  को NON Cognizable Report कहा जाता है, एनसीआर का इस्तेमाल पुलिस गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable Offence) अपराधों के लिए करती है जिसका मतलब होता है कम गंभीर अपराध या छोटे मोटे अपराध ऐसे अपराधों की शिकायतों को पुलिस NCR के तहत दर्ज करती है। इस तरह की शिकायत को पुलिस स्टेशन तक ही सीमित रखा जाता है।



एफआईआर रद्द कैसे हो सकती है ?

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवाई जाती है तो वह व्यक्ति झूठी शिकायत को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में अपील कर सकता है।

बहुत बार आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सबूतों के अभाव में भी एफआईआर को रद्द किया जा सकता है।  

क्या FIR वापस को लिया जा सकता है?

यदि शिकायतकर्ता व आरोपी व्यक्ति के बीच आपसी समझौता हो जाता है तो न्यायालय के सामने समझौते के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर केस को खत्म किया जा सकता है।



पुलिस FIR दर्ज ना करें तो क्या करें?

यदि आप पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराने जाते है और पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती तो आप इसकी शिकायत पुलिस के किसी बड़े अधिकारी से कर सकते है। यदि इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती तो CRPC Section 156 (3) के तहत मैट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रैट के पास अपनी शिकायत को दर्ज करवा सकते है।


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