धारा 111 - भारतीय साक्ष्य अधिनियम in Hindi (Section 111 of Indian Evidence Act)
विवरण
111. उन संव्यवहारों में उद्भव का साबित किया जाना, जिनमें एक पक्षकार का सम्बन्ध सक्रिय विश्वास का है- जहां कि उन पक्षकारों के बीच के संव्यवहार के सद्भाव के बारे में प्रश्न है, जिनमें से एक-दूसरे के प्रति सक्रिय विश्वास की स्थिति में है वहां, उस संव्यवहार के सद््भाव को साबित करने का भार उस पक्षकार पर है जो सक्रिय विश्वावस की स्थिति में है।
दृष्टान्त- (क) कक्षीकार द्वारा अटर्नी के पक्ष में किए गए विक्रय का सद्भाव कक्षीकार द्वारा लाये गये वाद में प्रश्नगत है संव्यवहार का सद्भाव साबित करने का भार अटर्नी पर है।(ख) पुत्र द्वारा, जो कि हाल ही में प्राप्तवय हुआ है पिता को किए गए किसी विक्रय का सद्भाव पुत्र द्वारा लाए गए वाद में प्रश्नगत है। संव्यवहार के सबित करने का भार पिता पर है।
111क. कुछ अपराधों के बारे में उपधारणा- (1) जहां कोई व्यक्ति उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट ऐसे किसी अपराध के-(क) ऐसे किसी क्षेत्र में, जिसे उपद्रव को दबाने के लिए और लोक व्यवस्था की बहाली और उसे बनाए रखने के लिए उपबन्ध करने वाली तत्समय प्रवृत्त किसी अधिनियमित के अधीन विक्षुब्ध क्षेत्र घाषित किया गया है।; या(ख) ऐसे किसी क्षेत्र में, जिसमें एक मास से अधिक की अवधि के लिए लोक शान्ति में व्यापक विध्न रहा है।किए जाने का अभियुक्त है और यह दर्शित किया जाता है कि ऐसा व्यक्त् िऐसे क्षेत्र में किसी स्थान पर ऐसे समय पर था जब ऐसे किसी सशस्त्र बल या बलों के, जिन्हें लोक व्यवस्था बनाए रखने का भार सौंपा गया है, ऐसे सदस्यों पर जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, आक्रमण करने के लिए या उनका प्रतिराध करने के लिए अस स्थान पर या उस स्थान से अग्न्यायुधों या विस्फोटक का प्रयोग किया गया था, वहां जब तक तत्प्रतिकूल दर्शित नहीं किया जाता यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसे व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है।(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट उपराध निम्नलिखित है, अर्थात्-(क) भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 121, धारा 121-क, धारा 122 या धारा 123 के अधीन कोई अपराध;(ख) आपराधिक षड्यन्त्र या भारतीय दण्ड संहिता, (1860 का 45) की धारा 122 या धारा 123 के अधीन कोई अपराध करने का प्रयत्न या उसके दुष्प्रेरण।
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